जी भाई साहब जी: भारत जोड़ो यात्रा की इंट्री के साथ एमएलए सचिन बिरला की कांग्रेस में री इंट्री
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की मध्य प्रदेश में इंट्री निमाड़ से हो गई है। इस बीच विधायक सचिन बिरला की कांग्रेस में री-इंट्री की खबरें भी चल पड़ी हैं। दूसरी तरफ, सवाल है कि क्या सीएम शिवराज सिंह चौहान की पेसा और पैसा से की गई चुनावी जमावट काम करेगी? खासकर तब जब बीजेपी विधायक सीट बचाने का संकट झेल रहे हैं।
सचिन बिरला को तो जानते होंगे आप? जी हां, वहीं सचिन बिरला जो विधायक तो हैं लेकिन किस पार्टी में हैं पता नहीं है। विधानसभा में सदस्यता कांग्रेस से है और वे खुद को बीजेपी का सदस्य बता चुके हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की मध्य प्रदेश में इंट्री निमाड़ से हो गई है जो सचिन बिरला का इलाका है। इस यात्रा की इंट्री की खबरों के बीच सचिन बिरला की कांग्रेस में री-इंट्री की खबरें भी चल पड़ी हैं।
बुधवार 23 नवंबर 2022 की सुबह से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में आरंभ हो गई है। यात्रा महाराष्ट्र के जलगांव जामोद से रवाना होकर बुरहानपुर जिले के बोदरली गांव में 7 बजे पहुंची। इस यात्रा से कांग्रेस को बेहद उम्मीद है। उम्मीद है कि यह यात्रा जनता से पार्टी को जोड़ने का काम करेगी। इस जोड़ने की कवायद के बीच उन नेताओं के जुड़ाव की भी कोशिशें हो रही हैं जो किसी कारण से पार्टी से दूर हो गए हैं।
ऐसे नेताओं में एक नाम है विधायक सचिन बिरला का। प्रदेश में तीन विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने के ठीक पहले अक्टूबर 2021 में खरगोन की बड़वाह विधानसभा से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला ने बीजेपी का दामन थाम लिया था।
उसके बाद से कांग्रेस ने सचिन बिरला की विधानसभा की सदस्यता खत्म करवाने की कोशिशें की मगर किसी न किसी पेंच के कारण उन पर कार्रवाई नहीं हुई। अब चर्चा चल पड़ी है कि विधायक सचिन बिरला का बीजेपी से मोहभंग हो गया है। इसका एक कारण अगले चुनाव में टिकट न मिलने की आशंका है। सचिन बिरला को डर है कि बीजेपी ने किसी तरह टिकट दे भी दिया तो दिलजले उन्हें जीतने नहीं देंगे। इन आंशकाओं के बीच उनकी घर वापसी की संभावना तलाशी जा रही है। खबरें यह भी है कि कांग्रेस में सचिन बिरला के चाहने वालों ने प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ तक प्रस्ताव पहुंचा भी दिया है।
इन खबरों से भारत जोड़ो यात्रा का इम्पैक्ट जोड़ा जा रहा है। एक तरफ जहां, बीजेपी संगठन और सरकार इस यात्रा के असर को कम करने के भरसक प्रयास कर रहे हैं वहीं कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा से भरपूर टॉनिक लेने की कोशिश कर रही है। सचिन बिरला की वापसी होगी या नहीं मगर इन खबरों से कई राजनीतिक संकेत जाते हैं। खासतौर से उन नेताओं के लिए जो पाला बदलने का मन बना रहे हैं। दूसरी पार्टी में पराएपन को भोगने से अच्छा है कि अपनी ही पार्टी में लड़ते भिड़ते रहें।
पेसा और पैसा से बीजेपी चुनावी जमावट
आदिवासी वोट बैंक को छिटकने से बचाने के लिए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने पेसा एक्ट लागू किया है। न केवल पेसा एक्ट लागू किया है बल्कि पेसा लागू किया है यह जानकारी फैलाने के लिए अपने नेताओं को मैदान में उतार दिया है। उम्मीद है कि 89 सीटों पर समीकरण प्रभावित करने वाले आदिवासियों को इस एक्ट से लुभाया जा सकेगा।
अब मामला आता है किसानों का। कर्ज में डूबे किसानों की आत्महत्या मध्य प्रदेश में खेती-किसानी की दशा बताने के लिए काफी है। नकली बीज, खाद का संकट, कर्ज न भरपाने के कारण डिफाल्टर होने की मजबूरी जैसी तमाम बातें किसानों को परेशान कर रही हैं। किसान संगठन इन समस्याओं को लेकर सरकार की नाक में दम किए रहते हैं। चुनावी साल में किसानों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है। यह सभी जानते हैं।
