जी भाईसाहब जी: डर कर रहो, कहीं विपक्ष का हथियार न बन जाए मोबाइल
MP News: मोबाइल रिकार्डिंग के सहारे विपक्ष को घेरती रही बीजेपी को अब भय सता रहा है कि मोबाइल अस्त्र कहीं उसके लिए भस्मासुर साबित न हो जाए। सीएम शिवराज सिंह चौहान की नई घोषणाओं से सवाल उठ रहे हैं कि क्या सीएम चौहान को अपनी हार का अंदाजा हो गया है?

वायरल होते वीडियो, ऑडियो पर प्रत्याशियों को बीजेपी की हिदायत
मोबाइल लीक की हालिया हुई घटनाओं से बीजेपी को डर लगने लगा है कि मिशन 2023 की जीत में कहीं उसके नेताओं के अहंकार और अरमानों से पानी न फिर जाए। यही कारण है कि बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों को हिदायत दी है कि मोबाइल से डर कर रहें। आपसी बात हो या सभा, मोबाइल से रिकार्डिंग हो सकती है और उनका कहा बीजेपी के मिशन में बाधा बन सकता है इसलिए जब भी बोलें, मीठा बोलें, संभल कर बोलें।
बीजेपी उपाध्यक्ष आलोक शर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय को धमकाने का आरोप लगाते हुए आलोक शर्मा की अल्पसंख्यक आयोग को शिकायत हो गई है। ऐसे ही कांग्रेस विधायक के अश्लील वीडियो मामले में पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता इमरती देवी के कथित ऑडियो वायरल हुए हैं। मोबाइल रिकार्डिंग के सहारे विपक्ष को घेरती रही बीजेपी को अब भय सता रहा है कि उसके नेताओं के अहंकार भरे बोल और टिकट पाने व जीतने के अरमानों को पूरा करने के लिए उठाए गए कदम कहीं पार्टी का ही नुकसान न कर दें। मोबाइल अस्त्र कहीं उसके लिए भस्मासुर साबित न हो जाए।
इस डर से पार पाने के लिए बीजेपी ने पहली सूची के सभी 39 प्रत्याशियों के लिए एक प्रशिक्षण आयोजित किया। इस प्रशिक्षण में बताया गया कि उनका टिकट पक्का होने से क्षेत्र में विरोध हो रहा है। इस विरोध से निपटने के लिए प्रत्याशी जोश न दिखाएं बल्कि होश से काम लें। जो नाराज हैं उनसे मीठा ही बोलो चाहे नेता हो या कार्यकर्ता। जो सबसे खास टिप दी गई है वह है मोबाइल रिकार्डिंग के वायरल न होने का तरीका। कहा गया है कि चुनाव तक कुछ भी कड़वा न बोलो। रिकार्डिंग का खतरा है इसलिए फोन पर बात करते समय सावधानी रखो। सभा में कोई भी रिकार्डिंग कर सकता है इसलिए जब भी बोलो, सोच समझ कर बोलो।
आश्वासन भी मेरे है, अरमान भी और कमलनाथ के हनुमान भी मेरे हैं
जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का अपने आराध्य हनुमान और साफ्ट हिंदुत्व को मुद्दा बीजेपी के हिंदुत्व के मुद्दे पर भारी पड़ता दिखा तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के क्षेत्र में हनुमान लोक निर्माण का शिलान्यास कर दिया। यहां तक कि कमलनाथ जिस हनुमान प्रतिमा की स्थापना का जिक्र करते हैं, उसे शिवराज सिंह ने पुरानी प्रतिमा बता दिया।
जब लाड़ली बहना योजना में एक हजार रुपए प्रतिमाह देने की शिवराज की घोषणा के समानांतर कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना प्रस्तुत की तो शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना में राशि बढ़ाने की घोषणा कर दी।
जब कांग्रेस ने कहा कि वह गैस सिलेंडर 500 रुपए में देगी तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सावन के एक माह में 450 के दाम पर सिलेंडर देने की घोषणा कर डाली। जब कांग्रेस ने सस्ती बिजली का वचन दिया तो बीजेपी ने भी रियायत की बात कर डाली।
