ट्विटर पर ट्रेंड  हुआ article 30, समझें क्‍या है दुष्‍प्रचार

Article 30 : भारतीय संविधान के मुताबिक अल्पसंख्यकों को धार्मिक आजादी का प्रावधान है

Publish: May 29, 2020, 06:41 AM IST

Photo courtesy : making india
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आर्टिकल-30 को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसे हटाने की मांग की है। विजयवर्गीय ने ट्वीट कर इसे नुकसानदेह बताया है। बीजेपी नेता ने गुरुवार को किए अपने ट्वीट में लिखा है कि जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर है तो आर्टिकल-30 की क्या जरुरत है। गौरतलब है कि यह आर्टिकल अल्पसंख्यकों के शैक्षणिक संस्थान जैसे मदरसा खोलने से जुड़ा है।

गुरुवार सुबह से ट्विटर पर आर्टिकल-30 हटाओ हैशटैग को ट्रेंड करवाया जा रहा है। इसी हैशटैग पर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट कर एक अन्य मुद्दे पर बहस खड़ा कर दिया है। विजयवर्गीय ने भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान संचालित करने का अधिकार देने वाले इस आर्टिकल को संवैधानिक समानता को नुकसान पहुंचाने वाला बताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'देश में संवैधानिक समानता के अधिकार को 'आर्टिकल 30' सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहा है। ये अल्पसंख्यकों को धार्मिक प्रचार और धर्म शिक्षा की इजाजत देता है, जो दूसरे धर्मों को नहीं मिलती। जब हमारा देश धर्मनिरपेक्षता का पक्षधर है, तो 'आर्टिकल 30' की क्या जरुरत!'

क्या है आर्टिकल-30 को लेकर भ्रम?

दरअसल, दक्षिण-पंथी विचारधारा के लोगों के द्वारा हमेशा भारतीय नागरिकों के बीच यह भ्रम फैलाया जाता रहा है कि आर्टिकल-30 मुस्लिमों को मदरसों में कुरान पढ़ने का इजाजत देता है, वहीं 30(A) स्कूलों में गीता पढ़ने की इजाज़त नहीं देता है। वहीं इन विचारकों द्वारा इसका श्रेय प्रथम प्रधानमंत्री दिवंगत पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया जाता है। हम समवेत ने जब संविधान में इस आर्टिकल की जांच की तो पाया की संविधान में 30(A) जैसा कोई अनुच्छेद नहीं है बल्कि आर्टिकल-30 का उप अनुच्छेद 30(1), 30(1A) और 30(2) है। विशेषज्ञ बताते हैं कि चूंकि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है इसलिए भारतीय संविधान में कहीं धार्मिक किताबों को पढ़ाने का कोई प्रावधान नहीं है। यह बिल्कुल निराधार बात है कि मदरसों में क़ुरान पढ़ाया जा सकता है परंतु स्कूलों में गीता नहीं पढ़ाई जा सकती।

क्या कहता है आर्टिकल 30?

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 30 भारत में अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान की स्थापना व उसे संचालित करने का अधिकार देता है।
  • आर्टिकल 30(1) के मुताबिक धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
  • आर्टिकल 30(1A) किसी अल्पसंख्यक वर्ग के द्वारा स्थापित व प्रशासित शिक्षा संस्था की संपत्ति के अनिवार्य अर्जन को सुनिश्चित करता है।
  • आर्टिकल 30(2) के मुताबिक शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंधन में है।