आगे बढ़ते ही न जाएं जरा मुड़कर भी देखें

अपने भीतर सुख को खोजना और सबको अपना आत्मा समझकर सब से प्रेम करना यही है हमारा दर्शन

Publish: Aug 02, 2020, 12:10 PM IST

हमारे इस भारत देश का गौरव अपनी इसी आध्यात्मिक संपत्ति में है जिसको भूल कर हम भारतवासी भौतिकवाद की ओर दौड़ रहे हैं। भौतिकवाद का ही परिणाम है कि लोगों के मन में अर्थ तृष्णा ने  घर कर लिया है। भोग को लक्ष्य बनाकर धन के लिए उचित अनुचित का विचार छोड़कर उसके अर्जन में दिन रात लगे रहते हैं हम दूसरों के सुख में सुखी होने के स्थान पर अपने सुख में सुखी होने का स्वार्थ पूर्ण मार्ग पकड़ रहे हैं। यही कारण है कि समाज में परस्पर वैमस्य और हिंसा बढ़ रही है।

भौतिक उन्नति के लिए प्रयत्न परिश्रम करना जीवन के लिए आवश्यक है, पर सद्गुणों को खोकर उनके मूल्य पर नहीं। हम भारत वासियों ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में बहुत उन्नति कर ली थी, पर आध्यात्मिक ह्रास के कारण हमारे देश में महाभारत हो गया। कलह ने व्यक्ति,  समाज और देश की न केवल आध्यात्मिक उन्नति वरन् भौतिक उन्नति को भी अवरुद्ध कर दिया।

आज हम देख रहे हैं कि निरे भौतिकवाद के कारण विश्व तेजी से विनाश की ओर बढ़ता चला जा रहा है। ऐसी अवस्था में हम भारतीयों को अपने स्वरूप में स्थित होकर (स्वस्थ होकर) विश्व को प्रकाश दिखाना चाहिए। यह केवल उपदेश से ना होकर आचरण में हो। अपने भीतर सुख को खोजना और सबको अपना आत्मा समझकर सब से प्रेम करना यही हमारा दर्शन है। जिसको हमारे वेदों उपनिषदों के आधार पर भगवान शंकराचार्य ने हमें बताया है।

हम बढ़ते ही न जाए मुड़कर भी देखें। यदि हम अपने वेदों शास्त्रों और महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलेंगे तो विश्व की सर्वोच्च सत्ता हमें शक्ति प्रदान करेगी क्योंकि वह दुराचार प्रशमनी और सदाचार प्रवर्तिका है।