Farm Bill 2020: मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों को राष्ट्रपति की मंज़ूरी
Farmers Protest: कृषि विधेयकों पर संसद से सड़क तक हुई जंग, नाराज किसानों ने किया भारत बंद, पंजाब में तीन दिन रोकी रेल

नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने संसद में पारित तीनों कृषि विधेयकों को मंजूरी दे दी है। सरकार के पुराने सहयोगी दलों की नाराजगी और किसानों के साथ विपक्ष की लामबंदी के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने संसद से इन विवादित कृषि विधेयकों को पास करवाया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के साथ ही अब ये विधेयक कानून बन गए हैं।
इन नए कृषि कानूनों का देश में तीखा विरोध जारी है। मोदी सरकार के इस निर्णय के कारण एनडीए टूट गया है। बिल के विरोध में एनडीए का प्रमुख घटक दल अकाली दल बीजेपी से 22 साल पुराना नाता तोड़ चुका है। करीब हफ्ते भर पहले शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल की पत्नी और एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहीं हरसिमरत कौर ने भी इसी मसले पर विरोध जाहिर करते हुए सरकार से इस्तीफा दे दिया था। तब उन्होंने कहा था कि अकाली दल किसान विरोधी कदम पर सरकार का साथ नहीं दे सकता।
भारत के लिए काला दिन: अकाली दल
22 सालों तक बीजेपी के साथी रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह ने राष्ट्रपति द्वारा बिल को मंज़ूरी देने को भारत के लिए काला दिन बताया है। सुखबीर सिंह ने कहा है कि हमें उम्मीद थी कि राष्ट्रपति देश की भावनाओं को समझ कर विपक्ष की मांग के अनुसार बिलों को लौटा देंगे। मगर राष्ट्रपति ने ऐसा नहीं किया।
President Ram Nath Kovind gives assent to three farm bills passed by the Parliament. pic.twitter.com/hvLvMgNI8Y
— ANI (@ANI) September 27, 2020
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नए कानूनों को ऐतिहासिक और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले बता रहे हैं। हरियाणा और पंजाब समेत के देश कई हिस्सों में किसान इस कानून के विरोध में सड़क पर हैं। किसानों का मानना है कि इन नए कानूनों की वजह से कृषि क्षेत्र में कोर्पोरेट्स का दखल हो जाएगा और उन्हें अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा। किसान संगठन कहते रहे हैं कि कृषि बिल वापस नहीं लिए गए तो उनका आंदोलन और तेज होगा। देश के प्रमुख चावल और गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा के विरोध प्रदर्शनों से साफ है कि कोरोना महामारी के बीच केंद्र ने भले ही इन्हें पारित करवा लिया हो लेकिन किसान इन नए कानूनों को स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। किसानों को इस बात का डर है कि इन नए कानूनों के अमल में आने पर उन्हें अपनी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पाएगा।
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राज्यसभा में 20 सितंबर को कृषि संबंधी विधेयकों को पारित कराने के केंद्र सरकार के तरीके पर भी विपक्ष ने खासा हंगामा किया था। 18 विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार के तरीके को 'लोकतंत्र की हत्या' बताया था और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया था कि वे इन बिलों पर हस्ताक्षर न करें।