महंगाई से जनता हलकान, फरवरी थोक महंगाई दर 2.38 तक फीसदी पहुंची, बेतहाशा बढ़े खाद्य वस्तुओं के दाम

फरवरी महीने में थोक महंगाई बढ़कर 2.38% पर आ गई है। इससे पहले जनवरी में महंगाई 2.31% पर थी। फूड प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ने से महंगाई बढ़ी है।

Updated: Mar 17, 2025, 05:12 PM IST

नई दिल्ली। देश में बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने आम लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया है। निरंतर हो रहे मूल्यवृद्धि के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर है। पहले खुदरा महंगाई ने लोगों को परेशान किया और अब थोक महंगाई की दर में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है। फरवरी महीने में थोक महंगाई बढ़कर 2.38% पर आ गई है। 

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आज यानी 17 मार्च को ये आंकड़े जारी किए। इससे पहले जनवरी में महंगाई 2.31% पर थी। फूड प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट बढ़ने से महंगाई बढ़ी है। थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड की हिस्सेदारी 22.62% और फ्यूल एंड पावर की हिस्सेदारी 13.15% है। यानी, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई के ऊपर-नीचे होने का सबसे ज्यादा असर महंगाई दर पर होता है।

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आंकड़ों के अनुसार मैन्युफैक्चरर फूड प्रोडक्ट में महंगाई बढ़कर 11.06 फीसदी हो गई, वनस्पति तेल में 33.59 फीसदी और पेय पदार्थों में मामूली बढ़ोतरी होकर 1.66 फीसदी हो गई। सब्जियों की कीमतों में कमी आई और आलू की कीमतें महीने के दौरान 74.28 फीसदी से घटकर 27.54 फीसदी हो गईं।

बता दें कि थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए WPI को कंट्रोल कर सकती है। जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी।