चार महीने की योग निद्रा से जागे भगवान विष्णु, देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी संग शालिग्राम का विवाह

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से चतुर्मास समाप्त, शादी, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्यों की मंगलमय शुरुआत

Updated: Nov 15, 2021, 11:42 AM IST

Photo courtesy: Jansatta
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कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। चार महीने की योग निंद्रा से इसदिन भगवान विष्णु जागते हैं। इसी दिन माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के अवतार शालीग्राम से होता है। इसी दिन से तप और नियम-संयम से रहने का चातुर्मास भी समाप्त हो रहा है। अब शादी जैसे मांगलिक कार्यो की शुरुआत हो रही है। घर घर गन्ने के मंडप सजा कर भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरू और तुलसी की विधिविधान से पूजा की जाती है। आंवला, चने की भाजी, सिंघाड़ा, सीताफल, शक्करकंदी का प्रसाद चढ़ाया जाता है। 

 कार्तिक मास में देव उठनी एकादशी पर आंगन में चौक पूर कर गन्ने का मंडप सजाते हैं। उसपर चौकी स्थापित करते हैं। अष्टदल कमल बनाकर गौरी गणेश की स्थापना की जाती है, उसके बाद चौकी पर तुलसी की पौधा रखकर उनके नजदीक शालिग्राम की स्थापना की जाती है। दोनों का श्रृंगार दूल्हा-दुल्हन की तरह किया जाता है। कलश की स्थापना की जाती है, हल्दी, चंदन, सिंदूर, फल, मेवा मिष्ठान से पूजा की जाती है। घी का दीपक जलाएं, माता तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक लगाएं।

मंडप पर लाल चुनरी ओढ़ा कर तुलसी जी को सुहाग का सामान चढ़ाएं और आरती करें। भोग लगाकर माता की आराधना करें, इस दिन प्रार्थना की जाती है कि जिन विवाह योग्य लड़के-लड़कियों की शादी नहीं हुई है उनकी शादियां इस साल हो जाएं। मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से भाग्योदय होता है।