छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या मंदिर का हुआ शुभारंभ, रामधुन पर जमकर थिरके सीएम भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ के चांदखुरई में माता कौशल्या के भव्य मंदिर का हुआ शुभारंभ, कलाकारों की संगत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बजाई मंजरी, रामधुन पर थिरके सीएम

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को चांदखुरई में भव्य कौशल्या मंदिर का शुभारंभ किया। इस दौरान सीएम बघेल राम भक्ति में डूबे दिखे। सीएम बघेल ने यहां कलाकारों की संगत में बैठकर मंजरी बजाई। मुख्यमंत्री इस दौरान कांग्रेस नेताओं के साथ रामधुन पर नाचते भी दिखे।
दरअसल, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने 6 करोड़ से अधिक रकम से माता कौशल्या के भव्य मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है। गुरुवार को पावन पर्व नवरात्रि के पहले दिन मंदिर का शुभारंभ कार्यक्रम था। कार्यक्रम में मशहूर संगीतकार शंकर महादेवन भी पहुंचे थे। शंकर महादेवन के भक्तिमय गीतों पर मुख्यमंत्री बघेल जमकर थिरके। इस दौरान उनके साथ कई कांग्रेस नेता भी मौजूद थे।
छत्तीसगढ़ की पौराणिक नगरी चंदखुरी में आज राम वन गमन पर्यटन परिपथ के उद्घाटन एवं माता कौशल्या मंदिर के नए स्वरूप में लोकार्पण के समारोह में मानस मण्डली के कलाकारों के साथ। pic.twitter.com/OG5jkhuclK
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 7, 2021
सीएम बघेल इस पूरे कार्यक्रम के दौरान रामभक्ति में डूबे दिखे। उन्होंने रामायण मंडली के साथ भजन कीर्तन भी किया और स्टेज पर बैठकर इत्मीनान से मंजरी भी बजाई। कार्यक्रम में भूपेश कैबिनेट के दर्जनों मंत्री भी मौजूद थे। सीएम ने बताया कि वे बचपन से ही रामयण मंडली का हिस्सा रहे हैं और भजन कीर्तन करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब कभी व्यक्ति का मन दुखी होती है तो भजन कीर्तन से ही उसके मन को शांति मिल सकती है।
भगवान राम जिस वन पथ पर चलकर मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाए आज छत्तीसगढ़ में वह वन पथ देश-दुनिया के लिए खुल गया है।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 7, 2021
आज मां कौशल्या की नगरी चंदखुरी में राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के प्रथम चरण का लोकार्पण किया।
।। जय सिया राम ।। pic.twitter.com/mq9h3P38gI
सीएम बघेल राम वन गमन पथ पर 51 फीट ऊंची प्रभु श्रीराम की मूर्ति का भी अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'भगवान श्री राम के लिए सबका अलग-अलग नजरिया है। कुछ लोगों के लिए राम महज वोट पाने का जरिया हैं, लेकिन हमारी तो संस्कृति में राम बसे हुए हैं। हमारे यहां राम को भांजा राम, वनवासी राम, गांधी के राम, कबीर के राम, तुलसी के राम और शबरी के राम के रूप में देखा जाता है। हम गांधी के अनुयायी हैं जिनके मुंह से आखिरी शब्द राम ही निकला था।'