स्टार्टअप्स पर कोरोना की मार, 59 फीसदी MSME बंदी की कगार पर
लोकल सर्वे ने खुलासा किया है कि देश के 41फीसदी स्टार्टअप्स और लघु और मध्यम दर्जे के उद्योग या तो आउट ऑफ फंड्स हैं या उनके पास महज एक महीने के लिए फंड बचे हैं

बेंगलुरु। कोरोना संक्रमण की पहली लहर ने देश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई को बुरी तरह से प्रभावित किया था। केंद्र सरकार ने एमएसएमई (MSME Sector) को फिर से खड़ा करने के लिए विशेष पैकेज का ऐलान भी किया था। लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग को सिर्फ प्रभावित ही नहीं किया बल्कि बर्बादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दूसरी लहर की मार से देश के 59 फीसदी स्टार्टअप्स और लघु उद्योग पूरी तरह से बंदी की कगार पर हैं।
लोकल सर्किल सर्वे एजेंसी द्वारा हालिया प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक देश के 41 फीसदी स्टार्टअप्स ऐसे हैं जो या तो आउट ऑफ फंड्स चल रहे हैं या फिर उनके पास 1 महीने से भी कम समय के लिए फंड्स बचे हुए हैं। इनमें से महज 11 फीसदी के पास आने वाले 6 महीने तक के लिए फंड्स हैं, वहीं 37 फीसदी ऐसे हैं जिनके पास तीन महीने के लिए ही फंड्स बाकी हैं।
सर्वे में शामिल स्टार्टअप्स और एसएमई में से 33 फीसदी कंपनियों ने बताया कि वे एडवर्टिजमेंट और मार्केटिंग के तौर तरीकों को सीमित कर रहे हैं। साथ ही ऑपरेशनल कॉस्ट्स कैप घटाने का प्रयास कर रहे हैं। सर्वे के मुताबिक तकरीबन 49 फीसदी स्टार्टअप्स को जुलाई तक के लिए अपने कर्मचारियों की सैलरी काटनी पड़ी है, ताकि वे मार्केट में बने रह सकें।
सर्वे के मुताबिक महज 22 फीसदी स्टार्टअप्स या लघु मध्यम उद्योग ऐसे हैं जिन्हें यह उम्मीद है कि आने वाले 6 महीनों में उनका बिजनेस बढ़ेगा, जबकि 59 फीसदी ने बताया कि अगले 6 महीने में वे या तो काम पूरी तरह बंद कर देंगे या फिर बिजेनस को बेच देंगे। लोकल सर्किल के मुताबिक इस सर्वे में देश के 171 जिलों के 6 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स और लघु मध्यम उधम के 11 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।
दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से पिछले साल 24 मार्च से लागू देशव्यापी लॉकडाउन ने स्टार्टअप्स और एसएमई की कमर तोड़कर रख दी थी। बंदी की वजह से लाखों कामगारों की नौकरियां चली गयीं. अनेक लघु उद्योग बंद हो गए थे। लॉकडाउन खुलने के बाद केंद्र सरकार ने इन्हें पटरी पर लाने के लिए विशेष राहत पैकेज का ऐलान किया था, जिसमें बैंक से सस्ते लोन के प्रावधान भी थे। हालांकि, सरकारी पैकेज के ऐलान के बावजूद अप्रैल 2021 से लगा लॉकडाउन स्टार्टअप्स को तेजी से निगलता जा रहा है। लघु और मध्यम उधम क्षेत्र में आए इस अभूतपूर्व संकट ने अर्थशास्त्रियों की चिंता बढ़ा दी है।