Chhattisgarh: देसी व्यंजनों से आई जीवन में खुशहाली

मनरेगा के तहत मिला कैंटीन चलाने का काम,सशक्त हो रहीं छत्तीसगढ़ की महिलाएं

Publish: Jul 11, 2020, 01:49 AM IST

Photo courtesy : 3ie
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छत्तीसगढ़ की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं। इनकी दुनिया देसी पकवानों की खुशबू से महकने लगी है। सेहत के साथ स्वाद से भरे छत्तीसगढ़ी पकवानों जैसे चीला, फरा, चैसेला, बड़ा स्वाद जांजगीर के जिला पंचायत में खुली आयुषी केंटीन में आसानी से चखा जा सकता है। इस आयुषी कैंटीन को मां महामाया स्व- सहायता समूह की महिलाएं संचालित कर रही हैं। जिससे इन महिलाओं की जिंदगी की मिठास लौट आई है।

घर की तरह स्वादिष्ट, आयुषी कैंटीन का भोजन

आयुषी कैंटीन में बने भोजन का स्वाद बिल्कुल घर की तरह है।  यहां सेहत से भरपूर पकवानों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ये देसी व्यंजन अब लोगों की पसंद बनते जा रहे हैं। जिससे स्वसहायता समूह की महिलाओं को आजीविका का बेहतर जरिया मिल गया है।

जांजगीर जिला पंचायत परिसर में है कैंटीन

मां महामाया स्व- सहायता समूह की अध्यक्ष हैं ललिता गिरी। इनका कहना है कि जिला पंचायत परिसर में चाय-नाश्ता और भोजन की कैंटीन चलाने का काम मिलने से इनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जब से यहां  आयुषी कैंटीन शुरू की है अच्छी आय हो रही है। फिलहाल जो कमाई होती है उसे कैंटीन की व्यवस्थाओं पर ही खर्च किया जा रहा है। उन्होने बताया कि उनकी कोशिश है कि कैंटीन आने वाले ग्राहकों को बेहतरीन सुविधाएं दे सकें। अब यह हमारे रोजगार का साधन बन गया है।

छत्तीसगढ़ी पकवानों की अच्छी डिमांड

आयुषी कैंटीन में सुबह चाय, नाश्ता और दोपहर में दाल, चावल, पूड़ी, सब्जी रोटी उपलब्ध रहता है। साथ ही यहां  पार्सल की सुविधा भी है। महिलाएं छत्तीसगढ़ी व्यंजन फरा, चीला, चैसेला भी उपलब्ध करवा रही हैं जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। गौरतलब है कि पुरूषों के दबदबे वाले काम का बीड़ा इस समूह की महिलाओं ने उठाया है।

गांव में ही महिलाओं को रोजगार दिलाने की कवायद

इस कैंटीन के बारे में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल ने जानकारी दी है कि कोरोना महामारी के समय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना लोगों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने का बड़ा साधन बन रहा है। इसके तहत लोगों को आजीविका संवर्धन गतिविधियों से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में जिला पंचायत परिसर में मनरेगा के माध्यम से आजीविका संसाधन केन्द्र बनाया गया है।

मनरेगा के तहत महिलाओं को मिला रोजगार

इस कैंटीन के लिए 4 लाख 31 हजार रूपए मनरेगा और 5 हजार रूपए की राशि 14 वें वित्त से स्वीकृत हुई है। इससे मनरेगा मजदूरों को काम मिलने के साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण की राह भी खुली है। जिला पंचायत परिसर में दो बड़े हॉल हैं, एक में महिला समूह को केंटीन चलाई जा रही है, वहीं दूसरे हॉल में बिहान मार्ट की तर्ज पर विभिन्न समूहों के उत्पादों के स्टॉल लगाए जाएंगे। यहां आम लोगों के लिए जैविक खाद, अगरबत्ती, साबुन, सजावटी सामान जैसी वस्तुएं बिक्री के लिए रखी जाएगीं। जिसे समूह के लोगों ने तैयार किया है।