जी भाई साहब जी: बुलडोजर मामा के बाद क्‍यों घिर गई एनकाउंटर सरकार

सरकार ने अपराधियों पर सख्‍ती का संदेश प्रचारित करना शुरू किया है लेकिन बुलडोजर मामा के बाद एनकाउंटर सरकार भी फंसती दिखाई दे रही है। घटना के बाद से रोज उठते सवाल और कोर्ट में याचिका इस मामले की दिशा तय करेंगे लेकिन बीजेपी को मैदान में इस आरोप का सामना तो करना ही पड़ेगा कि क्‍या इस मामले में भी समर्थ बचा लिए गए हैं और छोटों को निपटा दिया गया है? 

Updated: May 17, 2022, 08:16 AM IST

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की तर्ज पर कुछ दिनों पहले तक बुलडोजर मामा कहला रहे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उनकी सरकार अब एनकाउंटर के लिए चर्चा में आ गए हैं। मध्‍य प्रदेश के आरोन में पुलिस द्वारा तीन एनकाउंटर और दो शॉर्ट एनकाउंटर के बाद पुलिस की कार्रवाई ही सवालों से नहीं घिर गई है बल्कि खुद शिवराज सरकार भी अपराधियों को संरक्षण के आरोप झेल रही है।  

मध्यप्रदेश के गुना जिले के आरोन के जंगल में तीन पुलिसकर्मियों की शिकारियों ने हत्या कर दी थी। पुलिस ने पहले दो आरोपियों नौशाद और शहज़ाद खान को मार गिराया था। फिर पुलिस की गिरफ्त में आए दो आरोपियों का शॉर्ट एनकाउंटर किया गया। बताया गया कि कोर्ट ले जाते समय भागने का प्रयास कर रहे दोनों आरोपियों के पैर पर गोली मारी गई। तीसरा एनकांउटर मंगलवार तड़के हुआ। 

पुलिसकर्मियों की हत्‍याओं के बाद जितनी तेजी से पुलिस की लापरवाही पर सवाल उठे, उतनी ही तेजी से एनकाउंटर हुए। माना गया कि आलोचनाओं का जवाब देने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई की। यह कार्रवाई भी आरोपों से घिर गई। पुलिस के एक्शन पर सवाल उठाते हुए गुना सीजेएम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस पर 17 मई को सुनवाई होना है। समाजसेवी कृष्णकुमार रघुवंशी ने याचिका दायर कर एनकाउंटर की जांच कराने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने ताकतवर लोगों को बचाने के मकसद और सबूत मिटाने के लिए एनकाउंटर किया है। बिना किसी जांच-पड़ताल और बिना गिरफ्तारी के एनकाउंटर बताकर तीन लोगों की हत्या की गई है।

याचिका पर कोर्ट में फैसला होगा लेकिन इन राजनीति के मैदान में बीजेपी और कांग्रेस हमलावर है। ज्‍यों ही पुलिसकर्मियों की हत्‍या की खबरें आई और कांग्रेस की ओर से बढ़ते अपराधों पर सवाल हुए तो सबसे पहले बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा ने अपराधियों के तार वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से जुड़े होना बता दिया। दिग्विजय सिंह ने भी तुरंत जवाब दिया, सरकार बीजेपी की है, वीडी शर्मा जांच करवा लें। 

पुलिस पर लगे आरोपों के बचाव में एनकाउंटर को ढाल बनाया गया, आईजी को हटा कर सख्‍ती का संदेश दिया गया तो राजनीतिक आरोपों के जवाब में फोटो जारी किए गए। बीजेपी ने फोटो जारी किए तो कांग्रेस ने जवाब में कई फोटो जारी कर आरोपियों को बीजेपी जिला पदाधिकारी व मंत्री का सरंक्षण होने के आरोप लगाए गए। 

कांग्रेस ने सोमवार को पत्रकार वार्ता कर सिंधिया कोटे से मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया और गुना जिला बीजेपी उपाध्यक्ष हीरेंद्र सिंह उर्फ बंटी बना के साथ आरोपियों के फोटो सार्वजनिक किए। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और प्रवक्‍ता केके मिश्रा ने कहा कि पंचायत मंत्री सिसौदिया मुख्य अभियुक्त शहजाद सहित अन्‍य आरोपियों के संरक्षक हैं और मंत्री सिसोदिया को सिंधिया का खुला संरक्षण है। इसलिए एनकाउंटर कर पुलिस उच्‍च संपर्क वाले आरोपियों को बचा रही है। कांग्रेस ने हाई प्रोफाइल मामले की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने गुना जिला उपाध्यक्ष हीरेंद्र सिंह के एसपी राजीव मिश्रा को मिठाई खिलाते हुए एक फोटो भी सार्वजनिक किया। और पुलिस की मामले में कार्रवाई को लेकर सवाल उठाए। 

