MP News : सरकारी खरीद से 1.36 करोड़ रुपए का चना गायब

Kamal Patel : कृषि मंत्री के क्षेत्र में खरीदी के बाद 3.4 मीट्रिक टन चना गोदामों में नहीं पहुंचा, भुगतान पर रोक

Publish: Jun 28, 2020, 03:48 AM IST

मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल के विधानसभा क्षेत्र हरदा की जिला सहकारी केंद्रीय बैंक खिरकिया से संबद्ध सहकारी समिति चौकड़ी में गलत बिल बनाकर चना खरीदी में धांधली का मामला सामने आया है। समिति में 1करोड़ 36लाख 69हजार 500 रुपए कीमत के 2804 क्विंटल चने की हेराफेरी उजागर हुई है। कांग्रेस का कहना है कि कृषि मंत्री कमल पटेल इस फ़र्ज़ीवाडे की नैतिक ज़िम्मेदारी लें और तत्काल अपने पद से इस्तीफ़ा दें।

कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा का कहना है यह वही संस्था है जिसमें पिछले साल भी गड़बड़ी सामने आई थी और किसानों का भुगतान अटक गया था। इस समिति को खरीदी केंद्र नहीं बनाए जाने की सिफारिश भी हुई थी, फिर भी इसे राजनैतिक दबाव में खरीद का काम सौंपा गया।

क्या है पूरा मामला

हरदा के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा खिरकिया से संबद्ध सहकारी समिति चौकड़ी में चना खरीदी में शुरुआत में 3611 क्विंटल चने की गड़बड़ी उजागर हुई थी। गलत बिल बनने को कारण बताकर घटत का आंकड़ा अब 2804 क्विंटल तक पहुंच गया है। 

खरीदी के बाद 3.4 मीट्रिक टन चना गोदामों में नहीं पहुंचा

पत्रिका समाचार पत्र के अनुसार हरदा के 22 हजार हेक्टेयर रकबे में पिछले रबी सीजन में चना की बुवाई हुई थी। समर्थन मूल्य 4875 रुपए प्रति क्विंटल के भाव चना बेचने के लिए 9339 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। जिले के 15 खरीदी केंद्रों पर 15 जून तक इनमें से 8186 किसानों से नागरिक आपूर्ति निगम के लिए 33315.83  मीट्रिक टन चना खरीदा गया। इसमें से 33312.43 मीट्रिक टन चना निगम के गोदामों में पहुंचा। अर्थात 3.4 मीट्रिक टन चना जमा नहीं हुआ। इसके एवज में किसानों को 12 करोड़ 16 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। गोदाम में जमा होने से बची उपज को लेकर अधिकारियों ने पड़ताल की तो पता चला कि सहकारी समिति चौकड़ी द्वारा बड़ी मात्रा में चना गोदाम में जमा नहीं कराया गया है।

सहकारी बैंक के सुपरवाइजर की रिपोर्ट पर मुख्यालय से जांच के आदेश जारी हुए। जिसके बाद नोडल अधिकारी ने 20 जून को इस मामले की शुरुआती जांच की थी। तब समिति के स्टाक में पहली नजर में 3611 क्विंटल की गड़बडी मिली थी। यह उपज खरीदी तो गई थी, लेकिन गोदाम में जमा नहीं की गई। 

अब गड़बड़ी में किया जा रहा सुधार

खबर है कि सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी जांच का अंतरिम प्रतिवेदन सहकारिता विभाग को दे चुके हैं। जिसमें बताया गया है कि 2804 क्विंटल चना कम है। इसका कारण गलत बिल बनना बताया जा रहा है। वहीं इस गड़बड़ी को सुधारा जा रहा है। इसके बावजूद भी बड़ी मात्रा में चने की कमी होना कई सवाल खड़े करता है।

मामले का खुलासा होते ही रोका गया पेमेंट

सहायक पंजीयक सहकारिता (एआरसीएस) अखिलेश चौहान का कहना है कि सहकारी समिति चौकड़ी द्वारा 853 किसानों से करीब 37000 क्विंटल चना खरीदा गया था। इसमें से 2844 क्विंटल जमा हुआ था। 12 जून को खरीदी प्रक्रिया पर शक हुआ था। तब तक 8053 क्विंटल चने का परिवहन बकाया था। इसके बाद भुगतान पर रोक लगा दी गई। समिति में 26 मई तक चना बेचने वाले किसानों को करीब 4 करोड़ 95 लाख का भुगतान किया जा चुका था। अधिकारियों का कहना है कि इस गड़बड़ी का असर किसानों के भुगतान पर नहीं होगा। जांच पूरी होते ही बचे भुगतान आदेश जारी किए जाएंगे।

पंजीयन में गड़बड़ी कर होता है फर्जीवाड़ा

गौरतलब है कि कई किसानों द्वारा गेहूं और चना दोनों का समर्थन मूल्य खरीदी का पंजीयन कराया जाता है। यानि जिन किसानों ने केवल गेहूं की बुवाई की होती है वे चना का पंजीयन भी करा लेते हैं। इनकी बारीकी से जांच नही होने के कारण पंजीयन पर चना खरीदी दिखा दी जाती है। वही दूसरी तरफ जिन किसानों की उपज वास्तव में खरीदी जाती है उसे जमा करा कर नागरिक आपूर्ति निगम से भुगतान जारी करा लिया जाता है। खरीदी के अंतिम चरण में बाजार से कम कीमत पर चना खरीदकर वास्तविक खपत के स्टाक को बराबर किया जाता है। बाजार मूल्य और समर्थन मूल्य के अंतर के लाखों रुपए की बंदरबांट होती है। यह घाटा सरकार के खाते में जाता है।