टीएमसी सांसदों ने राष्ट्रपति से की राज्यपाल धनखड़ को हटाने की मांग

टीएमसी सांसदों का आरोप, दिल्ली में बैठे आकाओं के इशारे पर काम करते हैं राज्यपाल, बंगाल की संप्रभुता को राज्यपाल से है खतरा

Updated: Dec 31, 2020, 03:15 AM IST

Photo Courtesy : Free Press Journal
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नई दिल्ली/कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पद से हटाने की मांग की है। सांसदों ने इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भी भेजा है। राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में सुखेंदु शेखर, डेरेक ओ ब्रायन, सुदीप बंदोपाध्याय, कल्याण बनर्जी और काकोली घोष का नाम शामिल है। सांसदों ने धनखड़ पर यह आरोप लगाया है कि वे दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर काम कर रहे हैं। 

राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में सांसदों ने कहा है कि राज्यपाल पश्चिम बंगाल में संविधान की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों की हमेशा अवेहलना की है। सांसदों ने लिखा है कि धनखड़ एक संवैधानिक पद पर होने के बावजूद दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर बांटने वाली राजनीति को अंजाम दे रहे हैं।

सांसदों ने राष्ट्रपति को लिखा है कि राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के नियमों की अवहेलना करके खुले तौर पर एक राजनीतिक दल (बीजेपी) का समर्थन करते दिखते हैं और इस तरह वे संविधान के संघीय ढांचे पर बड़ा आघात पहुंचाने का काम करते हैं, जो संविधान के मूलभूत सिद्धांतों में शामिल है।

ममता के राज में राजनीतिक हत्याओं में आई है कमी : सांसद 
सांसदों ने लिखा है कि जगदीप धनखड़ लगातार ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस पर राज्य में लॉ एंड ऑर्डर को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि ममता बनर्जी के कार्यकाल में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं में कमी आई है। सांसदों ने अपनी बात साबित करने के लिए ज्ञापन में एनसीआरबी का एक आंकड़ा भी पेश किया है। सांसदों ने कहा है कि 2001 से लेकर 2011 के बीच राज्य में 663 राजनीतिक हत्याएं हुई थीं। लेकिन ममता बनर्जी के कार्यकाल (2011-2019) में 113 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं।

टीएमसी सांसदों ने लिखा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने झारखंड और ओडिशा से सटे दक्षिण बंगाल के ज़िलों में माओवादी का वर्चस्व खत्म किया। ममता ने अपनी प्रशासनिक योग्यता के कारण राज्य को चरमपंथी राजनीति से मुक्ति दिलाई। सांसदों का कहना है कि दार्जिलिंग सहित राज्य के अन्य इलाकों में दशकों से चली आ रही हिंसा को ममता सरकार ने समाप्त किया। उनके प्रयासों के बाद ही उन जगहों पर शांति स्थापित हो पाई।

दिल्ली में बैठे अपने आकाओं के इशारों पर काम करते हैं : सांसद

सांसदों ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने नवंबर और दिसंबर में अपने पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। अमित शाह के बयानों को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने खुले तौर पर अपना समर्थन दिया। धनखड़ का यह रुख न सिर्फ अनुचित है बल्कि यह भी प्रदर्शित करता है कि वो दिल्ली में बैठे आकाओं के इशारे पर काम करते हैं। राज्यपाल संविधान की रक्षा करने में जरा भी विश्वास नहीं रखते हैं। सांसदों ने कहा है कि राज्यपाल राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की मानहानि तक करने पर उतर आए हैं।

स्पीकर से जवाब तलब करते हैं राज्यपाल : सांसद

ममता के सांसदों ने कहा है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य की विधायिका को भी नहीं बख्शा है। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा विधानसभा में पारित कराए जा चुके कई बिलों पर वे न सिर्फ हस्ताक्षर करने से मना कर देते हैं, बल्कि वो स्पीकर से जवाब भी तलब भी करते हैं, जो कि राज्य की विधायिका का अपमान तो है ही साथ उसकी वैधानिक स्थिति के भी खिलाफ है।