केयर्न और वोडाफोन को राहत देने वाला बिल लोकसभा में पेश

विधेयक में 28 मई 2012 से पहले हुए संपत्ति हस्तांतरण पर लगाए गए सभी टैक्स को वापस लेने का प्रयास है

Updated: Aug 06, 2021, 03:55 AM IST

photo Courtesy: parliament
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दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में केयर्न एनर्जी और वोडाफोन जैसी कंपनियों पर पूर्व में लगाए गए सभी टैक्स को वापस लेने के लिए एक विधेयक पेश किया है। बिल में कहा गया है कि सरकार इस तरह के लेवी को लागू करके एकत्रित किए गए धन को वापस कर देगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरूवार को लोकसभा में कराधान कानून संशोधन विधेयक 2021 पेश किया। इस विधेयक के जरिए भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर टैक्स लगाने की मांग को वापस लेने का प्रयास है। बशर्ते ये लेनदेन 28 मई 2012 से पहले किया गया हो।

रेट्रोस्पेक्टिव यानी पूर्वव्यापी टैक्स कानून 28 मई 2012 से अस्तित्व में है। लेकिन ताज़ा बिल में इस तरह के मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस करने का प्रस्ताव किया गया है। इस बिल का सीधा असर ब्रिटिश फर्मों केयर्न एनर्जी पीएलसी और वोडाफोन ग्रुप के साथ लंबे समय से चल रहे टैक्स विवादों पर पड़ेगा। पूर्वव्यापी टैक्स लगाए जाने के मामले में भारत सरकार इन दोनों कंपनियों द्वारा लाए गए मध्यस्थता के दो मौकों को गवां चुकी है। जिसके चलते दोनों कंपनियों के साथ अभी भी विवाद चल रहा है।

अगर ये बिल संसद से पास हो जाता है तो वोडाफोन मामले में सरकार को कुछ देना नहीं है पर केयर्न एनर्जी को उसके बेचे गए शेयरों के एवज में 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर वापस करने होंगे। यही नहीं सरकार ने कंपनी का टैक्स रिफंड रोक दिया था और उसके लाभांश को जब्त कर लिया था, उसे भी लौटाना होगा। बिल में कहा गया है कि एक विदेशी कंपनी के शेयरों के हस्तांतरण के जरिए भारत मे स्थित उस कंपनी की संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाले लाभ पर टैक्स लगाने का मुदा लंबी मुकदमेबाजी का विषय है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी 2012 में इस संबंध में एक फैसला दिया था कि भारतीय संपत्ति के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण से होने वाले लाभ पर टैक्स लगाना मौजूद प्रावधानों के तहत उचित नहीं है। पर इसे रोकने के लिए आयकर अधिनियम 2012 के प्रावधानों को वित्त अधिनियम 2012 द्वारा संशोधित किया गया था। जिसके जरिए ये स्पष्ट किया गया था कि विदेशी कंपनी के शेयरों की बिक्री से होने वाला लाभ भारत मे टैक्स योग्य है, अगर ऐसे शेयरों से कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत मे स्थित अपनी संपत्तियों से काफी हद तक लाभ प्राप्त करती है।

गुरुवार को लोकसभा में पेश बिल में कहा गया है कि वित्त अधिनियम 2012 द्वारा लागू किए गए पूर्वव्यापी टैक्स नियम की हितधारक काफी आलोचना करते हैं, ये टैक्स नियमों के भी खिलाफ है। यह भारत में निवेश के सुनहरे अवसरों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। बिल में आयकर अधिनियम 1961 में संशोधन का प्रस्ताव है ताकि यह प्रावधान किया जा सके कि भारतीय संपत्ति के किसी भी अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर पूर्वव्यापी प्रभाव से टैक्स लगाने की मांग नहीं उठाई जाएगी, यदि लेनदेन 28 मई 2012 से पहले किया गया हो।

बिल में प्रस्ताव है कि 28 मई 2012 से पहले भारतीय संपत्तियों के अप्रत्यक्ष हस्तांतरण पर टैक्स लगाने की मांग को लंबित मुकदमे को वापस लेने पर समाप्त कर दिया जाएगा। लागत, हर्जाना और ब्याज आदि के लिए कोई दावा नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में भुगतान की गई राशि को बिना किसी ब्याज के वापस कर दिया जाएगा।