Basmati Rice GI Tagging: एमपी और पंजाब सरकार में जंग
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने PM Modi को लिखा पत्र, MP सरकार ने जताया विरोध,

भोपाल। बासमती चावल की जीआई टैगिंग पर पंजाब सरकार और मध्य प्रदेश सरकार आमने सामने आ गए हैं।जीआई टैगिंग के मसले पर मध्य प्रदेश सरकार ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे उस पत्र का विरोध किया है जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश को बासमती चावल की जीआई टैगिंग देने पर रोक लगाने की मांग की है।मध्य प्रदेश सरकार ने पंजाब सरकार के इस पत्र पर आपत्ति जताते हुए इसे पूर्णतः राजनीति से प्रेरित बताया है।
1908 से राज्य में बासमती का उत्पादन हो रहा है
मध्य प्रदेश सरकार ने पंजाब सरकार के इस फैसले पर अपना विरोध जताते हुए कहा है कि राज्य के 13 ज़िलों में 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है, जिसका लिखित इतिहास भी है। राज्य सरकार ने कहा है कि सिंधिया स्टेट के रिकॉर्ड में यह बात दर्ज है कि 1944 में किसानों को बासमती की बीज उपलब्ध की गई थी। मध्य प्रदेश सरकार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च हैदराबाद का हवाला देते हुए बताया है कि संस्थान ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 25 वर्षों से राज्य में बासमती चावल का उत्पादन किया जा रहा है।
#MadhyaPradesh has a written recorded history since 1908 of Basmati production in 13 districts. Records of supplying seeds to farmers in #MadhyaPradesh in the year 1944 is recorded in the records of Scindia State. @ANI
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) August 6, 2020
मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य मध्य प्रदेश से ही बासमती चावल खरीद रहे हैं, जिसकी पुष्टि भारत सरकार के निर्यात के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं। राज्य सरकार के मुताबिक केंद्र सरकार 1999 से ही मध्य प्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज को आपूर्ति कर रही है।
मध्य प्रदेश सरकार ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के उस पत्र पर आपत्ति दर्ज कराई है जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कहा है कि मध्य प्रदेश को बासमती चावल का जीआई टैग मिलने और इसमें किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को फायदा पहुंच सकता है। तो वहीं मध्य प्रदेश का कहना है कि पाकिस्तान के साथ एपीईडीए के मामले का मध्य प्रदेश के दावों से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह भारत के जीआई एक्ट के तहत आता है और इसका बासमती चावल के अंतर्देशीय दावों से इसका कोई जुड़ाव नहीं है।मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि यह केवल मध्य प्रदेश या पंजाब का मामला नहीं है अपितु पूरे देश के किसानों की आजीवका का विषय है। मध्य प्रदेश को मिलने वाले जीआई टैगिंग से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
दरअसल, 2017-18 में मध्य प्रदेश सरकार ने बासमती चावल की जीआई टैगिंग के लिए चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में आवेदन दिया था। जिसके बाद एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट एक्सपोर्ट डेवलमेंट अथॉरिटी) के विरोध करने पर राज्य को बासमती चावल की मान्यता नहीं मिल सकी। एपीडा ने मध्य प्रदेश सरकार के इस आवेदन के विरूद्ध मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जीआई टैग मिलने पर रोक लगा दी थी। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। राज्य के मुख्यमंत्री ने इसके लिए हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी मुलाकात की थी।
जीआई टैग किसानों के फायदे से कैसे जुड़ा हुआ है ?
जीआई टैग यह प्रमाणित करता है कि किसी स्थान विशेष पर किसी वस्तु, फल या मिठाई का गुणवत्ता युक्त उत्पादन होता है। यह वस्तुओं का भौगोलिक सूचक पंजीकरण और संरक्षण अधिनियम,1999 के तहत दिया जाता है। अगर बासमती चावल पर मध्य प्रदेश को जीआई टैग मिल जाता है तो राज्य में होने वाले बासमती चावल के उत्पादन पर गुणवत्ता का पैमाना जुड़ जाएगा। जिस वजह से राज्य के किसानों को फसल के अच्छे दाम मिलने शुरू हो जाएंगे। जो कि राज्य के किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।