छत्तीसगढ़ के NTPC प्लांट में पराली से बनेगी बिजली, दिल्ली में प्रदूषण घटाने में मिलेगी मदद

NTPC: छत्तीसगढ़ के सीपत और कोरबा पावर प्लांट में होगा पराली का इस्तेमाल, हरियाणा, पंजाब के किसानों को पराली खरीदने में दी जाएगी प्राथमिकता

Updated: Oct 31, 2020, 12:59 AM IST

Photo Courtesy: Gaon Connection
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रायपुर। देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर में पराली से होने वाले प्रदूषण को कम करने में छत्तीसगढ़ एनटीपीसी इनकी मदद करेगी। छत्तीसगढ़ में स्थित एनटीपीसी के कोरबा और सीपत पवार प्लांट में पराली का उपयोग कोयले के साथ किया जाएगा। पराली की खरीद के लिए एनटीपीसी ने निविदा भी जारी कर दी है। पराली से होने वाले प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए एनटीपीसी ने निविदा में पंजाब और हरियाणा के किसानों को प्राथमिकता दी है।  

एनटीपीसी के अनुसार 2017 में उत्तर प्रदेश के दादरी के बिजली संयंत्र में कोयले की जगह पराली का इस्तेमाल किया गया था। वहां करीब 100 टन पराली का उपयोग किया गया था, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले थे। इसके बाद से अब तक कम्पनी करीब 7000 टन कृषि अवशेषों का ईंधन के रूप में उपयोग कर चुकी है। इसके परिणामों को देखते हुए देश भर के पावर प्लांटों ने यह प्रयोग करने का निर्णय लिया हैं। एनटीपीसी के मैनेजमेंट के मुताबिक उनके 17 बिजली संयंत्रों में लगभग 50 लाख टन पराली का उपयोग किया जा सकता है। 

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हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पराली की खरीद का असर बिजली उत्पादन की लागत पर पड़ेगा। बिलासपुर के सीपत प्लांट में जहां बिजली की लागत 3 से 4 रुपये प्रति यूनिट आती है वहीं पराली के उपयोग से इसकी लागत बढ़कर 7 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच सकती है। हालांकि दूसरी तरफ से इससे किसानों के लिए आमदनी का एक नया जरिया खुलने की भी उम्मीद है। गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। हरियाणा और पंजाब में पराली जलाए जाने से यह प्रदूषण और बढ़ जाता है।