डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन बिल को कैबिनेट की मंज़ूरी, इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग के लिए बनेगा नया बैंक
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, DFI को शुरुआत में 20 हज़ार करोड़ रुपए दिए जाएंगे, आने वाले समय में तीन लाख करोड़ तक की फंडिंग जुटाने की उम्मीद

नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (DFI) बिल को मंज़ूरी दे दी है। इसकी जानकारी खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी है। वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग के लिए सरकार एक नए बैंक का गठन करने जा रही है। यह फैसला केंद्रीय कैबिनेट की आज हुई बैठक में लिया गया।
वित्त मंत्री ने बताया कि डीएफआई बिल के ज़रिए सरकार ऐसे बैंक का गठन करेगी जो कि इंफ्रास्ट्रक्टर फंडिंग में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि सरकार शुरूआत में डीएफआई को 20 हज़ार करोड़ रुपए देगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीतारमण से डीएफआई के प्रति सरकार की अपेक्षाओं के बारे में भी बताया। सीतारमण ने पत्रकारों से कहा कि सरकार को उम्मीद है कि आने वाले समय में डीएफआई अपने बलबूते 3 लाख करोड़ रुपये जुटा लेगा। निर्मला सीतारमण ने बताया कि डीएफआई में निवेश करने वाले निवेशकों को टैक्स में छूट भी दी जाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग के लिए नहीं तैयार था कोई भी पुराना बैंक : सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों को बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग के लिए पहले सरकार ने पुराने बैंकों का ही रुख किया था। लेकिन कोई भी बैंक इसके लिए तैयार नहीं हुआ। लिहाज़ा इसके बाद सरकार ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन के गठन का फैसला किया। वित्त मंत्री के मुताबिक इस समय देश भर में 6 हज़ार प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जिन्हें फंडिंग की ज़रूरत है।
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बैंकों के निजीकरण के मसले पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों की भूमिका बैंकिंग सेक्टर में भी बदस्तूर जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार फिलहाल 'सभी' बैंकों के निजीकरण पर विचार नहीं कर रही है।