Corona Effect: आत्मनिर्भर भारत पैकेज से पूरा नहीं होगा राजकोषीय घाटा

Corona in India: डीपी के 7 प्रतिशत स्तर तक पहुंच सकता है राजकोषीय घाटा, सरकार के राजस्व में कमी, कैग ने कहा आत्मनिर्भर भारत पैकेज नाकाफ़ी

Updated: Aug 31, 2020, 08:00 AM IST

नई दिल्ली। देश का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी के 7 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। जबकि बजट में इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से आर्थिक गतिविधियों के प्रभावित होने और राजस्व संग्रह में कमी को देखते राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीने में राजस्व संग्रह में झलकता है।

कैग के आंकड़े के अनुसार केंद्र सरकार का राजस्व संग्रह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले काफी कम रहा। आयकर (व्यक्तिगत और कंपनी कर) से प्राप्त राजस्व पहली तिमाही में 30.5 प्रतिशत और जीएसटी लगभग 34 प्रतिशत कम रहा। दूसरी तरफ लोगों के जीवन और अजीविका को बचाने और आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रत के तहत प्रोत्साहन पैकेज से खर्च में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि (13.1 प्रतिशत) हुई है।

Click: Corona Impact: निर्यात 10 प्रतिशत घटा, 4.83 अरब डॉलर का व्यापार घाटा

एजेंसी के अनुसार राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बजटीय लक्ष्य का 83.2 प्रतिशत पर पहुंच गया। ब्रिकवर्क रेटिंग्स के अनुसार अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से धीरे-धीरे तेजी आने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कारोबारी गतिविधियों में सुधार के शुरूआती संकेत को देखते हुए, हमारा अनुमान है कि तीसरी तिमाही के अंत तक राजस्व संग्रह कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि त्योहारों के दौरान मांग और खपत पर खर्च बढ़ने से स्थिति सुधरेगी।’’

एजेंसी ने कहा, ‘‘हालांकि अगर मौजूदा स्थिति लंबे समय तक रहती है, 12 लाख करोड़ रुपये के कर्ज लेने की घोषणा के बावजूद सरकार को बजटीय खर्च को पूरा करने के लिये कोष की कमी का सामना करना पड़ सकता है।’’

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पूंजीगत खर्च के साथ ही मनरेगा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन को छोड़कर केंद्र प्रायोजित अन्य योजनाओं पर खर्च में बड़ी कटौती हो सकती है। सरकार पहले ही मनरेगा के तहत आबंटन 40,000 करोड़ रुपये बढ़ा चुकी है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘राजस्व में कमी की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 2020-21 में जीडीपी का करीब 7 प्रतिशत तक जा सकता है। इसमें यह माना गया है कि बाजार मूल्य पर आधारित जीडीपी पिछले साल के स्तर पर रहेगा।’’

Click: World Bank: भारत की आर्थिक वृद्धि दर और घटने की आशंका

अगर अर्थव्यवस्था में पूर्व के अनुमान के मुकाबले गिरावट और बढ़ती है तो सरकार को और अधिक कर्ज लेना पड़ सकता है। राज्यों को भी जीडीपी का 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति दी गयी है। इससे कुल राजकोषीय घाटा जीडीपी के 12 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच सकता है।