दोबारा कोरोना ना होने का सबूत नहीं

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर की सरकारों के चेतावनी दी है कि वे ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ या ‘रिस्क फ्री सर्टिफिकेट’ ना बाटें.

Publish: Apr 26, 2020, 06:43 AM IST

Medics undergo a mock-drill to treat COVID-19 patients (Photo: PTI)
Medics undergo a mock-drill to treat COVID-19 patients (Photo: PTI)

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि अभी इसका कोई सबूत मौजूद नहीं है कि COVID-19 से उबर चुका और एंटीबॉडी विकसित कर चुका व्यक्ति दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हो सकता है.

संस्था ने दुनिया भर की सरकारों के चेतावनी दी है कि वे ‘इम्युनिटी पासपोर्ट’ या ‘रिस्क फ्री सर्टिफिकेट’ ना बाटें. संस्था का कहना है कि इससे संक्रमण के फैलने का खतरा और बढ़ जाएगा क्योंकि सर्टिफिकेट पाने वाले लोग बेपरवाह हो सकते हैं.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक बयान में कहा, “कुछ सरकारों ने कहा कि अगर कोरोना वायरस के खिलाफ लोगों में एंटीबॉडी पाई जाती हैं, तो उन्हें इम्युनिटी पासपोर्ट दिए जा सकते हैं. जिससे वे काम पर जा सकते हैं या यात्रा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें लगेगा कि अब दोबारा संक्रमण नहीं हो सकता. लेकिन अभी इस बात के सबूत मौजूद नहीं हैं कि कोरोना के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर चुके लोग दोबारा इससे संक्रमित नहीं हो सकते.”

दक्षिण अमेरिकी देश चिली ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि कोविड-19 से उबर चुके लोगों को हेल्थ पासपोर्ट दिए जाएंगे. चिली में सरकार ने कहा कि एकबार यह पता लगा लिया गया कि लोगों ने एंटीबॉडी विकसित कर ली है तो उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा ताकि वे काम पर वापस लौट सकें.

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विश्व स्वास्थ संगठन ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास पर अध्ययन किया जा रहा है. अभी तक जो परिणाम सामने आए है वो यह बताते हैं कि इस बीमारी से उबर चुके लोगों में एंटीबॉडी विकसित हो रही हैं. हालांकि, उनमें से कुछ लोगों में इनका स्तर कम है, जिसका मतलब कि उन्हें पूरी तरह से उबरने के लिए कोशिकीय रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी जरूरत है.