7 महीने बाद 28 मई को होगी जीएसटी काउंसिल की बैठक, विपक्ष की स्वास्थ्य उपकरणों में टैक्स छूट की मांग

टीके की सप्लाई और कॉमर्शियल इंपोर्ट में लग रहा है पांच फीसदी जीएसटी, दवाओं और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर लग रहा है 12 फीसदी जीएसटी

Updated: May 25, 2021, 02:51 PM IST

Photo Courtesy: livemint.com
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नई दिल्ली। 28 मई को जीएसटी काउंसिल की बैठक होनी है। सात महीने बाद होने वाली इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुक्रवार को होने वाली इस बैठक में स्वास्थ्य उपकरणों और दवाइयों पर लगने वाले टैक्स में छूट देने पर चर्चा की जा सकती है। इसके साथ ही इस बैठक में राज्य को मिल रहे कम मुआवजे पर भी चर्चा होने की संभावना है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की बैठक में निजी इस्तेमाल के लिए खरीदे जाने वाले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के आयात पर टैक्स में छूट देने का निर्णय लिया जा सकता है। फिलहाल टीके की सप्लाई और कामर्शियल इंपोर्ट पर पांच फीसदी जीएसटी लग रहा है। विपक्षी पार्टियां इसे लगातार अनैतिक करार दे रही हैं। ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर बारह फीसदी इंटीग्रेटेड जीएसटी लग रहा है। इससे पहले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर 28 फीसदी जीएसटी लग रहा था। केंद्र सरकार ने 1 मई को इसे घटाकर 12 फीसदी किया था क्योेकि तब देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा था, लेकिन विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि तब भी केंद्र ने उस पर बारह फीसदी जीएसटी क्यों वसूला?  

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इससे पहले बीते शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निजी उपयोग या गिफ्ट में मिलने वाले ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर आईजीएसटी लगाने हेतु फटकार लगाई थी। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया था। कोर्ट ने यह टिप्पणी 85 वर्षीय कोविड से पीड़ित मरीज़ की याचिका पर सुनवाई के दौरान की थी। विशेषज्ञों के अनुसार इंटीग्रेटेड जीएसटी पर छूट देने से सरकारी खजाने पर ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसलिए काउंसिल की होने वाली इस बैठक में छूट देने का फैसला लिया जा सकता है। 

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में तमाम ज़रूरी स्वास्थ्य उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी को कम करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था। जिसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि अगर सरकार हर स्वास्थ्य उपकरणों में जीएसटी पर छूट देगी तो उत्पादक इनपुट सेवाओं पर भुगतान किए जाने वाले करों की भरपाई नहीं कर पाएंगे। जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा और उत्पादक कीमतों को बढ़ाकर उपभोक्ताओं से वसूलेंगे।