पीथमपुर में सफेद कबूतर पर काला निशान लगाकर उड़ाए, जहरीला कचरा जलाने का असर जांचने अनोखा प्रयोग

यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का असर क्या होगा इसे लेकर लोगों के मन में अभी कई कई शंका-आशंकाएं है। इसे जानने के लिए लोगों ने देसी तरीका अपनाया है। इसके लिए दो सफेद कबूतर पर काला निशान लगाकर उन्हें उड़ाया गया है।

Updated: Mar 01, 2025, 03:15 PM IST

पीथमपुर। पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड का 10 टन केमिकल वेस्ट जलाने की प्रक्रिया दूसरे दिन भी जारी है। हर घंटे 135 किलो वेस्ट जलाया जा रहा है। शनिवार सुबह 10 बजे तक 2430 किलो कचरा जलाया जा चुका है। शुक्रवार दोपहर 3 बजे से प्रक्रिया शुरू की गई थी। रातभर प्लांट चलता रहा। यह प्रक्रिया 3 मार्च तक चलेगी। इधर, इसका असर जानने के लिए सफेद कबूतर पर काला निशान लगाकर उड़ाए गए हैं।

दरअसल, यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने का असर क्या होगा इसे लेकर लोगों के मन में अभी कई कई शंका-आशंकाएं है। इसे जानने के लिए लोगों ने देसी तरीका अपनाया है। इसके लिए दो सफेद कबूतर पर काला निशान लगाकर उन्हें उड़ाया गया है। लोगों का मानना है कि कबूतर का स्वास्थ्य, कचरा जलाने का क्या असर हो रहा है, इसकी जानकारी देगा।

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प्रज्ञा सागर संस्था के जगमोहन सोन और योगाचार्य प्रदीप दुबे ने इसका असर देखने के लिए यह देसी उपाय किया। उन्होंने तारपुरा से दो कबूतर लिए। उन पर काला निशान लगाया और फिर रामकी एनवायरो प्लांट क्षेत्र में छोड़ दिए। दोनों समाजसेवियों का कहना है कि यह कबूतर प्रदूषण की जानकारी देंगे। बर्ड वॉचिंग मॉनिटरिंग कैंप के माध्यम से निगरानी कर इन पर होने वाले प्रभावों की जांच की जाएगी। इनके स्वास्थ्य के हिसाब से मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्ययन कर पाएंगे।

रामकी प्लांट के पास 500 से ज्यादा पुलिस बल तैनात है। रोजाना की तरह बाजार खुले हैं। तारपुरा गांव में भी हालात सामान्य हैं। हालांकि लोगों में दहशत है, लेकिन खुलकर बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है। पीथमपुर बचाओ समिति के अध्यक्ष हेमंत हीरोले ने बताया कि कानूनी सलाह लेकर आगामी दिनों में जबलपुर हाईकोर्ट में फिर से पक्ष रखेंगे। कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। इधर, महाराणा प्रताप बस स्टैंड पर कुछ महिलाएं विरोध जताने पहुंच गईं। सिर पर काली पट्टी बांध कर महिलाएं नारेबाजी कर रही हैं। पुलिस अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में महिला पुलिस मौजूद है।

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रीजनल अफसर श्रीनिवास द्विवेदी के मुताबिक इस काम में 20 से 30 लोगों का स्टाफ लगा है। हर 8 घंटे में शिफ्ट बदली जा रही है। भोपाल और दिल्ली से भी प्रदूषण विभाग निगरानी कर रहा है। तय मापदंड के अनुसार ही कचरे को इंसीनरेटर में डाला जा रहा है। कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग की जा रही है। हर घंटे का डेटा तैयार किया जा रहा है। इंसीनरेटर में डालने के लिए 4.5 किलोग्राम वेस्ट में 4.5 किलोग्राम चूना मिलाकर यानी 9 किलोग्राम के बैग बनाए गए हैं। एक घंटे में 30 बैग इंसीनरेटर के प्राथमिक दहन कक्ष में डाले जा रहे हैं।