दफ्तर दरबारी: अब तक 51, बीजेपी में आने के बाद भी नहीं धुले आईएएस के दाग

MP News: कहते हैं कि बीजेपी में आने के बाद दाग कैसे भी हों धुल जाते हैं मगर पूर्व आईएएस वेदप्रकाश के साथ ऐसा नहीं हुआ। उन पर तो सिर मुंडाते ही ओले पड़े वाली कहावत सिद्ध हो गई। बीजेपी में आते ही पुराने मामले ताजा हो गए। दूसरी तरफ ब्‍यूरोक्रेसी का राजनीतिक व्‍यवहार सीनियर अफसरों को ही रास नहीं आ रहा है।

Updated: Aug 26, 2023, 05:29 PM IST

बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह के साथ पूर्व आईएएस वेदप्रकाश
बीजेपी नेता नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह के साथ पूर्व आईएएस वेदप्रकाश

मध्‍य प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस वेदप्रकाश शर्मा बड़े अरमानों के साथ बीजेपी में शामिल हुए थे। जबलपुर महापौर पद के लिए बीजेपी के टिकट के दावेदान वेदप्रकाश शर्मा ने विधानसभा चुनाव का इंतजार किया। चुनाव के ठीक पहले वे बीजेपी में शामिल भी हो गए लेकिन पार्टी की सदस्‍यता लेते ही उनके खिलाफ जांच शुरू हो गई। इस तरह वे प्रदेश के 51 वे आईएएस हो गए हैं जिनके खिलाफ लोकायुक्‍त जांच कर रहा है। 

राजनीतिक रूप से आरोप लगते हैं कि बीजेपी में आते ही सारे दाग धुल जाते हैं लेकिन आईएएस वेद प्रकाश शर्मा के साथ ऐसा नहीं हुआ। उलटा बीजेपी में आने के तीन दिनों बाद ही उन पर 2022 में की गई एक शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया। आरोप है कि उन्होंने बेगूसराय के रहने वाले अपने रिश्तेदार रौनक सिंह को नियम के खिलाफ जाकर शस्त्र लाइसेंस दिलवाने के लिए फर्जी आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आइडी कार्ड तैयार करवाए थे। 

जबलपुर पश्चिम सीट से टिकट मांग रहे वेद प्रकाश का कहना है कि यह सब राजनीतिक षड्यंत्र के तहत हो रहा है। हैरानी यह है कि बीजेपी की सरकार में ही बीजेपी में शामिल हुए नेताजी के खिलाफ षड्यंत्र कौन कर रहा है?

लोकायुक्‍त इस मामले को दर्ज करने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे उन सभी मामलों का क्‍या जो अफसरों के खिलाफ लोकायुक्‍त में जारी हैं। अभी लोकायुक्त संगठन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस सहित कुल 50 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ 37 प्रकरणों में जांच कर रहा है। ये बात और है कि अधिकांश मामलों में लोकायुक्‍त को राज्‍य सरकार से प्रकरण चलाने की अनुमति नहीं मिली है और लोकायुक्‍त ने जांच की कोई समय सीमा भी तय नहीं की है। मगर दाग तो दाग हैं जो बताते हैं कि अफसर दूध के धुले नहीं हैं। 

हताश अफसर निशा बांगरे में ढूंढ़ रहे अपनी राह  

निशा बांगरे याद होगी आपको अपने नए गृह प्रवेश के लिए छुट्टी नहीं मिलने पर डिप्‍टी कलेक्‍टर पद से इस्‍तीफा देनी वाली राज्‍य प्रशासनिक सेवा की अफसर निशा बांगरे फिर चर्चा में है। निशा बांगरे ने लोकायुक्त को मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और बैतूल कलेक्टर अमनवीर सिंह बैंस के खिलाफ लोकायुक्‍त में शिकायत की है। कलेक्‍टर अमनवीर सिंह बैंस मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस के बेटे हैं। 

निशा बांगरे का इस्‍तीफा अभी स्‍वीकार नहीं हुआ है लेकिन अब उन्‍होंने आरोप लगाया है कि सीएस और कलेक्‍टर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए उनके संविधानिक अधिकारों का हनन किया है। निशा बांगरे की शिकायत है कि कलेक्‍टर ने उन्‍हें अंतराष्ट्रीय सर्वधर्म शांति सम्मेलन में भाग लेने तथा भगवान बुद्ध की विचाराधारा से प्रेरित होकर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेकर पूजा करने से रोका। अब सीएस इकबाल सिंह बैंस के निर्देश पर इस्तीफा देने के बाद भी पिछली तारीखों में नोटिस जारी कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। 

राजनीति में आने की तैयारी कर रही डिप्‍टी कलेक्‍टर निशा बांगरे की इस शिकायत पर लोकायुक्‍त क्‍या कार्रवाई करेगा यह अलग मुद्दा है मगर निशा बांगरे के इस कदम से वे परेशान अफसर अपने लिए राहत की राह खोज रहे हैं जो अपने वरिष्‍ठ आईएएस अफसरों के कोपभाजक बने हुए हैं। राज्‍य प्रशासनिक सेवा तथा प्रमोट हो कर आईएएस बने ऐसे कई अफसर हैं जिनकी सीधी भर्ती के आईएएस से पटी नहीं है और जवाब में उन्‍हें न केवल लूप लाइन में भेज दिया गया है बल्कि वे कई तरह की जांच और कोर्ट के मामले झेल रहे हैं। जांच और कोर्ट मामलों में चक्‍कर लगा रहे इन हताश अफसरों को उम्‍मीद है कि निशा बांगरे मामला उनकी परेशानी हल करने का माध्‍यम बन सकता है।  

