जी भाई साहब जी: मजबूती के समीकरण तलाशती पार्टी और कुर्सी की जद्दोजहद
इस तर्क में दम है कि दिल्ली में राज्यसभा सीट के लिए मोर्चाबंदी कर आए अरुण यादव प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को साधने की गरज से सलकनपुर मंदिर पहुंचे थे। अब ये शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि टिकट किसे मिले, लेकिन दाँव-पेंच शुरू हो चुका है.. दूसरी तरफ, बीजेपी में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच मीडिया के माध्यम से बोला- अनबोला का खेल चल रहा है.. शराब बंद हो या कमाई का ज़रिया बने, इसे लेकर उमा भारती और मुख्यमंत्री शिवराज चौहान कभी मौन कभी मुखर लड़ाई लड़ रहे हैं... इन सबके बीच युवा सिंधिया की क्रिकेट के बहाने सियासी लॉन्चिंग भी प्रदेश की सियासत में रंग भर रही है
सोमवार का दिन प्रदेश कांग्रेस के लिए बेहद अहम् कहा जा सकता है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने निवास पर आयोजित बैठक में उनकी सरकार में मंत्री रहे सभी नेताओं को बुलाया है। कहा जा रहा है कि इस बैठक में नये नेता प्रतिपक्ष पर फैसला हो सकता है। इतना ही नहीं, बैठक में मिशन 2023 के लिए रणनीति और जिम्मेदारियों पर चर्चा हो सकती है। इस तरह से कमलनाथ एक बार फिर अपने सक्रिय होने का संकेत देंगे। महंगाई को लेकर हुए प्रदर्शन में शामिल हो कर कमलनाथ दिखा चुके हैं कि अब कांग्रेस मैदान में सरकार के विरोध को बढ़ाने वाली है।
जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र में सलकनपुर देवी मंदिर पहुंचे तो उनकी देवी आराधना से ज्यादा चर्चा राजनीतिक निहितार्थ की हुई। यह पहला मौका था जब कमलनाथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के क्षेत्र में गए थे। नवरात्रि में देवी पूजा के पीछे साफ्ट हिंदुत्व का संदेश भी था। मगर सुर्खियां बनी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव की पूजा में मौजूदगी। कयास लगाए गए कि क्या कमलनाथ व अरुण यादव के बीच सबकुछ ठीक हो चुका है।
खंडवा लोकसभा उप चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके अरुण यादव के यकायक मैदान से हटने के बाद नाथ और यादव में मनमुटाव की खबरें आम हुई थीं। लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब दो जिलाध्यक्षों को हटाया गया तब भी यही संदेश गया कि हार की गाज अरुण यादव समर्थकों पर गिरी है। चुनाव के बाद अरुण यादव अलग थलग पड़ गए थे मगर पिछले दिनों वे फिर सक्रिय हुए। निमाड़ क्षेत्र में रैली के आह्वान के बाद भोपाल में मीडिया के लिए आयोजित होली मिलन को अरुण यादव का शक्ति प्रदर्शन माना गया। फिर जब वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले तो इस भेंट का अर्थ राज्यसभा सीट से जोड़ा गया। माना गया कि अरुण यादव राज्यसभा में जाना चाहते हैं और उनकी सक्रियता का सबब भी यही है। फिर जब वे सलकनपुर में कमलनाथ के साथ दिखे तो इसका उद्देश्य भी यही माना गया।
इस तर्क में दम है कि दिल्ली में राज्यसभा सीट के लिए मोर्चाबंदी कर आए अरुण यादव प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को साधने की गरज से सलकनपुर मंदिर पहुंचे थे। उनकी कोशिश है कि दिल्ली से नाम आए तो प्रदेश संगठन से कोई नकारात्मक फीडबैक न मिले। यूं भी अरुण यादव इसबार कोई कसर शेष पहीं रखना चाहते हैं। क्योंकि इस एक सीट से वर्तमान सांसद विवेक तंखा का दावा तो मजबूत है ही विंध्य क्षेत्र से पूर्व मंत्री अजय सिंह भी दावेदारी कर रहे हैं। अजय सिंह भी दिल्ली यात्रा कर आए हैं। इधर, कमलनाथ भी यह बताने में सफल हुए कि अरुण यादव उनसे नाराज नहीं है। यानी, कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिशों के बीच नेता अपनी कुर्सी को साधने में जुटे हुए हैं।
उमा भारती व शिवराज सिंह : बात बाहर आ ही गई
एक तरफ जहां भोपाल की श्यामला हिल्स पर कमलनाथ के बंगले पर कांग्रेस की बैठक चर्चा में है वहीं, उमा भारती के आक्रामक तेवर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ उनके रिश्ते की कड़वाहट को उजागर कर दिया। बीजेपी की तेज तर्रार नेत्री पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर पिछले कुछ समय से सक्रिय हैं। वे सरकार के खिलाफ बयान देती रही हैं। भोपाल में शराब दुकान पर पत्थर फेंकना शिवराज सरकार को चुनौती माना गया क्योंकि मध्य प्रदेश में नई आबकारी नीति लागू कर शिवराज सरकार शराब की बिक्री बढ़ाने की राह पर चल पड़ी है।
