आदिवासी महिलाओं का कमाल, दिहाड़ी मजदूर से बन गईं राइस मिल मालिक

बालाघाट के चिचगांव में 14 महिला मजदूरों ने उसी राइस मिल को खरीदा जिसमें वे मजदूरी करती थीं, स्वसहायता समूह बनाकर वे मिल मालिक ही नहीं बनीं तीन लाख का प्रॉफिट भी कमा चुकी हैं

Updated: Mar 16, 2021, 10:44 AM IST

Photo Courtesy: face book
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बालाघाट। जिले के बिरसा विकासखंड के चिचगांव की आदिवासी महिलाओं के जज्बे को आज हर कोई सलाम कर रहा है। एक दौर था जब महिलाएं यहां की एक राइस मिल में मजदूरी करती थीं। लेकिन अपनी हिम्मत और दूरदृष्टि की वजह से महिलाएं आज उसी राइस मिल की मालकिन बन गई हैं, जहां वे दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करती थीं। कोरोना काल में उनकी राइस मिल घाटे में चली गई और एक दौर आया जब मिल को बंद करने का फैसला लिया गया। उस दौर में उन्होंने आजीविका सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाया और आत्म निर्भर बनीं। इस समूह के मुखिया की जिम्मेदारी उठा रही हैं, मीना रहांगडाले, जो बीए तक पढ़ी हैं।

 लॉकडाउन की वजह से महिलाओं की राइस मिल का काम बंद हो गया था। जिससे इनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। बावजूद इसके इन साहसी महिलाओं ने हार नहीं मानी, निराश नहीं हुई। इन महिला मजदूरों ने तय किया कि ये सभी साथ में अपनी राइस मिल शुरू करेंगी। तभी उन्हें पता चला कि जिस राइस मिल में वे काम करती थीं, वहां की मशीनें बिकाऊ हैं।

फिर क्या था मीना रहंगडाले ने सभी महिला मजदूरों को जोड़कर सेल्फ हेल्प ग्रुप याने स्व सहायता समूह बनाया। मिल खरीदने के लिए महिलाओं ने अपनी जमा पूंजी से पैसा जुटाया। पैसा कम पड़ने पर उन्होंने आजीविका मिशन के तहत बैंक से लोन लिया और उसी राइस मिल की मालिक बन गईं, जिसमें कभी वे दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करती थीं।

अब इस राइस मिल को इस समूह की महिलाएं चला रही हैं। अब तक वे करीब 3 लाख रुपये से ज्यादा का प्रॉफिट कमा चुकी हैं। महिलाओं की मानें तो वे इस मुनाफे से बैंक का लोन चुकाने की तैयारी में हैं, वहीं वे अपना व्यापार बढ़ाने की प्लानिंग भी कर रही हैं।

 इस आजीविका समूह में 14 महिलाएं शामिल हैं, हर महिला ने अपनी बचत से 40-40 हजार रुपये जमा किए और कुल 5 लाख 60 हजार रुपये जमा किए। जब मिल की मशीन खरीदने के लिए पैसा कम पड़े तो उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड से करीब 2 लाख रुपये का लोन लिया और राइस मिल के लिए मशीनें खरीद लीं।

पहले महिलाएं मिल में काम करने के लिए गांव से बाहर 12 किलोमीटर दूर जाती थीं। अब महिलाओं ने गांव में ही अपने समूह की मुखिया मीना रहांगडाले के घर पर जानवरों को बांधने वाले स्थान पर राइस मिल की मशीनें लगाने का फैसला लिया। अब इस ग्रुप की महिलाएं मालिक बन कर राइस मिल का संचालन रही हैं। इनकी मेहनत लगन से समूह को हर महीने अच्छी खासी कमाई भी हो रही है। इन महिलाओं की तारीफ मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं।

बालाघाट के चिचगांव में आजीविका समूह की महिलाएं अब आत्मनिर्भर्ता की मिसाल बन चुकी हैं। वे अब लोगों को प्रेरित करने का काम कर रही हैं।