बीजेपी और शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस की हर घोषणा के जवाब में नई घोषणा कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अंदाजा हो गया है कि वे हारे हुई सेना के सेनापति हैं? क्या वे मन ही मन मान चुके हैं कि मिशन 2023 बीजेपी के हाथ से जा रहा है? यह कयास इसलिए कि वे युद्ध में संभावित हार से बौखलाए सेनापति की व्यवहार कर रहे हैं और हर उस मुद्दे को हथिया रहे हैं जो कांग्रेस के फायदे का हो सकता है। तभी तो कांग्रेस के हर मुद्दे, हर आवश्वासन, हर वादे, हर इरादे को उससे पहले पूरा करने की घोषणा कर रहे सीएम शिवराज सिंह चौहान अब कह रहे हैं कि कमलनाथ के हनुमान भी मेरे हैं।
लाडली बहना के लिए पैसे नहीं, मन और मान समझना अहम्
महिलाओं के प्रति अपराधों और दलित अत्याचार में अग्रणी राज्य मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार लाड़ली बहना योजना के तहत एक हजार रुपए प्रदान कर रही है लेकिन मूल मुद्दा आर्थिक सहायता से पहले महिलाओं के मन और मान को समझने के पहल का है।
जब प्रशासन भोपाल में लाड़ली बहना योजना के तहत प्रदेश भर की बहनों को एकत्रित करने में ताकत लगा रहा था ठीक उसी वक्त सागर में एक दलित परिवार पर दबंगों ने कहर ढाया था। दलित युवती से छेड़छाड़ के मामले में एक दलित युवक की हत्या कर दी गई, उसकी मां को निर्वस्त्र कर इतना पीटा गया कि उनका हाथ टूट गया। पीडि़त परिवार आरोप लगा रहा है कि दबंग आरोपी मंत्री भूपेंद्र सिंह के करीबी हैं। जबकि मंत्री भूपेंद्र सिंह और पुलिस इसे दो पक्षों का मामला बता रहे हैं।
पीडि़त युवती के मान तथा उसके मन को समझने की पहल कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने की है। उन्होंने कहा है कि संत रविदास जी महाराज का मंदिर बनाने से इन ग़रीबों का भला नहीं होगा। इन्हें अधिकार देना पड़ेगा। दोषियों पर सख़्त कार्रवाई की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि वे रक्षा बंधन पर इस परिवार से मिलने सागर जाएंगे।
सीधी कांड में भी पीडि़त व्यक्ति को भोपाल बुला कर पांव धो लिए गए थे, उसकी आर्थिक सहायता कर दी गई थी लेकिन उसके बाद ऐसे मामले थमे नहीं बल्कि दलित उत्पीड़न के प्रकरण और बढ़ गए।
मोदी मुखौटे में क्या छिपेगा आक्रोश?
पूरे प्रदेश में फैल रहे कार्यकर्ताओं और नेताओं के आक्रोश को कम करने के लिए बीजेपी ने मोदी मुखौटे का सहारा लिया है। बीजेपी जानती है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी सरकार को लेकर प्रदेश में खासी नाराजगी है। बीजेपी भले ही कोशिश कर रही है कि उसके नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को किसी तरह कम किया जाए लेकिन मर्ज बढ़ता जा रहा है ज्यों-ज्यों दवा की जा रही है।
बीजेपी ने पहली सूची जारी की तो घोषित प्रत्याशियों के नाम पर भी विरोध प्रदर्शन हो गए। पार्टी ने जनता की नब्ज टटोलने के लिए विभिन्न राज्यों के 230 विधायकों को हर विधानसभा क्षेत्र में भेजा। इन प्रवासी विधायकों के सामने भी बीजेपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। असंतोष को थामने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार किया तो जातीय समीकरण साधने की इस कोशिश में क्षेत्रीय समीकरण गड़बड़ा गए। तीन नेताओं को मंत्री बना कर खुश किया तो 36 नेता नाराज हो गए।
हर तरफ से उठते आक्रोश और असंतोष निपटने के लिए बीजेपी को कोई और तरीका नहीं सूझा तो उसने मोदी के मुखौटे का ही सहारा लिया है। बीजेपी ने चुनाव के लिए अपना थीम सांग जारी किया है। ‘मोदी के मन में बसे एमपी, एमपी के मन में मोदी’ इस सांग में हर तरफ मोदी ही मोदी है। इस पूरे गाने में जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी के कामों और उनकी छवि को सामने रख कर सारे असंतोष को पीछे रखने की कोशिश की गई है। यानी 20 साल के शासन में कुछ नहीं हुआ है प्रदेश का जो विकास और उत्थान हुआ उसमें पीएम मोदी का योगदान है। क्या मोदी के जयकार में आक्रोश के स्वर अप्रभावी रह सकेंगे?