Corona Impact: G-20 देशों में सबसे खराब रह सकती है भारत की आर्थिक वृद्धि दर

Brickwork Ratings ने बताया जीडीपी के सात प्रतिशत तक जा सकता है राजकोषीय घाटा, केंद्रीय वित्त मंत्री पहले ही जता चुकी हैं जीडीपी के सिकुड़ने की आशंका

Updated: Sep 01, 2020, 12:17 AM IST

Photo Courtesy: Business Standard
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नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर रिकॉर्ड स्तर तक घट सकती है। एक अनुमान के मुताबिक G-20 देशों में भारत का प्रदर्शन सबसे खराब हो सकता है। आर्थिक वृद्धि दर में कमी के कारण देश की कुल जीडीपी में भारी कमी आ सकती है। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण जीएसटी परिषद की बैठक के दौरन पहले ही कह चुकी हैं कि कोरोना वायरस महामारी के कारण देश की जीडीपी सिकुड़ेगी। हालांकि, कई विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया है कि महामारी से पहले भी देश के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे।

इस बीच यह भी खबर है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी स्तर के सात प्रतिशत तक जा सकता है, जबकि बजट में इसका अनुमान 3.5 फीसदी लगाया गया है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स नाम की संस्था ने यह अनुमान जारी किया है। संस्था ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से सरकार के राजस्व में कमी आई है, जिसकी वजह से राजकोषीय घाटे के बढ़ने की संभावना है।

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केंद्र सरकार के राजस्व की अगर बात करें तो कैग के अनुसार पहली तिमाही में आयकर राजस्व में 30.5 प्रतिशत और जीएसटी संग्रह में 34 प्रतिशत की भारी कमी आई है। आशंका जताई जा रही है कि राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार सार्वजनिक योजनाओं के खर्च में भारी कटौती कर सकती है। केंद्र सरकार ने यह भी माना है कि राजस्व संग्रह में कमी की वजह से उसे राज्यों को जीएसटी मुआवजा देने में दिक्कत आ रही है।

दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था में गिरावट के संकेत महीनों पहले से ही दिखने लगे थे।  संगठित और असंगठित क्षेत्र में करोड़ों नौकरियां गई हैं। वहीं आर्थिक संकट से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने शेयर बेचने की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में विश्व बैंक ने कहा था कि वह भारत के लिए चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान और कम कर सकता है। संस्थान ने मई में पहले ही यह अनुमान घटाकर 3.2  प्रतिशत कर दिया था।

दूसरी तरह प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अगस्त में भी बिजली, तेल और कोयला खपत वापस से अपने पुराने स्तर तक नहीं पहुंच पाई है। वहीं जुलाई महीने में निर्यात भी 10 प्रतिशत घटा और देश को 4.38 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है।

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वहीं जुलाई महीने में ही घरेलू उड़ानों में 82 प्रतिशत की कमी आई है। एक संस्था के अनुमान के मुताबिक इस पूरे संकट के दौरान भारतीयों की आय में भी एक तिहाई की कमी आई है।