किसानों की समस्याओं को उठाने के लिए आरएसएस के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने किसानों को लाकर भोपाल में आंदोलन शुरू किया तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों से बात करने प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। उन्होंने किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए पैसा देने सहित कई बड़े ऐलान किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर तीन महीने में किसान मंच की बैठक होगी। जमीन का अधिग्रहण किसानों की सहमति से ही होगा। कर्ज माफी के कारण किसान डिफाल्टर हो गए। हम उन किसानों के कर्ज का ब्याज भरेंगे। पीएम सम्मान निधि और मुख्यमंत्री सम्मान निधि में छूटे नामों को फिर से जोड़ो जाएगा। राजस्व शिविर और बिजली समस्या के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर शिविर लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्व की जमीन पर जिनके पुराने कब्जे है। उन किसानों को पट्टा दिया जाएगा। चाहे वो किसी भी वर्ग का किसान हो।
संगठन जानता है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं से ही किसान खुश नहीं होंगे। किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए बड़े फैसले करने होंगे। यह जानते हुए किसान संघ ने फिलहाल अपने तेवर मंद नहीं किए है ताकि असंतुष्ट किसान कांग्रेस की ओर न चले जाएं। देखना होगा आदिवासियों के लिए पेसा और किसानों के लिए पैसा के सहारे की गई जुगत क्या रंग लाती है।
सीट बची रहे, सितारें बाद में जोड़ लेंगे
बीजेपी में कुछ नेताओं का लक्ष्य बदल गया है। जो कल तक मंत्री पद या निगम मंडल में रसूखदार पद पाने की जुगत में जुटे थे वे अब सीट बचाने की कोशिश में लग गए है। इसकी वजह बीजेपी विधायक दल की बैठक में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिया गया संकेत है।
मिशन 2023 की तैयारी के लिए बुलाई गई बीजेपी विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमने मैदानी हकीकत का एक सर्वे करा लिया है। चुनाव के पहले दो सर्वे ओर होंगे। सर्वे में सभी की स्थिति सामने आ चुकी है। इस रिपोर्ट पर 3 दिसंबर के बाद वन टू वन बात करूंगा। विधायकों को अपना आचरण और व्यवहार अच्छा रखने की हिदायत देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिया कि लगभग 40 फीसदी विधायकों के टिकट पर संकट है।
यह संकेत कई विधायकों के लिए करो या मरो वाला है। न केवल बीजेपी के पुराने नेता बल्कि कुछ सालों में कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में आए नेताओं के हारने की आशंका के चलते टिकट कटना तय माना जा रहा है। संगठन अपने स्तर पर ऐसे संकेत कई बार दे चुका है। अब जब सर्वे का खुलासा हो गया है तो डरने की बारी विधायकों की है। वे अब अपनी सीट बचाने के जतन में जुट गए हैं। आखिर सीट बची रहेगी तब ही तो मंत्री पद का सितारा जगमगाने की संभावना भी बनी रहेगी।
विभीषण कहला कर भी हँसते रहने की मजबूरी
ऐसा कम ही होता है कि किसी को विभीषण कहो और वह हँसता रहे। लेकिन मध्य प्रदेश में यह हुआ। भरी सभा में विभीषण कहलाने के बाद भी राजनीतिक मजबूरी के चलते कद्दावर नेता खिसियाते हुए हँसते रहे।
हुआ यूं कि बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव गुना दौरे पर थे। उन्होंने एक कार्यक्रम में भरे मंच से ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को 'विभीषण' बताया है। वायरल वीडियो में मुरलीधर राव कहते हुए सुनाई पड़ रहे हैं कि सब विभीषण अब इधर आ गए हैं..। मुरलीधर राव के बयान के वक्त मंच पर सिंधिया समर्थक दो मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर तथा महेंद्र सिंह सिसोदिया भी मंच पर मौजूद थे।
राघौगढ़ के बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन के इस वीडियो में मुरलीधर राव कांग्रेस से आए नेताओं का जिक्र करते हुए कहते दिखाई दे रहे हैं कि सबकुछ निकल आया, विभीषण सब बाहर आ गए। आ गए न? प्रद्युम्न जी हैं, महेंद्र जी हैं। मुरलीधर राव द्वारा विभीषण कहते ही पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने तुरंत बात संभालनी चाही और कहा कि हम तो रामजी के सेवक हैं। इसके बाद प्रदेश प्रभारी फिर कहते हैं कि तो सब विभीषण आ गए हैं... और वहां बचा क्या है?
इस वीडियो पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं हुई मगर लोगों न यह कहते हुए चटकारे लिए कि यही राजनीति है, कभी मान सम्मान रास नहीं आता, कभी भरे मंच पर हुई किरकिरी पर भी हँसना पड़ता है।