बुर्ज खलीफा में मां दुर्गा, कोलकाता में पूजा पंडाल को दिया दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग का आकार

कोलकाता के श्रीभूमि में बना बंगाल का सबसे बड़ा पूजा पंडाल, 145 फीट ऊंचे बुर्ज खलीफा नुमा पंडाल को 2 महीने में 250 मजदूरों ने तैयार किया है, यहां दुर्गा प्रतिमा को 40 किलो सोने के असली गहने पहनाए जाएंगे

Updated: Oct 07, 2021, 11:23 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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कोलकाता। भारतीय संस्कृति में दुर्गा पूजा का बड़ा महत्व है। फिर जब बात बंगाल की हो तो वहां का दुर्गा उत्सव और ज्यादा खास हो जाता है। कोलकाता में दुर्गा मां की स्थापना के लिए खास तैयारी की गई है। यहां एक पूजा पंडाल को बुर्ज खलीफा का आकार दिया गया है। इस पंडाल की ऊंचाई 145 फीट है। इस बुर्ज खलीफा  पंडाल को खास तौर पर तैयार किया गया है। पंडाल तैयार करने में 2 महीने का समय लगा है। करीब 250 मजदूरों ने दिन-रात कड़ी मेहनत से इसे तैयार किया है।

140 फीट ऊंचे मंडप को एल्युमिनियम शीट और प्लाई से तैयार किया है। यहां 9:9 रेडियस वाला झूमर भी लगाया जा रहा है। इस पंडाल को सजाने के लिए खास तौर पर रोशनी का इंतजाम किया गया है। बुर्ज खलीफा को दुनिया की सबसे ऊंची इमारत होने का गौरव हासिल है।

यह दुबई में है, इसी की तर्ज पर श्रीभूमि में भव्य पूजा पंडाल तैयार किया गया है।बुर्ज खलीफा टावर की तर्ज़ पर दुर्गा पूजा पंडाल के लिए अभी से लोगों का जमावड़ा लगने लगा है। कोलकाता के लेक टाउन स्थित श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब की ओर से दुबई के बुर्ज खलीफा टावर जैसा दुर्गा पूजा पंडाल बनाया गया है। 

इस पंडाल में विराजी दुर्गा प्रतिमा को 40 किलो के असली गहनों से सजाया जा रहा है। कोलकाता के नामी ज्वैलर की ओर से यहां नवरात्र पर माता को सजाया जा रहा है। जिसकी सुरक्षा के लिए भी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी समेत सीसीटीवी लगाए गए हैं। 

 

पश्चिम बंगाल में हर साल नए प्रयोग किए जाते रहे हैं। नित नए आकार के सुंदर पंड़ालों में मां की स्थापना की जाती है। उनकी पूजा अर्चना कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कोलकाता की दुर्गा प्रतिमाएं देशभर में प्रसिद्ध हैं। यहां के कारीगर देशभर में मूर्ति निर्माण के लिए जाते हैं। महालया याने अमावस्या के बाद आने वाली प्रतिपदा से 10 दिनों तक मां दुर्गा धरती पर वास करती हैं।  यह उत्सव बंगाल में भी दुर्गा पूजा के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार भी कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए ही दुर्गा उत्सव मनाया जाएगा।