फंड की कमी से देशभर में अटका जल जीवन मिशन, MP में 20 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप

मार्च 2024‎ तक इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा ‎गया था। जब योजना की शुरुआत हुई, तब देशभर में 3.24 करोड़ परिवारों को ही नल से जल की सुविधा थी। बीते 5 साल में 15.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाया गया है।

Updated: Sep 23, 2024, 12:00 PM IST

नई दिल्ली। 15 अगस्त 2019 को पीएम मोदी ने लाल किले से "जल जीवन मिशन" की घोषणा की थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि हर घर को जल कैसे मिले, पीने को शुद्ध पानी कैसे मिले, इसके लिए हम आने वाले वर्षों में जल जीवन मिशन में साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च करने का संकल्प लेते हैं। हालांकि, केंद्र की यह महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार व अन्य कारणों से व्यर्थ हो गई।

दरअसल, मार्च 2024‎ तक इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य रखा ‎गया था। जब योजना की शुरुआत हुई, तब देशभर में 3.24 करोड़ परिवारों को ही नल से जल की सुविधा थी। बीते 5 साल में 15.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाया गया है। यह कुल ग्रामीण आबादी का करीब 78% है। दुर्गम भूभाग और‎ खासतौर पर पानी की कमी वाले‎ इलाकों में अभी भी 4.18 करोड़‎ परिवारों तक योजना का लाभ‎ पहुंचना बाकी है। इनमें राजस्थान,‎ गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर‎प्रदेश के बुंदेलखंड जैसे इलाके‎ प्रमुख हैं।

दरअसल, इन इलाकों‎ तक पानी पहुंचाने के लिए लंबी‎ दूरी तय करनी पड़ रही है। केंद्रीय‎ फंड की कमी और पहले से हो चुके काम का भुगतान न होने के‎ कारण यह योजना अटक गई है। हालांकि, बीते 5 साल में जिन 15.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पानी पहुंचाने का दावा है वह भी कागजी है।।देखरेख के अभाव में कहीं पर पाइप लाइन चोरी चली गई तो कहीं पर टंकी। इसके अलावा कई जगह तो काम की गुणवत्ता सही नहीं होने की वजह से कुछ दिन में ही योजना ने दम तोड़ दिया। गांवों में कहीं पाइप है तो नल नहीं और नल है तो पाइप नहीं। जहां दोनों हैं वहां पानी नहीं है।

बता दें कि शुरुआत में योजना का बजट 3.60 लाख करोड़ रुपए था। इसमें केंद्रीय हिस्सेदारी 2.08 लाख करोड़ और राज्य की 1.52 लाख करोड़ रुपए रही। मिशन के आगे बढ़ने के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा न होने के कारण लागत बढ़ती गई। संशोधित बजट बढ़कर 8.33 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह अनुमान के दोगुने से ज्यादा है। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 4.33 लाख करोड़ और राज्यों की 4.00 लाख करोड़ रुपया है।

केंद्र ने इस वित्त वर्ष में मध्य प्रदेश को मिशन के लिए 4,044 करोड़ रु. और राज्य ने 7,671.60 करोड़ रु. का अलॉट किए हैं। जल जीवन मिशन की गाइडलाइन के मुताबिक वर्क ऑर्डर में केंद्र-राज्य का हिस्सा 50-50% और व्यावसायिक गतिविधियों में 60-40% होगा। बीते साल जल जीवन मिशन के तहत मध्य प्रदेश में 10,773.41 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। फिलहाल इस योजना के तहत 1500 करोड़ रु. से अधिक राशि का भुगतान रुका हुआ है। पुराने आंकड़ों को देखते हुए 2024-25 में राज्य में इस योजना के लिए कम से कम 17,000 करोड़ रु. की जरूरत होगी।

मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है की यह 20 हजार करोड़ रुपए का घोटाला है। इसकी जांच होनी चाहिए और सरकार को जांच के आदेश देने चाहिए। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव का कहना है कि मध्य प्रदेश में घोटालेबाज अफसरों, भ्रष्टाचारी नेताओं और ठेकेदारों की सांठगांठ से जल जीवन मिशन में 20 हजार करोड़ का घोटाला हुआ है।