सीता की धरा को मिली दुनिया में पहचान, धार में बनी साड़ी और इटली की फ़ैशन पत्रिका में छपी फ़ोटो
धार की आदिवासी महिला सीता वसुनिया की फोटो इंटरनेशनल फैशन मैगजीन वोग के कवर पेज पर छपी, स्वसहायता समूह की महिलाओं ने खुद धरा प्रिंट की साड़ी तैयार कर उसके लिए मॉडलिंग की

मध्यप्रदेश का धार जिला एक बार फिर सुर्खियों में हैं। धार के बाग प्रिंट के बाद अब यहां के धरा प्रिंट को अंतराष्ट्रीय पहचान मिली है। यहां की सीता वसुनिया नाम की महिला कारीगर की बनाई साड़ी को इटली की इंटरनेशनल फैशन मैग्जीन वोग के कवर पेज पर जगह मिली है। डिजिटल एडिशन के कवर पेज पर छपी इस तस्वीर में साड़ी में नजर आ रही जो मॉडल हैं, वह कोई और नहीं बल्कि खुद सीता हैं।
मैग्जीन में छपी तस्वीर में सीता ने जो साड़ी पहन रखी है, उसे उनके सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं ने अपने हाथों से तैयार किया है। इस समूह में 10 महिलाएं हैं। जिनकी कड़ी मेहनत से इस धरा प्रिंट की साड़ियां तैयार होती हैं। 25 वर्षीय सीता दो भाइयों की अकेली बहन हैं, उनके पिता पीडब्ल्यूडी में चपरासी का काम करते हैं। वे आत्मनिर्भर होना चाहती हैं।
धार जिले के सूलीबयड़ी निवासी सीता से पूछा गया कि आपने फैशन मैग्जीन के लिए फोटो शूट किया तो उन्होंने कहा कि उन्हें वोग मैग्जीन के बारे में कुछ नहीं पता था। इसके लिए फोटो शूट जिला प्रशासन ने करवाया था, तस्वीरें मांडू के रूपमती महल में खींची गई थीं, जिसे नेचुरल मेकअप, और बिना फिल्टर वाले कैमरों से खींचा गया था। जिस साड़ी वाली तस्वीर को वोग के डिजिटल एडिशन के कवर पेज पर जगह मिली है उसमें महेश्वरी, चंदेरी और कॉटन का कपड़ा उपयोग किया गया है।
गौरतलब है कि मांडू में आजीविका मिशन का कार्यालय है। जहां स्व-सहायता समूह द्वारा महिलाओं को धरा प्रिंट से कलाकृतियां बनाना सिखाया जाता है। यहां महिलाएं साड़ी, सूट, कुर्ते,चादर,पर्दे और दुपट्टों को तैयार करना सीखती हैं।
इस फोटो शूट के लिए दिल्ली की एक फैशन फोटोग्राफर ने हस्तकला से बनने वाली साड़ी, कुर्ते व दुपट्टों के साथ मांडू में इन महिलाओं का फोटोशूट किया था। अन्य महिलाओं के साथ सीता ने धरा प्रिंट की साड़ी पहनी थी। जब से सीता की फोटो मैग्जीन में छपी है, तबसे उन्हें लगातार बधाइयां मिल रही हैं। सीता का कहना है कि वे इस कला को और आगे ले जाएंगी। वे मध्यप्रदेश की कला को औऱ ऊंचाई पर ले जाना चाहती हैं।
सीता के धरा समूह में महिलाएं चंदेरी, महेश्वरी और काटन के कपड़ों पर काम करती हैं। उन्हें आर्गेनिक कॉटन का कपड़ा प्रशासन द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है। फिर वे ब्लाक के जरिए उन पर डिजाइन प्रिंट करती हैं। ये ब्लॉक फर्रुखाबाद से बनवाकर मंगाए जाते हैं। महिलाएं कपड़ों पर ठप्पा लगाते हुए डिजाइन तैयार करती हैं। सीता और उनके साथी कपड़ों की रंगाई और सुखाकर रोल प्रेस और इससे जुड़ा पूरी प्रक्रिया खुद करती हैं। ये महिलाएं हुनर निखारने के साथ साथ अपने कपड़ों की ब्रांडिंग का काम भी खुद कर रही है। इनका सपना है कि ये आत्मनिर्भर हो सकें। कपड़े तैयार करने से लेकर मॉडलिंग का काम भी खुद सम्हालें।
बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने महिलाओं की इस उपलब्धि की तारीफ की है। उन्होंने ट्वीट संदेश में लिखा है कि मध्यप्रदेश के चंदेरी और माहेश्वरी के बुनकरों के योगदान से फैशन की दुनिया में मध्यप्रदेश को पहचान मिली है।
Highlight read of the day! Brilliant stories of uplifting & empowering MP tribal women engaged in textiles! Also, recognising the unprecedented contribution of weavers of Chanderi and Maheshwari to the world of fashion. They’re all the real pride of MP!! https://t.co/dQ2FvwiMr0
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) April 4, 2021
उन्होंने इन आदिवासी महिलाओं को प्रदेश का वास्तविक गौरव कहा है। वे लिखते हैं कि ये आदिवासी महिलाएं उत्थान और सशक्तिकरण की शानदार कहानियाँ हैं!