दफ्तर दरबारी: चुनावी समीकरण में सामंजस्य की जुगत, प्रमोटी आईएएस पर भरोसा
MP News: यूं तो मध्य प्रदेश के कई आईएएस-आईपीएस मनमाफिक पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं लेकिन उनकी मुराद पूरी नहीं हुई है। इसबीच, श्योपुर के कलेक्टर को बदल दिया गया है। आठ माह में ही इस ‘बदनाम’ आईएएस के बदले जाने का राज भी गहरा है।
विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में जल्द उपचुनाव होना है। यहां से कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए वनमंत्री रामनिवास रावत चुनाव लडेंगे। वनमंत्री रामनिवास रावत की जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी सरकार और संगठन कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। उनकी राह के कांटें निकालने के लिए टिकट के दावेदार प्रभावशाली नेता बीजेपी के पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी को पिछले सप्ताह सहरिया विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त करते हुए मंत्री का दर्जा दे दिया गया।
अब दो जिलों कलेक्टर बदलने के आदेश हुए तो यही माना गया कि सरकार विजयपुर में चुनावी जमावट कर रही है। सरकार ने श्योपुर कलेक्टर सीधी भर्ती के आईएएस लोकेश जांगिड़ को बदल कर प्रमोटी आईएएस किशोर कन्याल को नया कलेक्टर बनाया है। चुनाव के दौरान कलेक्टर का निर्णय अहम् होता है। चुनावी समीकरण में सामंजस्य बैठाने की कोशिशों के तहत ही डायरेक्ट आईएएस की जगह प्रमोटी आईएएस को कलेक्टर बनाया गया है।
इसे यूं समझिए कि 014 बैच के आईएएस लोकेश जांगिड़ दबाव में काम करने के आदी नहीं हैं। वे अपनी नौकरी की अब तक की अवधि में ऑन लाइन ठगी सहित कई विवादों के कारण चर्चा में रहे हैं। जून 2021 में भी वे सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने स्वयं आईएएस एसोसिएशन के ग्रुप में लिख दिया था कि तत्कालीन बड़वानी कलेक्टर पैसा नहीं खा पा रहे थे, इसलिए उन्होंने तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के कान भर दिए। दोनों ही किरार समाज से हैं। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद उनका पोस्ट डिलीट करा दिया गया था। बाद में बड़वानी अपर कलेक्टर लोकेश जांगिड़ का तबादला कर दिया गया था।
शुरुआती नौकरी के चार सालों में आठ बार तबादले झेलने वाले आईएएस लोकेश जांगिड़ का आठ माह बाद ही श्योपुर पद से हटा दिया गया है। इसबार उनका तबादला किसी शिकायत के कारण नहीं बल्कि उनके कार्य व्यवहार के इतिहास को देखते हुए किया गया है। उनकी जगह भेजे गए प्रमोटी आईएएस किशोर कन्याल वन विभाग में उप सचिव थे। जाहिर है, उनकी वनमंत्री रामनिवास रावत से अच्छी पटरी बैठती है। सत्ता व संगठन को उम्मीद है कि यह सामजस्य आगे काम आएगा।
दूसरी बार छुट्टी के दिन आईपीएस को दिया गया पद
एमपी सरकार ने आईपीएस योगेश देशमुख को अहम जिम्मेदारी सौंपी हैं। वे अब एडीजी इंटेलीजेंस होंगे। आईपीएस योगेश देशमुख अब तक पुलिस मुख्यालय के सायबर सेल में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पदस्थ थे। वे एडीजी इंटेलीजेंस रहे जयदीप प्रसाद की जगह लेंगे। जयदीप प्रसाद 18 दिन पहले लोकायुक्त का प्रभारी डीजी नियुक्त किया गया था। उनके तबादले के बाद से एडीजी इंटेलीजेंस जैसा संवेदनशील पद रिक्त था।
गृह विभाग ने आईपीएस योगेश देशमुख की नियुक्ति के आदेश छुट्टी के दिन दफ्तर खोल कर देर रात जारी किए। यह दूसरी बार है जब आईपीएस योगेश देशमुख के तबादले के लिए छुट्टी के दिन ऑफिस खोल गया। इसके पहले सिंतबर 2020 में छुट्टी के दिन ही दफ्तार खोल कर आईपीएस योगेश देशमुख का तबादला आईजी भोपाल से आईजी इंदौर किया गया था।
यह भी संयोग है कि आईपीएस योगेश देशमुख दूसरी बार आईपीएस जयदीप प्रसाद की जगह लेंगे। इसके पहले जून 2019 में उन्हें तत्कालीन आईजी जयदीप प्रसाद की जगह भोपाल का आईजी बनाया गया था। अब वे जयदीप प्रसाद की जगह एडीजी इंटेलीजेंस बनाए गए है।
एडीजी इंटेलीजेंस के पद पर योगेश देशमुख की आमद की इसलिए चर्चा हैं क्योंकि प्रदेश में 24 सितंबर से एडीजी इंटेलीजेंस का पद खाली पड़ा था। गुप्तचर विभाग का कार्य त्यौहार के दिनों में अहम् होता है। भोपाल में ड्रग्स फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद से एमपी सरकार के इंटेलीजेंस विभाग और उसकी गतिविधियों पर सवाल उठे थे। फिर छत्तीगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद भी इंटेलीजैंस की सक्रियता की आवश्यकता महसूस की गई थी। इंदौर, भोपाल, उज्जैन में आईजी रहे योगेश देशमुख पर अब दायित्व आया है कि वे खुफिया विभाग की गतिविधियों में सटिकता लाएं ताकि सरकार की किरकिरी न हो।
