धरती ने तेज की अपनी रफ्तार, 24 घंटे से छोटा हुआ एक दिन

पृथ्वी अपनी धुरी पर एक रोटेशन 0.5 मिलीसेकंड पहले ही पूरा कर ले रही है, जिससे वैज्ञानिक हैरान हैं, दिन में 0.5 मिलीसेकेंड की कमी का संचार तंत्र पर पड़ सकता है असर

Updated: Jan 08, 2021, 09:45 PM IST

Photo Courtesy: ndtv
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हमारी पृथ्वी बुध और शुक्र के बाद सूर्य से तीसरा ग्रह है, जिसके अपनी धुरी पर घूमने से दिन और रात होते हैं। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि धरती ने अपनी रफ्तार तेज कर दी है। अब वह 24 घंटे से कम समय में अपना रोटेशन पूरा करती है। पिछले करीब 6 महीने से पृथ्वी रोजाना 24 घंटे में पूरा होने वाला रोटेशन 0.5 मिली सेकंड पहले ही पूरा कर ले रही है। कहने का मतलब है कि अब हमारे 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकंड कम हो गए हैं।

दुनियाभर के साइंटिस्ट इस बात से हैरान है कि धरती पिछले 50 साल में किसी भी समय की तुलना में तेजी से रोटेट हो रही है। इसे कैसे मैनेज किया जाए इस बात को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं। अर्थ नार्मल स्पीड से तेज चल रही है, इसकी स्पीड में परिवर्तन पिछले साल के मध्य में आया था।

जून 2020 से पृथ्वी अपनी धुरी पर ज्यादा तेजी से घूम रही है। जिससे विश्व के सभी देशों का टाइम चेंज हो जाता है। वैज्ञानिकों को अपनी-अपने स्थानों पर मौजूद एटॉमिक क्लॉक का टाइम चेंज करना पड़ेगा। यानी कि वैज्ञानिकों को निगेटिव लीप सेकेंड अपनी-अपनी घड़ियों में जोड़ना होगा।

खबरों की मानें तो सन 1970 से अब तक कुल 27 लीप सेकेंड जोड़े गए हैं। साल 2016 में आखिरी बार लीप सेकेंड जोड़ा गया था, लेकिन अब इस बार वक्त घटाना होगा। यानी नेगेटिव लीप सेकेंड जोड़ना होगा।

दिन में 24 घंटे होते हैं, और इनमें 86,400 सेकेंड्स होते हैं। लेकिन जून 2020 से धरती की स्पीड बढ़ गई है और वो 86,400 सेकेंड से 0.5 मिलीसेकेंड पहले ही रोटेशन पूरा कर ले रही है। ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 जुलाई 2020 को धरती ने 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकेंड पहले ही रोटेशन खत्म कर लिया था। मतलब यह कि वह दिन 1.4602 मिलीसेकंड छोटा था। इस टाइम चेंज का पता केवल एटॉमिक क्लॉक के जरिए ही लगता है। आम इंसान को इस टाइम का कुछ पता नहीं चलेगा।

लेकिन इस 0.5 मिलीसेकेंड की कमी आने से संचार तंत्र में दिक्कत आ सकती है। क्योंकि सैटेलाइट्स समेत दूसरे कम्यूनिकेशन सिस्टम सोलर टाइम के हिसाब से सेट रहते हैं।