शतरंज के नए वर्ल्ड चैंपियन हुए 18 साल के गुकेश, सबसे कम उम्र में जीता खिताब
इतनी कम उम्र में खिताब जीतने वाले गुकेश दुनिया के पहले प्लेयर बने हैं। इससे पहले 1985 में रूस के गैरी कैस्परोव ने 22 साल की उम्र में यह खिताब जीता था।
भारत के ग्रैंडमास्टर डी गुकेश दुनिया के सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बन गए हैं। उन्होंने गुरुवार को विश्व शतंज चैपियनशिप के 14वें और आखिरी दौर में चीन के डिंग लिरेन को शिकस्त दी। डी गुकेश अभी महज 18 साल के हैं। उनके नाम कई और रिकॉर्ड भी हैं। जैसे कि वह 12 साल, सात महीने और 17 दिन की उम्र में भारत के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर बन गए।
डी गुकेश का पूरा नाम डोमराज गुकेश है. वह चेन्नई के रहने वाले हैं। उनके पिता डॉ. रजनीकांत चिकित्सक और मां डॉ. पद्मा माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। गुकेश ने सात साल की उम्र से शतरंज सीखना शुरू किया था। गुकेश को शतरंज की शुरुआती कोचिंग भास्कर ने दी। इसके बाद उन्हें खुद विश्वनाथन आनंद ने ट्रेनिंग दी।
सबसे युवा शतरंज चैंपियन डी गुकेश की फॉर्मल स्कूलिंग चौथी कक्षा तक ही हुई है। वह चेन्नई के वेलम्मल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ने जाते थे। एक इंटरव्यू में गुकेश के पिता ने बताया था कि खेल और पढ़ाई के बीच सामंजस्य बनाने के लिए चौथी कक्षा के बाद नियमित पढ़ाई करने से छूट दे दी। गुकेश ने जब प्रोफेशनल शतंज खेलना शुरू किया, तो उसके बाद से सालाना परीक्षा नहीं दी।
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बता दें कि चेन्नई का वेलम्मल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल (मोगाप्पैर ब्रांच) चेस की फैक्ट्री कहा जाता है। इस स्कूल से डी गुकेश प्रज्ञानंद, ए अधिबान और एसपी सेथुरमन समेत 17 भारतीय ग्रैंडमास्टर इस स्कूल से निकल चुके हैं। इस स्कूल का संचालन वेलाम्मल एजुकेशनल ट्रस्ट करता है। इस स्कूल की स्थापना 1986 में की गई थी।