कलेक्टर और सीईओ हाजिर हों
सात साल पुराने एक मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने धार जिले के कलेक्टर प्रियांक मिश्र और जिला पंचायत के मुख्य तत्कालीन कार्यपालन अधिकारी शृंगार श्रीवास्तव को हाजिर करने के आदेश देते हुए उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने को कहा है। ये अफसर कोर्ट के आदेश के बाद भी एक छोटे से कर्मचारी को राहत देने को तैयार नहीं है।
मामला कुछ यूं हैं कि ग्राम पंचायत नालछा जिला धार में मिथुन चौहान ग्राम रोजगार सहायक के पद पर कार्यरत था। 25 फरवरी 2017 को बीमारी के कारण वह एक दिन ड्यूटी पर नहीं आया तो उसे हटा दिया गया। जांच और सुनवाई का मौका दिए बिना हटाने पर मिथुन चौहान ने अपील की लेकिन अपील भी निरस्त कर दी गई। 2019 में मिथुन ने हाईकोर्ट में रिट याचिका प्रस्तुत की। हाईकोर्ट ने 22 अगस्त 2023 को उसे हटाने के आदेश को निरस्त कर कहा कि मिथुन को हटाने की अवधि का आधा वेतन देकर काम पर रखा जाए। इस आदेश को चुनौती दी गई लेकिन सरकार तब भी हार गई।
3 जुलाई 2024 को अपील निरस्त होने के बाद भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया। तब 4 अक्टूबर 2024 को न्यायालय ने कहा कि कलेक्टर तथा तत्कालीन सीईओ उसके समक्ष उपस्थित रहें। तब भी कोर्ट के आदेश को नहीं माना गया। अब न्यायालय ने कहा है कि कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाए।
बार-बार के आदेश के बाद भी अफसर हाईकोर्ट की सुन नहीं रहे हैं और एक अदने से कर्मचारी को राहत नहीं दे रहे हैं। जैसे छोटे से कर्मचारी के हक को लौटाना अधिकारियों ने अपनी अना का विषय बना लिया है। अफसरों का यह व्यवहार भी पहली बार सामने नहीं आया है। बीते कुछ माह में कई बार कलेक्टरों के व्यवहार पर हाईकोर्ट तीखी टिप्पणियां कर चुका है। मगर अफसरों की सेहत पर इसका कोई असर नहीं होता।
न संविधान, न सत्ता, न जनता, अफसरों की मनमर्जियां
गिरफ्तारी वारंट जारी होना अफसरों की मनमानी का इकलौता सबूत नहीं है। मध्यप्रदेश ब्यूरोक्रेसी की मनमानी और भ्रष्टाचार का आलम यह है कि अफसर न संविधान की मान रहे हैं, न सत्ता की। वे जनता की भी नहीं सुन रहे हैं। आलम यह है कि ‘अफसर सुनते नहीं’ जैसी शिकायतें करने वाले बीजेपी विधायक अब अफसरों के आगे दंडवत हो रहे है। मृत्यु के बाद मौत का कारण लिखने के लिए ग्रामीणों से रिश्वत मांगी जा रही है और इस मामले पर अपनी ही सरकार में सुनवाई न होने से त्रस्त बीजेपी विधायक इस्तीफा तक देने को मजबूर हैं।
अपनी ही सरकार में ब्यूरोक्रेसी के व्यवहार पर छह बीजेपी विधायक नाराजगी जता चुके हैं। सागर के केसली में बीजेपी विधायक ब्रजबिहारी पटेरिया को अपने समर्थकों के साथ थाने के बाहर धरने पर बैठना पड़ा वे डॉक्टर पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे। विधायक का कहना था कि डॉक्टर मौत का कारण लिखने के लिए रिश्वत मांग रहे हैं और पीएम रिपोर्ट नहीं दे रहे हैं। एक महीने से परिवार अस्पताल का चक्कर लगा रहा है। नाराज विधायक ने धरना स्थल से ही विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया। हालांकि सुबह में उन्होंने वापस ले लिया है।
मऊगंज के बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल नशे की लत से परेशान हैं। उनका आरोप है कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। इसके बाद वह एएसपी के सामने दंडवत हो गए और कहने लगे कि मुझे गुंडों से मरवा दो। मैं आवाज उठा रहा हूं और आपलोग कार्रवाई नहीं कर रहे। नशाखोरी और जुआ के बढ़ते चलन से नरयावली विधायक प्रदीप लारिया भी नाराज हैं। शिकायत अनसुनी रही तो वे खुद ही थाने पहुंच गए। उनका कहना है कि पुलिस अनदेखी कर रही हैं।
विजयराघवगढ़ से बीजेपी विधायक संजय पाठक के आधार कार्ड का पता बदल गया है। वह भी अपनी ही सरकार में जान को खतरा बता रहे हैं। बीजेपी के सबसे वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव और विधायक अजय विश्नोई ने भी सवाल उठाए हैं। अजय विश्नोई ने कहा है कि लगता है कि सरकार ड्रग्स माफिया के सामने दंडवत है।
सरकार माफिया के सामने दंडवत है और अफसर बेलगाम। यही कारण है बीजेपी विधायक अब खुलकर सामने आने लगे हैं।