तवांग मामले पर संसद में जोरदार हंगामा, चर्चा के लिए तैयार नहीं मोदी सरकार, 17 विपक्षी दलों ने किया वॉकआउट

विपक्ष ने बुधवार को चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर चर्चा से इनकार किए जाने के बाद संसद से वॉकआउट किया। राज्यसभा से 17 विपक्षी दलों ने एकजुट होकर सदन की कार्यवाही का बहिष्‍कार करने का फैसला किया।

Updated: Dec 14, 2022, 11:06 AM IST

नई दिल्ली। अरूणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना और चीन की सेना के बीच हुई झड़प का मुद्दा दूसरे दिन भी संसद में खूब गूंजा। दूसरे दिन भी विपक्ष ने सदन में जोरदार हंगामा किया और मुद्दे पर चर्चा की मांग की। लेकिन सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं हुई, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा से कांग्रेस समेत विपक्ष के 17 दलों ने वॉकआउट किया।

बुधवार को सदन से अधीर रंजन चौधरी, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य कांग्रेस सांसदों और टीएमसी सांसदों ने भी इस मुद्दे पर वॉकआउट किया। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जब इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की, तो उपसभापति ने कहा कि रक्षा मंत्री मंगलवार को पहले ही बयान दे चुके हैं। खड़गे ने तर्क दिया कि ऐसे कई तथ्य हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया है और सदस्य और लोग तथ्यों को जानना चाहते हैं। इसलिए चर्चा की अनुमति दी जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें: कमलनाथ ने चुनावी वादों की लगाई झड़ी, अब प्रत्येक ग्राम पंचायत में गौशाला निर्माण का किया ऐलान

हंगामे के बीच 17 विपक्षी दलों ने एकजुट होकर सदन की कार्यवाही का बहिष्‍कार करने का फैसला किया और सदन से वाकआउट कर गए। इस दौरान विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की। इससे पहले विपक्षी दलों ने खड़गे के साथ बैठक की और दिन के सत्र के लिए रणनीति तैयार की। मामले पर कांग्रेस सांसद सैयद नासर हुसैन ने कहा कि चीनी सर्किट के मसले पर राज्यसभा में चर्चा की मांग को लेकर 17 विपक्षी पार्टियों ने वॉकआउट किया। हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री चीनी प्रश्नों को लेकर उठ रहे हैं गंभीर सवालों के जवाब संसद में दें। रक्षा मंत्री में सिर्फ दो पैराग्राफ का जवाब दिया जो नाकाफी है।

बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को चीनी अतिक्रमण पर संसद में बयान दिया था। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की यथास्थिति को बदलने की कोशिश को विफल कर दिया है। उन्होंने कहा कि सेना ने कड़ा जवाब दिया और पीएलए को अपने कैंप में लौटने के लिए मजबूर कर दिया। सरकार सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। मैं सदन को विश्वास दिलाता हूं कि इस संघर्ष के दौरान कोई भी सैन्यकर्मी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ है।