भारत में जल्द होगा Cheetah Returns, अगले 5 साल में साउथ अफ्रीका से लाए जाएंगे 50 चीते

इस साल पहली खेप में 10-12 युवा चीतों का समूह लाने की है तैयारी, नर और मादा चीतों को लाकर बढ़ाया जाएगा कुनबा, राज्य और केंद्रीय वन अधिकारियों की टीम साउथ अफ्रीका ट्रेनिंग के लिए जाएगी

Updated: Jan 06, 2022, 10:00 AM IST

दिल्ली। भारत के जंगल एक बार फिर चीतों से गुलजार होने वाले हैं। विलुप्त होने के करीब 7 दशक के बाद अब चीतों को अफ्रीका से लाकर भारत के जंगलों में रखा जाएगा। इसकी तैयारी कई साल से जारी है। लेकिन कोरोना की वजह से यह मामला अटका हुआ था। लेकिन अब केंद्र सरकार ने इसके लिए एक्शन प्लान तैयार कर लिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का कहना है कि अगामी 5 वर्षों में 50 चीते भारत लाए जाएंगे। 

दरअसल बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की 19वीं बैठक ली थी। इस बैठक में पूरी कार्ययोजना बनाई गई। 1952 में विलुप्त हो चुके चीते स्वतंत्रता के बाद भारत वापसी के लिए तैयार हैं। NTCA की योजना है कि 10-12 युवा चीतों का एक समूह लाया जाएगा। जिसमें नर और मादा चीते शामिल होंगे। इनमें उन चीतों को लाया जाएगा जो प्रजनन के लिए आदर्श होंगे। इस योजना के तहत पहले साल में नामीबिया या दक्षिण अफ्रीका से एक संस्थापक पशु धन के रूप में इन्हें आयात किया जाएगा। जिन्हें मध्यप्रदेश के चंबल संभाग स्थित कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा। कूनो नेशनल पार्क करीब 750 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। यहां चौसिंगा हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर, चीतल, और जंगली सुअर बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ये सभी जानवर चीतों के लिए अच्छा शिकार साबित होते हैं।

 नर चीतों के एक समूह का चयन किया जाएगा, वहीं कोशिश रहेगी की जो मादाएं चीता भारत लाई जा रही हैं, वे एक-दूसरे से परिचित हों। ताकि वे समय आने पर प्रजनन में सहायक रह सकें। भारत में चीतों को पालने के लिए उचित प्रबंधन की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए राज्यों और राष्ट्रीय वन अधिकारियों की  टीम साउथ अफ्रीका भेजे जाने की तैयारी है। यह टीम वहां से चीतों के रखरखाव की ट्रेनिंग लेकर आएगी।

 इस टीम में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, भारतीय वन्यजीव संस्थान और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रतिनिधियों के चुनिंदा सदस्य शामिल रहेंगे। इस साल इस टीम को साउथ अफ्रीका जाना है, लेकिन इनके जाने का समय फिलहाल अभी तय नहीं किया गया है।

एक दौर था जब भारत को चीतों का घर कहा जाता था, लेकिन दिनों-दिन घटते जंगलों और शिकार की वजह से 1947 में चीते खत्म हो गए थे। जिसके बाद 1952 में चीते को भारत से विलुप्त घोषित कर किया गया था। दशको बाद  वाइल्ड लाइफ इंस्टिटयूट ऑफ इंडिया (WII) दोबारा चीता भारत में लाने का प्रयास कर रहा था। इसके लिए पूरी योजना बनाई गई। इस योजना को भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार की मंजूरी के बाद सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद अब प्रायोग के तौर पर अफ्रीका से चीता भारत लाया जा रहा है।

दुनिया में चीता को सबसे दौड़ने वाला जानवर माना जाता है। इसे एथलेटिक एनिमल भी कहा जाता है, यह अपना शिकार पाने के लिए डकिंग, डाइविंग तक करने में सक्षम है। यह 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। कहा जाता है की यह केवल 3 सेकेंड में अपनी स्पीड में 103 किलोमीटर प्रति घंटे का इजाफा कर लेता है। खबरों की मानें तो दुनिया में करीब 7,000 चीतें हैं। जिनमें से ज्यादातर साउथ अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना के जंगलों में रहते हैं।