कांग्रेस ने तो केंद्रीय मंत्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया की सोमवार को भोपाल यात्रा और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात को भी इसी घटना से जोड़ कर देखा है। कांग्रेस प्रवक्‍ता केके मिश्रा ने कहा किअपने पसंदीदा आईजी को हटाने से खिन्‍न मंत्री सिंधिया विरोध जताने अचानक भोपाल आए थे। यानि, इस घटना के बाद बीजेपी में अंदरूनी राजनीतिक दांवपेंच चरम पर हैं। 

दूसरी तरफ, आरोन की घटना के बाद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि गुना की घटना से मैं बहुत बेचैन हूं। जिसमें दम हो वही फील्ड में रहे। उन्होंने कहा था कि शिकार कोई एक दिन नहीं होता, शिकारी-गोकशी करने वालों, जुआ-सट्टा चलाने वालों, ड्रग्स का धंधा करने वालों और अवैध शराब बेचने वालों को बर्बाद कर दें। इसी बयान ने कांग्रेस को सवाल उठाने का मौका दे दिया है कि इतने सालों से बीजेपी का शासन है और शासन-प्रशासन के सरंक्षण में ही अपराधियों के हौंसलें बुलंद हो रहे हैं। 

फिलहाल, सरकार ने अपराधियों पर सख्‍ती का संदेश प्रचारित करना शुरू किया है लेकिन बुलडोजर मामा के बाद एनकाउंटर सरकार भी फंसती दिखाई दे रही है। अपने ही पदाधिकारी और नेताओं के आरोपियों को संरक्षण के आरोपों के जवाब में बीजेपी एनकाउंटर जैसी कार्रवाई में ही बचाव खोज रही है। घटना के बाद से रोज उठते सवाल और कोर्ट में याचिका इस मामले की दिशा तय करेंगे लेकिन बीजेपी को मैदान में इस आरोप का सामना तो करना ही पड़ेगा कि क्‍या इस मामले में भी समर्थ बचा लिए गए हैं और छोटों को निपटा दिया गया है? 

बिजली-पानी पर घिरे मंत्री जी, आए अपनों के निशाने पर 

आपको 2003 के विधानसभा चुनाव और उसके मुद्दे याद होंगे। बसपा यानि बिजली, सड़क और पानी को मुद्दा बना कर बीजेपी सत्‍ता में आई थी। आज भी बिजली, पानी की समस्‍या जनता को परेशान कर रही है। जनता परेशान हैं और बीस सालों के शासन के बाद भी बीजेपी यह कह कर बचाव कर रही है कि कांग्रेस के शासन को याद कीजिए। मगर सवाल तो यह है कि बीते 20 सालों में क्‍या हुआ? क्‍यों इन बुनियादी समस्‍याओं का निराकरण नहीं हुआ? जनता के सवाल तो बिना उत्‍तर दिए हवा में उड़ा दिए जाते हैं मगर जब एक वरिष्‍ठ मंत्री कमल पटेल ही सवाल उठाए तो क्‍या? और जब एक वरिष्‍ठ विधायक व पूर्व मंत्री अजय विश्‍नोई हमलावर हों तो क्‍या? 

जब जनता की ओर से मीडिया ने सवाल किया तो बिजली मंत्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ने टका सा जवाब दे दिया था कि कांग्रेस का शासन याद कीजिए। लेकिन जब कृषि मंत्री कमल पटेल ने फोन लगा कर कहा कि ‘लाइट दिला दो यार… वरना किसान हमको निपटा देगा...’ तो बिजली मंत्री तोमर के स्‍वर ढीले पड़ गए। बाद में खबरें आईं कि मंत्री पटेल के गांव में बिजली कटौती नहीं हो रही है। 

कृषि मंत्री कमल पटेल और बिजली मंत्री तोमर की चर्चा का वीडियो के वायरल होने के बाद बीजेपी के वरिष्‍ठ विधायक व पूर्व मंत्री अजय विश्‍नोई ने बिजली समस्‍या पर तीखे तेवर दिखला दिए। अजय विश्नोई ने बिजली कटौती को लेकर एक ऐसा सवाल पूछा है जो सुर्ख़ियों में आ गया है। पाटन से विधायक अजय विश्नोई ने दोनों मंत्रियों के बीच हुई बातचीत का जिक्र किए बिना ट्वीट किया कि मंत्रीजी ने अपना इलाका तो बचा लिया लेकिन बाकी विधायक भी क्या सोशल मीडिया की शरण ले अथवा निपटने की तैयारी करें? 

