सिंधिया की जगह कौन होगा राज्यसभा का सदस्य, भाजपा के इन नेताओं का नाम रेस में शामिल

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट खाली है। यह ज्योतिरादित्य सिंधिया की सीट थी। सीट खाली होने के बाद चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू हो जाएगी।

Updated: Jun 13, 2024, 02:12 PM IST

भोपाल। लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब मध्य प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। कहीं विधानसभा सीट 4रिक्त हो गई हैं, तो कहीं राज्यसभा सीटों पर भी निर्वाचन होगा। सत्तारूढ़ भाजपा सहित कांग्रेस भी अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है। ऐसे में एक सीट काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। वह है मध्य प्रदेश की राज्यसभा सीट, जो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद रिक्त हो गई है।

भारतीय जनता पार्टी के भीतर राज्यसभा के दावेदारों की लिस्ट भी बढ़ने लगी है। भाजपा इस सीट से किसी वरिष्ठ नेता को राज्यसभा भेजने का मन बना रही है। हालांकि, गुना लोकसभा सीट से पूर्व सांसद केपी यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य सिंधिया को टिकट दिया गया था। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अशोक नगर में केंद्रीय मंत्री अमित शाह एक सभा में पूर्व सांसद केपी यादव को दिल्ली ले जाने का संकेत दे चुके हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा यादव को राज्यसभा का टिकट दे सकती है। ऐसे में सबसे पहली दावेदारी केपी के नाम की है।

इसके अलावा पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया और शिवराज सिंह चौहान के लिए विदिशा से सीट छोड़ने वाले पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव का नाम भी रेस में शामिल है। यदि सामान्य वर्ग से टिकट दिया गया तो इन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के नाम की भी चर्चा है। उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण चुनाव से दूर रहीं। ऐसे में वह भी राज्यसभा ki दावेदारी कर सकती हैं।

इससे पहले मध्य प्रदेश के 5 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2 अप्रैल 2024 को समाप्त हुआ था। इसमें भाजपा के चार सांसद धर्मेंद्र प्रधान, डॉ. एल मुरुगन, अजय प्रताप सिंह और कैलाश सोनी थे, जबकि कांग्रेस के राजमणि पटेल राज्यसभा सांसद थे। तब भाजपा ने 4 सीटों में से 3 पर ओबीसी से बंशीलाल गुर्जर, दलित समाज से उमेश नाथ महाराज और महिला कोटे से माया नारोलिया को उम्मीदवार बनाया और राज्यसभा में भेजा। डॉ मुरुगन को फिर से मध्यप्रदेश के कोटे से राज्यसभा में भेजा था। इस बार जातीय समीकरण के हिसाब से अब ठाकुर या ब्राह्मण को मौका दिया जा सकता है।