छत्तीसगढ़ में शुरू हुआ फाइलेरिया मुक्त अभियान, स्वास्थ्य मंत्री ने दवा खाकर किया उद्घाटन
फाइलेरिया से बचाव के लिए चलाया जा रहा अभियान, लोगों के मन में दवा को लेकर किसी तरह की दुविधा ना रहे, इसलिए स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मीडिया के सामने फाइलेरिया की गोलियां खाईं और लोगों से दवा के उपयोग की अपील की, हर साल बड़ी संख्या में लोगों को चपेट में लेता है संक्रमण, शरीर में आ जाती है सूजन

रायपुर। कोरोना और मलेरिया के साथ-साथ अब छत्तीसगढ़ में फाइलेरिया से बचाव के लिए भी अभियान शुरू हुआ है। 19 से 24 जुलाई तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन इसका औपचारिक शुभारंभ प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने किया। लोगों के मन से दवा का डर और दुविधा हटाने के लिए उद्घाटन के लिए उन्होंने गोलियां खा कर भी दिखाईं। उन्होंने फाइलेरिया से बचने के लिए दवा के सेवन की अपील की। उन्होंने प्रदेश की जनता से इस दवा के सेवन की अपील करते हुए कहा कि अपनी उम्र के हिसाब से डॉक्टर की बताई गई डोज का उपयोग करें और फाइलेरिया से बचे रहें।
आज #MassDrugAdministration के फाइलेरिया मुक्त अभियान के माध्यम से प्रदेश में जन-जन तक फाइलेरिया की दवाओं को पहुँचाने का वर्चुअल शुभारंभ किया।
— TS Singh Deo (@TS_SinghDeo) July 19, 2021
इस अवसर पर स्वयं भी फाइलेरिया की दवाओं का सेवन कर प्रदेशवासियों से आग्रह किया कि इस बीमारी से बचने के लिये दवाओं का सेवन अवश्य करें। pic.twitter.com/AdmQbSOrkm
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने DEC याने डाई इथाइल कार्बाइजीन और 400 MG की अलबेन्डाजोल टेबलेट खा कर दिखाई। स्वास्थ्य मंत्री ने लोगों से कहा है कि ये दवाएं बिना किसी भय के खाएं, इनके कोई साइडइफेक्ट नहीं हैं।
इस कार्यक्रम का आयोजन सोमवार को ड्रग एसोसिएशन की ओर से किया गया था। जिसमें स्वास्थ्यमंत्री ऑनलाइन शामिल हुए। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को भी निर्देश दिए है कि दवा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ उसके सेवन के लिए भी प्रेरित करना है। डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के बारे में कहा कि जब भी कोई दवा लेने के लिए स्वास्थ्य केंद्र में आए वहीं पर दवा का खिलाई जाए।
दरअसल फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए सामूहिक दवा सेवन का कार्यक्रम समय-समय पर चलाया जाता है। इसी कड़ी में सोमवार को इस अभियान का उद्घाटन किया गया। फाइलेरिया की दवा दो साल से 60 साल की उम्र तक के लोगों को दी जाती है, साठ साल से अधिक के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और किसी अन्य बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित व्यक्तियों को फाइलेरिया की दवा नहीं दी जाएगी। इसके अलावा सभी स्वस्थ्य लोगों को फाइलेरिया उन्मूलन की दवा का डोज लेना चाहिए। जिससे इसके संभावित खतरे को पर ही लगाम लगा दी जाए।
फाइलेरिया याने हाथी पांव की वजह से लोगों में विकलांगता आ जाती है। यह विश्व की दूसरे नंबर की सबसे बड़ी बीमारी हो जो लोगों को विकलांग कर रही है। बचपन में संक्रमण के कारण लिम्फैटिक सिस्टम को हानि पहुंचती है, जिससे बचाव नहीं करने की स्थिति में शारीर के अंगों में असामान्य सूजन होती है। सबसे ज्यादा पैरों पर असर दिखाई देता है, मरीज का चलना फिरना दूभर हो जाता है।
कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन का संचालन किया जा रहा है। स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर जनता को फाइलेरिया रोधी दवाएं घर-घर अपने सामने खिलाएंगे, यह फ्री में उपलब्ध करवाई जा रही है।
सरकार साल 2025 तक प्रदेश को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए संकल्पित है। वर्तमान में फाइलेरिया के 11,044 से ज्यादा मरीजों को चिन्हित किया गया है।