शुक्र है, सुरक्षित हैं गिर के जंगल में एशियाई शेर , चक्रवाती तूफान ताऊ ते का नहीं पड़ा असर

गुजरात में गिर के जंगल में सभी एशियाई शेर सुरक्षित हैं, तूफानी चक्रवात ताऊ ते का उनपर नहीं पड़ा कोई प्रभाव, एक वीडियो में पानी भरे रास्तों को पार करते दिखा शेरों का झुंड

Updated: May 21, 2021, 12:13 PM IST

Photo courtesy: twitter
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चक्रवाती तूफान ताऊ ते ने गुजरात को खासा नुकसान पहुंचाया है। राज्य में तूफान की वजह से करीब 45 लोगों की मौत और 16,000 से ज्यादा घरों को नुकसान हुआ है। इस बीच गिर के जंगल में एशियाई शेरों को हुए नुकसान की भी चर्चा हो रही है। लेकिन राहत की बात है कि ऐशियाई शेरों पर इस तूफान का कोई असर नहीं हुआ है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारी बारिश और चक्रवाती तूफान के बाद गिर के जंगल में शेर सुरक्षित हैं। वीडियो में 10 शेरों का झुंड जलभराव वाला रास्ता पार करता दिखाई दे रहा है।

 

इस वीडियो में IFS अफसर सुशांत नंदा ने एक ट्वीट करते हुए बताया है कि गिर के जंगल में हमारे एशियाई शेरों पर चक्रवात ताऊ ते का प्रभाव नहीं पड़ा है, वे सभी सुरक्षित हैं। इस प्राकृतिक आपदा के दौरान कर्मचारियों ने शेरों  की गतिविधियों पर पैनी निगाह रखी। वे सभी यहां सुरक्षित रूप से बहते हुए जलमार्ग को पार करते दिखाई दिए। 

दरअसल चक्रवात ताऊ ते ने गुजरात और दीव में भारी तबाही मचाई है। यहां खेतों और फलों के बागों खासे नुकसान का सामना करना पड़ा है। खबरों की मानें तो करीब 30 लाख टन नमक पानी में बह गया।

पर्यटन स्थल दीव तो मानों उजड़ ही गया। गुजरात के भावनगर, गिर सोमनाथ, अमरेली, जूनागढ और सौराष्ट्र को काफी नुकसान हुआ है। इस तूफान में गिर नेशनल पार्क के 18 एशियाई शेरों के लापता होने की खबर को वन विभाग ने अफवाह कहा है। मुख्य वनसंरक्षण अधिकारी का कहना है कि गिर के जंगल में सभी शेर सुरक्षित हैं, जिनकी निगरानी में वन विभाग की टीम लगातार कर रही है।

इस ताऊ ते से यहां के एशियाई शेरों को कोई नुकसान नहीं हुआ और ना ही कोई शेर लापता हुए हैं। गिर नेशनल पार्क की स्थापना एशियाटिक शेरों की सुरक्षा के लिए की गई थी।  गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य गुजरात में तालाला गीर के पास स्थित है। गिर नेशनल पार्क 1412 वर्ग किमी में फैला है। यहां वनस्पतियों और जीवों के साथ गिर इकोसिस्टम संरक्षित है। इसकी स्थापना 1965 में हुई थी। कोरोना काल से पहले यहां हर साल बड़ी संख्या में सैलानी शेरों को देखने जाया करते थे।