कांग्रेस ने ममता बनर्जी को दिया घर वापसी का ऑफ़र, TMC चाहती है महागठबंधन बनाना

तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस और लेफ़्ट के साथ मिलकर महागठबंधन का प्रस्ताव दिया, जिसे दोनों ही दलों ने ठुकरा दिया है

Updated: Jan 14, 2021, 06:32 AM IST

Photo Courtesy: Aaj Tak
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कोलकाता। कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में महागठबंधन बनाने के ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के प्रस्ताव के जवाब में उन्हें घर वापसी का ऑफ़र दे दिया है। लेफ़्ट ने भी ममता के इस ऑफ़र को ठुकरा दिया है। दरअसल,  पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आक्रामक तेवर देखकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कांग्रेस और लेफ़्ट की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। लेकिन राज्य की सियासत में लंबे अरसे से एक-दूसरे के ख़िलाफ़ रहे इन दलों का साथ आना फ़िलहाल मुमकिन नहीं लग रहा है। ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई और तब से वे प्रदेश में कांग्रेस की ज़मीन हथियाने की राजनीति करती रही हैं। जबकि लेफ़्ट को तो ममता बनर्जी ने दशकों बाद सत्ता से बेदख़ल करने का काम किया है। ऐसे में पुरानी बातें और आपसी सियासी प्रतिस्पर्धा भुलाकर तीनों का साथ आना आसान नहीं होगा।

हालाँकि कांग्रेस ने तृणमूल के ऑफ़र पर जो जवाब दिया है, वो दिलचस्प है। तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में बीजपी के मजबूत होने के लिए ममता बनर्जी की पार्टी को ही जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, ''हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 साल से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों दिखा रही है। अगर ममता बनर्जी वाकई बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहती हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का वही एकमात्र देशव्यापी मंच है।''

सीपीएस के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने भी ममता बनर्जी के प्रस्ताव पर हैरानी ज़ाहिर की है। उनका कहना है कि तृणमूल कांग्रेस हमेशा पश्चिम बंगाल में लेफ़्ट और कांग्रेस की राजनीतिक ताक़त को सिरे से ख़ारिज करती रही हैं। वो कहती रही हैं कि राज्य में लेफ़्ट और कांग्रेस की कोई राजनीतिक हैसियत ही नहीं रह गई है। ऐसे में अब वे लेफ़्ट और कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए क्यों परेशान हैं। उन्होंने कहा कि ममता की इस कोशिश से साफ़ है कि राज्य में लेफ़्ट अब भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने भरोसा ज़ाहिर किया कि आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और लेफ़्ट मिलकर बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस दोनों को हराने में सफल रहेंगे।

ममता, लेफ़्ट और कांग्रेस के बीच इस ज़ुबानी जंग ने बीजेपी को निशाना साधने का एक और मौक़ा मिल गया है। पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ममता की लेफ़्ट और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाने की कोशिश को उनकी हताशा का सबूत बता रहे हैं। बीजेपी का दावा है कि टीएमसी की महागठबंधन बनाने की कोशिश बता रही है कि वे हमसे अकेले नहीं लड़ सकते हैं। इसीलिए दूसरे दलों से मदद मांग रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और लेफ़्ट फ्रंट ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। पिछले लोकसभा चुनाव में लेफ़्ट फ़्रंट को कोई सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस सिर्फ दो सीटें हासिल कर पाई थी। इनके मुकाबले बीजेपी को 18 और तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं। लेकिन कई राज्यों के चुनावी नतीजे बताते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों के समीकरण काफ़ी अलग होते हैं। ऐसा कई बार हो चुका है कि मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी को ज़्यादा सीटें दी हों लेकिन विधानसभा में हालात कुछ अलग नज़र आते हैं। पश्चिम बंगाल में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को 294 में से 211 जबकि कांग्रेस और लेफ़्ट को मिलाकर 76 सीटें मिली थीं।