India's GDP: निगेटिव से जीरो के बीच रहेगी विकास दर, आखिर वित्त मंत्री ने भी मानी देश में मंदी की बात

Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, सरकार ने लोगों की जिंदगी को उनकी आजीविका से ज्यादा अहमियत दी, लेकिन ये नहीं बताया कि आजीविका के बिना कब तक चल सकती है करोड़ों लोगों की जिंदगी

Updated: Oct 28, 2020, 12:43 AM IST

Photo Courtesy: DNA India
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नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत की बात आखिरकार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी मान ली है। इंडिया एनर्जी फोरम के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी विकास दर नकारात्मक से शून्य के दरमियान रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर में आई लगभग 24 फीसदी की भारी गिरावट है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के साफ संकेत दिखाई देने लगे हैं।

सीतारमण ने आगे कहा कि भारत में बहुत कड़ा लॉकडाउन लागू किया गया। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि सरकार ने आजीविका से ज्यादा अहमियत लोगों के जीवन को दी। हम आपको बता दें कि सरकार की तरफ से यह बात बार-बार कही जाती है, लेकिन शायद ऐसा कहने वाले भूल जाते हैं कि जीवन को बचाए रखने के लिए भी आजीविका की ज़रूरत होती है।  केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि लॉकडाउन ने महामारी से लड़ने के लिए सरकार को तैयारी करने का समय दिया। हालांकि कोरोना महामारी के मामलों की संख्या में भारत इस समय दुनिया में दूसरे और मौतों के मामले में तीसरे स्थान पर है। देश में कोरोना वायरस के लगभग 80 लाख मामले सामने आ चुके हैं, वहीं लगभग एक लाख 20 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। 

निर्मला सीतारमण ने कहा कि अनलॉक के साथ ही अर्थव्यवस्था के छोटे-छोटे संकेतों में तेजी दिखने लगी है। उन्होंने उम्मीद जताई की त्योहारों का सीजन अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा साबित होगा और चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में सकारात्मक वृद्धि दर देखने को मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार फिलहाल अधिक से अधिक खर्च करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाई जा सके। 

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सीतारमण के इस बयान के पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक से लेकर विश्व बैंक, आईएमएफ और दूसरी रेटिंग एजेंसियां चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में लगभग 10 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगा चुके हैं। आईएमएफ ने भारत की आर्थिक हालत को भयावह बताया है और कहा है कि हाशिए पर रहने वाले लोगों को असहनीय तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।