ठुकराए लोगों को आखिरी में सहारा 

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्‍वस्‍त रहे आईएएस एसके मिश्रा का लंबे समय बाद ‘पुनर्वास’ हुआ है। हालांकि, उनकी वापसी किसी सरकारी ओहदे पर नहीं हुई है बल्कि वे स्‍वयंसेवी संगठन जन परिषद में उपाध्‍यक्ष के रूप में सार्वजनिक जिम्‍मेदारी संभालेंगे। 

प्रमोटी आईएएस एसके मिश्रा विधानसभा चुनाव 2018 के पहले तक मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव हुआ करते थे। 1991 बैच के आईएएस अफसर मिश्रा पहले ऐसे आईएएस अफसर है जिन्हें शिवराज सरकार ने रिटायर होने के बाद प्रमुख सचिव के पद पर संविदा नियुक्ति प्रदान की थी। इसी बात से उनकी हैसियत समझी जा सकता थी लेकिन हनी ट्रेप मामले में नाम आने के बाद उनके बुरे दिन शुरू हो गए। पद से विदाई हुई और वे लंबे समय से अज्ञातवास में रहे। यहां तक कि मार्च 2020 में जब शिवराज सिंह चौहान ने फिर सत्‍ता संभाली तो कयास लगाए गए थे कि सीएम के खास रहे अफसरों की वापसी होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रिटायर्ड आईएएस एसके मिश्रा का पुनर्वास नहीं हुआ।

अब पता चला है कि एसके मिश्रा का अखिल भारतीय स्तर की सामाजिक संस्था जनपरिषद के उपाध्‍यक्ष बनाया गया है। यह संस्‍था लायंस और रोटरी क्‍लब की तरह कार्य करती है। पूर्व डीजीपी एनके त्रिपाठी इसके अध्‍यक्ष हैं। इस तरह सामाजिक कार्यों के जरिए एसके मिश्रा की सक्रियता बढ़ेगी। 

छवि की चिंता नहीं, अब अफसरों को सरकार बचाने की चिंता 

लोकतंत्र का तीसरा स्‍तंभ कार्यपालिका देश और जनता के प्रति जवाबदेह है, किसी पार्टी या विचार के प्रति नहीं। इसी ध्‍येय का पालन करती आ रही ब्‍यूरोक्रेसी को अब लगता है कि अपने पद और गरिमा की चिंता नहीं रही है। जिन अफसरों को निरपेक्ष रहना चाहिए वे खुल कर राजनीतिक स्टैंड ले रहे हैं। 

इस हफ्ते शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य का एक वीडियो वायरल हुआ। मुख्‍यमंत्री के रोड शो के पहले हुई इस बैठक के दौरान कलेक्‍टर अपने अधीनस्‍थ अधिकारियों को रोड शो में ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने के लिए कह रही हैं। कलेक्टर कहती दिखाई दे रही थी कि आप सबको रोड शो मे भीड़ लाना है। इसके लिए बच्चों को भी लेकर आए ताकि भीड़ दिखे। सीएम की चुनावी सभा के लिए भीड़ जुटाने की कलेक्‍टर की चिंता को देख कांग्रेस ने तंज किया कि अब लोगो की भीड़ जमा करने मे बीजेपी के पसीने छूट रहे है। इसके पहले पन्‍ना में कलेक्‍टर रहे आईएएस संजय कुमार मिश्र को कहते सुना गया था कि प्रदेश में अगले 25 सालों तक बीजेपी की सरकार रहेगी।  

इधर ब्राह्मणों पर किताब लिख चुके आईएएस नियाज खान कांग्रेस नेता अजीज कुरैशी को जवाब देने मैदान में उतर आए। पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने कहा था कि कांग्रेस के लोग बात करते हैं हिंदुत्व की यात्राओं की, जय गंगा मैया और जय नर्मदा मैया बोलना, ये शर्म की बात है। कांग्रेस के लोग यात्रा निकालते हैं गर्व से कहते हैं हम हिंदू हैं, यह डूब मरने की बात है। हमारे पीसीसी दफ्तर में मूर्तियां बैठाते है, ये डूब मरने की बात है। डरने की जरुरत नहीं हमें पार्टी से निकाल दें। 

बीजेपी ने इस बयान पर राजनीतिक हमले किए ही थे लेकिन इस राजनीतिक बतंगड में आईएएस नियाज खान जवाब देने आ गए। उन्‍होंने ट्वीट किया कि भारत 80 प्रतिशत हिंदुओं का देश है एवं राजनीतिक दल इनका प्रतिनिधित्व भी करते हैं। अगर ये पार्टियां हिंदुओं की बात नहीं करेंगी तो किसकी बात करेंगी? हिंदू विश्व की सबसे सहनशील कौम है और यह कौम सबसे प्रेम करती है। मुसलमानों को समझना और दिल बड़ा करना पड़ेगा।

अनेक वरिष्‍ठ अफसर व्‍यक्तिगत आस्‍था और विचारों को इस तरह सार्वजनिक रूप से व्‍यक्‍त करने को बेहतर वर्क कल्‍चर नहीं मानते हैं। उनकी दृष्टि में यह निष्‍पक्ष और तटस्‍थ ब्‍यूरोक्रेसी का उदाहरण नहीं है।