वॉशिंगटन सुंदर के पास नहीं थे सफ़ेद बैटिंग पैड्स, चौथे टेस्ट के लिए दुकान से ख़रीदे गए

ऑस्ट्रेलियन टीम ने कोरोना का हवाला देते हुए वॉशिंगटन सुंदर को बैटिंग पैड्स देने से मना कर दिया था, भारतीय टीम के किसी खिलाड़ी के बैटिंग पैड सुंदर को फ़िट नहीं आ रहे थे

Updated: Jan 23, 2021, 12:55 PM IST

Photo Courtesy : ESPNcricinfo.com
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नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर गावस्कर सीरीज के आखिरी टेस्ट में जीत दर्ज़ करके भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया। ब्रिसबेन में ऐतिहासिक जीत और ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में पटखनी देने के लिए अभी भी भारतीय टीम को लगातार बधाई संदेश मिल रहे हैं। लेकिन चौथे टेस्ट मैच से पहले टीम की जीत में अपनी बैटिंग से अहम योगदान निभाने वाले वॉशिंगटन सुंदर के पास बल्लेबाज़ी करने के लिए बैटिंग पैड्स ही नहीं थे। इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलियन टीम ने वॉशिंगटन सुंदर को पैड्स देने से भी मना कर दिया था। अंत में वॉशिंगटन सुंदर के लिए दुकान से बैटिंग पैड्स खरीदे गए। 

इस बात का खुलासा खुद टीम के फील्डिंग कोच आर श्रीधर ने किया है। आर श्रीधर ने बताया है कि चौथे टेस्ट से पहले वॉशिंगटन सुंदर के पास सफेद पैड्स थे ही नहीं। सुंदर नीले पैड्स से ही टीम के साथ अभ्यास सत्रों में हिस्सा ले रहे थे। चूंकि वॉशिंगटन सुंदर का कद लंबा है, लिहाज़ा टीम के किसी खिलाड़ी के पैड्स का साइज सुंदर को फिट नहीं आ रहा था। 

ऐसे में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलियाई खेमे का रुख किया। लेकिन ऑस्ट्रेलियन टीम ने वॉशिंगटन सुंदर को पैड्स देने से मना कर दिया। ऑस्ट्रेलियाई टीम के लोगों ने कहा कि कोरोना की वजह से वे पैड्स नहीं दे सकते। ऐसे में ब्रिसबेन के गाबा में टेस्ट शुरू होने के बाद किसी दुकान से जाकर पैड्स खरीदे। 

दरअसल वॉशिंगटन सुंदर को टेस्ट सीरीज के लिए टीम में शामिल नहीं किया गया था। लेकिन संयोगवश टीम मैनेजमेंट ने नेट्स बॉलर के तौर पर वॉशिंगटन सुंदर को ऑस्ट्रेलिया में ही रोक लिया था। ब्रिसबेन टेस्ट से ठीक पहले जब भारतीय टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी चोटिल हो गए तो वॉशिंगटन ब्रिसबेन में खेलने का मौका मिल गया। 

वॉशिंगटन सुंदर ने दोनों पारियों में मिलाकर कुल चार विकेट लिए। जिसमें वॉर्नर और स्मिथ के विकेट भी शामिल हैं लेकिन उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत बल्लेबाज़ी में पड़ी। और उन्होंने दोनों ही पारियों में टीम को निराश नहीं किया। पहली पारी में शार्दूल ठाकुर के साथ अहम साझेदारी करते हुए सुंदर ने 62 रन बनाए तो आखिरी पारी में उपयोगी 22 रन। वॉशिंगटन सुंदर की इस महत्वपूर्ण बल्लेबाज़ी के कारण ही भारतीय टीम गाबा के मैदान पर 32 वर्षों से अजेय ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाने में कामयाब हो पाई।