ये तेवर बता रहे हैं कि मैदान के क्‍या हाल हैं? बिजली कटौती को लेकर शिवराज सरकार किसानों के साथ अपनों के ही गुस्से को दरकिनार करती नजर आ रही है। सरकार मानने को तैयार नहीं कि प्रदेश में बिजली संकट है लेकिन सरकार के कुछ मंत्री और विधायकों की जुबान से सच सामने आ ही गया है।

दूसरी तरफ, जलसंकट सिर से ऊपर निकल गया है। गांवों में हाल बेहद खराब है। राजधानी भोपाल ने 5 दिनों तक अभूतपूर्व जलसंकट देखा। यह जलसंकट ‘मेन मेड’ था। यानि अधिकारियों के फैसले ने 40 फीसदी शहर में जलसंकट खड़ा कर दिया। जनप्रतिनिधियों खासकर प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह की भूमिका की तीखी आलोचना हुई कि पानी होने के बाद भी लापरवाही ने शहर को पानी के लिए तरसा दिया। 

भोपाल में तो पानी है मगर गांवों और कस्‍बों में जल जीवन मिशन के तहत पानी पहुंचाने की योजना का असर दिखाई नहीं दे रहा है। नगरीय प्रशासन, पंचायत, जल निगम और पीएचई जैसे विभाग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहते हुए सुबह 7 बजे बैठकों का सिलसिला शुरू किया है कि 10 बजे से अधिकारी काम में जुट जाएं। इस पर तंज हुए कि सरकार समस्‍या होने पर कुंआ खोद रही है। जो बैठक जनवरी में कर पानी-बिजली का इंतजाम जांचना था, वह अब मई में हो रही है। का वर्षा जब कृषि सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने?

बहरहाल, सरकार पछताएगी या नहीं, यह तो नहीं पता लेकिन चर्चा है कि बिजली मंत्री त्रस्‍त हैं। उन्‍होंने जब चार्ज लिया था तब बिजली समस्‍या नहीं थी। फिर सरप्‍लस बिजली वाले राज्‍य एमपी में अचानक बिजली संकट पैदा हो गया। दोष कोयले की कम आपूर्ति को दिया गया। और इस तरह मंत्रीजी संकट से घिर गए। चुनाव सिर पर है और मैदान में स्थिति खराब। मंत्रीजी को फिलहाल कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। 

... और चूक गए चौहान 

मध्य प्रदेश में इनवेस्टमेंट को लाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को विदेश दौरे पर जाना था। इस बार नौ दिनों की यात्रा में उनका अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और स्विटजरलैंड में विभिन्न लोगों से मुलाकात करने का कार्यक्रम था। सारी तैयारियां हो गई थीं कि अचानक ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। सरकार की मंशा के विपरीत आए फैसले और सबसे बड़े वोट बैंक पिछड़ा वर्ग पर इस फैसले के असर को देखते हुए मुख्‍यमंत्री चौहान ने विदेश यात्रा स्‍थगित कर दी। 

यह यात्रा बाद में हो जाएगी मगर यात्रा रद्द होने से सीएम चौहान एक रिकार्ड बनाने से चूक गए। इस यात्रा के दौरान सीएम शिवराज सिंह न्‍यूयॉर्क के स्‍वामी नारायण मंदिर में भक्‍तों का एक भव्‍य सम्‍मेलन में शामिल होने वाले थे। वहां फ्रेंडस ऑफ एमपी के प्रतिनिधि में उपस्थित होते। ऐसा होता तो अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद किसी भारतीय नेता का सबसे बड़ा कार्यक्रम होता। हर बात में प्रधानमंत्री मोदी का अनुसरण करने वाले मुख्‍यमंत्री चौहान यह कीर्तिमान बनाने में फिलहाल तो कामयाब नहीं हुए हैं।