UGC Exam 2020: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 14 अगस्त तक टली  

Final year exams: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की गाइडलाइंस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर Supreme Court में हुई सुनवाई

Updated: Aug 11, 2020, 01:04 AM IST

photo courtesy:  Live Law
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नई दिल्ली। देश भर के विश्वविद्यालयों में यूजीसी द्वारा परीक्षाओं के आयोजन के निर्णय के खिलाफ दायर सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी। न्यायालय ने सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए टाल दी है। दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार द्वारा परीक्षाएं रद्द करने के फैसले पर कोर्ट ने यूजीसी और सरकार को शुक्रवार तक अपना हलाफनामा दायर करने के लिए कहा है। 

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई की। आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूजीसी और केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा अंतिम वर्ष के परीक्षाओं के आयोजन पर रोक लगाने पर अपना हलफनामा अदालत में पेश करने के लिए शुक्रवार तक का समय मांगा। कोर्ट ने मेहता को शुक्रवार तक का समय देते हुए मामले की सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए टाल दी। 

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के अनुसार सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली सरकार ने स्टेट यूनिवर्सिटी की परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है, जो कि यूजीसी के दिशानिर्देश के खिलाफ है। अदालत में यूजीसी और केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकार यूजीसी का नियम नहीं बदल सकती। मेहता ने कहा कि परीक्षा को लेकर फैसला लेने का अधिकार केवल यूजीसी का है। क्योंकि छात्रों को डिग्री यूजीसी देती है। 

इससे पहले मामले की पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में विद्यार्थियों का पक्ष रख रहे अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि देश भर के तमाम विश्वविद्यालयों के पास ऑनलाइन परीक्षाओं के आयोजन हेतु सक्षम आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, जिससे शैक्षिक संस्थान परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित करा सकें। 

देश भर के विश्वविद्यालयों के कुल 31 छात्रों ने यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी किए गए उस दिशानिर्देश के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है। जिसमें यूजीसी ने स्नातक तथा स्नातकोत्तर के अंतिम वर्ष के परीक्षाओं का आयोजन 30 सितम्बर तक करने के लिए कहा है। रेखांकित करने योग्य बात यह है कि याचिकाकर्ता छात्रों में से एक छात्र कोरोना पॉजिटिव है। अपनी याचिका में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कोरोना काल में परीक्षाओं के आयोजन से बीमारी के फैलने की पूरी संभावना है। ऐसे में यूजीसी का फैसला संविधान में वर्णित अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन के अधिकार का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन करता है।