जब से उमा भारती शराबबंदी को लेकर मुखर हुई हैं शिवराज सिंह चौहान ने मौन रहना ही मुनासिब समझा है। उनकी चुप्पी के कारण बीजेपी में जारी वर्चस्व का अंदरूनी संघर्ष सतह पर नहीं आ पाया था। लेकिन अब तो बात खुल गई है। शराबबंदी पर अब तक चुप रहे शिवराज सिंह चौहान उज्जैन में बोले और बिना उमा भारती का नाम लिए बोले। उन्होंने कहा कि दुकान बंद कर देने से नशा मुक्ति होती तो दुकान बंद करवा देते। नशा मुक्ति के लिए जनजागरण जरूरी है। लोग शराब पीना बंद कर दें तो मैं शराब की दुकानें बंद कर दूंगा। शिवराज ने इशारा किया कि आप चिंता न करिए, सरकार को शराब से नुकसान की फिक्र है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह बयान उमा भारती को चुभना था और हुआ भी ऐसा ही। उमा भारती ने दनदनाते हुए ट्वीट किए और शिवराज सिंह से सीधे लोहा मोल ले लिया। उमा भारती ने बयान देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय मेरे बड़े भाई शिवराज सिंह चौहान से 1984 से मार्च 2022 तक सम्मान एवं स्नेह के संबंध बने रहे, शिवराज ऑफिस जाते समय या मेरे हिमालय प्रवास के समय या मेरे किसी भजन का स्मरण आने पर या तो मुझसे मिलते थे या फोन करते थे। मैंने शिवराज जी से 2 साल हर मुलाकात में शराबबंदी पर बात की है, अब बात बाहर सामने आ गई है तो भाई ने अबोला क्यों कर दिया है और मीडिया के माध्यम से बात क्यों करने लगे हैं।
नाराज उमा भारती ने सरकार की कमियां गिनाते हुए सुझाव दे डाले हैं मगर इस सुझावों का महत्व कम और बीजेपी के दो नेताओं की टसल बड़ा मुद्दा है। अब तक चुप रहे मुख्यमंत्री चौहान बोले तो उमा भारती ने पलटवार कर दिया। अब देखना होगा कि दोनों के बीच का यह युद्ध कहां जा कर थमता है। देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी की पिछड़ा वर्ग की राजनीति के इन दो बड़े चेहरों के वर्चस्व के संघर्ष में कौन मीर साबित होगा और क्या उमा भारती फिर खाली हाथ रह जाएंगी।
मोदी से मुलाकात, सिंधिया की ताजपोशी और केपी यादव फेक्टर
संसदीय दल की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी ने नेता पुत्रों को टिकट न देने की बात कह कर कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है मगर जब बीते दिनों केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सपरिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी तो माना गया था कि मध्य प्रदेश की राजनीति में कुछ जुड़ने वाला है। हुआ भी यही।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन सिंधिया को ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष बनाया गया है। खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बेटे को पद देने के निर्णय पर मुहर लगाई है। 27 मार्च को ग्वालियर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन की एजीएम में जीडीसीए अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नई कार्यकारिणी को लेकर चर्चा की थी। तब से फैसला रूका हुआ था। मोदी से मुलाकात के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कार्यकारिणी को स्वीकृति दे दी। वे अध्यक्ष पद से हट गए। सिंधिया की जगह उनके निकटम पूर्व आईएएस प्रशांत मेहता को अध्यक्ष बनाया गया है। महाआर्यमन उपाध्यक्ष होंगे।
अपने दादा और पिता की ही तरह महाआर्यमन की लॉन्चिंग भी क्रिकेट की राजनीति से हुई है। किसी भी संस्था और संगठन में उनका यह पहला पद है। कहा जा रहा है कि महाआर्यमन के लिए क्रिकेट की पीच सियासी उड़ान का रन वे हैं। बीजेपी में दूसरे नेताओं पुत्रों के लिए भी ऐसी राह खुलने की उम्मीद जाग गई है।
महाआर्यमन की लॉन्चिंग ग्वालियर चंबल क्षेत्र की राजनीति का एक चेहरा है। दूसरा चेहरा है सांसद केपी यादव। वो केपी यादव जिन्होंने लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके गढ़ गुना में हराया था। सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद से केपी यादव स्वयं को पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। मगर सिंधिया परिवार से मुलाकात के बाद अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने सिंधिया के विरोधी केपी यादव को भी मिलने को समय दे दिया। इस मुलाकात की तस्वीरें भी वायरल हुई। मतलब, बीजेपी में सिंधिया का कद बढ़ाया गया है तो उसे संतुलित करने के लिए केपी यादव को भी तवज्जो दी गई है। अब आगे आने वाला चुनाव केपी यादव का भविष्य तय करेगा।