Atmanirbhar Chhattisgarh: नक्सल प्रभावित युवतियां सीख रहीं आत्‍मरक्षा के गुर

Raipur: अभनपुर की बरखा राजपूत बनीं मिसाल, आदिवासी युवतियों को दे रहीं मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग, अब तक 10 हजार से ज्यादा लड़कियों को बनाया आत्मनिर्भर

Updated: Aug 30, 2020, 02:38 AM IST

Photo Courtesy: Naidunia
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रायपुर। कहा जाता है कि अगर आपको दर्द होता है, तो आप किसी और के दर्द का अंदाजा औरों से बेहतर लगा सकते हैं। जी हां, आए दिन देश और प्रदेश में महिलाओं और लड़कियों से छेड़छाड़ की खबरें देखने और सुनने को मिलती हैं। उनसे निपटने की बातें तो खूब होती हैं, और फिर लोग भूल जाते हैं। रायपुर के अभनपुर की एक लड़की जिसके साथ छेड़छाड़ हुई, लेकिन वह उस हादसे से टूटी नहीं, बल्कि दूसरी लड़कियों को छेड़छाड़ जैसी त्रासदी से बचाने की मुहिम में लग गई और अब वो लोगों के लिए प्ररेणा बन गई है।  

बरखा के इरादे बुलंद, युवतियों को बना रहीं आत्मनिर्भर

बरखा राजपूत अब लड़कियों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं। 2010 में छेड़छाड़ की शिकार हुई बरखा के इरादे बुलंद है, वह अपने साथ हुए हादसे से डरीं नहीं बल्की उससे प्रेरणा लेकर एक मर्दानी की तरह आगे आईं और अपने आसपास की लड़कियों को जीवन के हर संकट से निपटने के लिए सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे रही है।

आदिवासी लड़कियों को सिखाया सेल्फ डिफेंस

बरखा राजपूत नक्सल प्रभावित इलाकों की आदिवासी लड़कियों को आत्मनिर्भर बना रही हैं। उनका मानना है कि नए परिवेश में जहां लड़कियों के लिए पढ़ाई-लिखाई और स्वरोजगार जरूरी है।  उतना ही महत्वपूर्ण सेल्फ डिफेंस भी है। इसलिए वह नक्सल प्रभावित स्थानों में युवतियों को कराटे और मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देने में जुटी हैं।

8 साल में 10 हजार से ज्यादा युवतियों को दी ट्रेनिंग

बरखा युवतियों को सुरक्षा और सम्मान दिलाने के उद्देश्य से काम कर रही हैं। उनका कहना है कि समाज की हर लड़की अपने हक की लड़ाई खुद लड़ सके। गौरतलब है कि बरखा कराटे मास्टर हैं। वे पिछले आठ साल में दस हजार से ज्यादा युवतियों को कराटे की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। कोरोना के चलते अभी कैंप नहीं लग रहे हैं, पर जहां तक संभव होता है, वे कम लोगों को बुलाकर भी ट्रेनिंग देने की कोशिश कर रही हैं। जिससे युवतियां निडर और सबल बन सकें। वह चाहती हैं कि कराटे सीखकर लड़कियां आत्मनिर्भर बन सकें। लड़कियां मनचलों से तंग आकर न तो अपनी पढ़ाई छोड़े और न ही कोई गलत कदम उठाएं। बरखा का मानना है कि कराटे के साथ लड़कियों को यह भी बताती हैं कि उनके पास जो भी उपलब्ध सामान हो उसका प्रयोग करते हुए कैसे आत्मरक्षा की जाए। वे हेयर पिन, जूते, सैंडल, पेन, चूड़ी, यहां तक की कपड़े को हथियार बनाकर असामाजिक तत्वों से निपटने के तरीके भी सिखाती हैं।  

अभनपुर की बरखा राजपूत आदिवासी युवतियों को दे रहीं मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग

छेड़छाड़ से नहीं मानी हार, दूसरों को बचाने का लिया प्रण

बरखा राजपूत का कहना है कि साल 2010 में स्कूल की पढ़ाई के दौरान उनके साथ छेड़छाड़ हुई थी। जिसके बाद उन्होंने कराटे सीखने का फैसला लिया। स्कूल में कराटे की शुरुआती ट्रेनिंग के बाद उन्होंने ने नासिक में कराटे की विधिवत ट्रेनिंग ली। और वहां से लौटने के बाद छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में लड़कियों को कराटे सिखाने लगीं। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों में युवतियों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण नहीं मिलता था। उनका मानना है कि वर्तमान परिवेश में हर महिला और युवती को आत्मनिर्भर होना ही चाहिए।

आदिवासी इलाकों में कैंप लगाकर दी निशुल्क कराटे ट्रेनिंग

बरखा ने छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों मैनपुर, कांकेर, गरियाबंद, देवभोग में जाकर आदिवासी युवतियों को कराटे की फ्री ट्रेनिंग दी। वे ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में 15 दिन का कैंप लगाती हैं और युवतियों को आत्मरक्षा की बारीकियां सिखाती हैं। जिससे महिलाएं सुरक्षित और निडर होकर अपना जीवन यापन कर सकें। वे करीब दस हजार लड़कियों को कराटे की ट्रेनिंग दे चुकी हैं। फिलहाल कोरोना के चलते स्कूल और कैंप बंद है लेकिन उनका कहना है कि जैसे ही सब स्थितियां सामान्य होंगी वह कैंप लगाएंगी और युवतियों को आत्म निर्भर बनाएंगी।