Uddhav thackeray: दुग्ध किसानों को बेहतर दाम के लिए बफर स्टॉक की मांग
Direction for NDDB: स्किम्ड मिल्क के बफर स्टॉक के लिए विकेंद्रीकृत व्यवस्था हो। महाराष्ट्र में प्रतिदिन 10 लाख लीटर दूध की खरीदी हो रही है ताकि SMP और White Butter बनाया जा सके
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। ठाकरे ने मोदी से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड NDDB को स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) का विकेन्द्रीकृत बफर स्टॉक बनाने के लिए निर्देश देने की मांग की है ताकि डेयरी सहकारी समितियां किसानों को अधिक कीमतें अदा कर पाएं। बता दें कि जुलाई के अंतिम सप्ताह से ही प्रदेशभर में डेयरी किसान डेयरियों की तरफ से मिल रहे कम रिटर्न को लेकर विरोध कर रहे हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र में डेयरियों द्वारा पहले किसानों को 3.5 प्रतिशत वसा और 8.5 प्रतिशत सॉलिड नॉट फैट (एसएनएफ) दूध के लिए 31 से 32.50 रुपये प्रति लीटर का भुगतान किया जा रहा था। लेकिन पिछले कुछ वक़्त में इनका खरीद मूल्य 17 से 22.50 रुपये प्रति लीटर तक गिर गया है। केवल सांगली और कोल्हापुर में डेयरियां किसानों से 24 से 26 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दूध खरीदती हैं। खरीद कीमतों में आए इस भारी गिरावट के कारण किसान संगठनों ने एसएमपी के लिए 10 रुपये प्रति लीटर डायरेक्ट सब्सिडी और 50 रुपये प्रति किलोग्राम निर्यात सब्सिडी की मांग रखी थी। 1 अगस्त से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और नेता भी इस किसान आंदोलन में शामिल होकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
लॉकडाउन के कारण डेयरी दूध की मांग काफ़ी घटी है और डेयरियों ने इनकी बिक्री में 30-40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। दूध और दूध उत्पादों की मांग अब तक के न्यूनतम स्तर पर है क्योंकि होटल, रेस्तरां, मिठाई की दुकानें और खानपान व्यवसाय जैसे थोक उपभोक्ता फिलहाल बंद हैं। डेयरियों के पास अब एसएमपी और सफेद मक्खन के अनसोल्ड स्टॉक रखे पड़े हैं। वहीं स्थिति के और भी खराब होने की आशंका है क्योंकि फ्लश सीज़न में जानवर स्वाभाविक रूप से अधिक दूध का उत्पादन करते हैं, वह सितंबर से शुरू होने वाला है।
सोमवार को पीएम को भेजे अपने पत्र में ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र ने प्रति दिन 10 लाख लीटर दूध खरीदने और इसे एसएमपी और सफेद मक्खन में बदलने की योजना लागू की है। उन्होंने कहा, '25 जुलाई तक कम से कम छह करोड़ लीटर दूध की खरीद की गई है। वैश्विक एसएमपी कीमतों में घटती मांग और मंदी को देखते हुए, डेयरियों ने दूध की कीमतें कम करना शुरू कर दिया है।' इस संदर्भ में, उन्होंने NDDB स्कीम के पुनर्निर्माण के लिए एसएमपी और विकेन्द्रीकृत बफर स्टॉक को सहकारी डेयरियों के साथ सफेद मक्खन बनाने के लिए कहा है।
ठाकरे ने कहा कि यह साल 2000 तक एनडीडीबी की नियमित योजना थी और हमेशा ही मौसमी असंतुलन को प्रबंधित करने में मददगार रही है। पत्र में कहा गया है कि, 'मक्खन स्टॉक को कमी के दौर में नीलाम किया जा सकता है और जब अधिक उत्पादन होगा तो यह मूल्य में गिरावट के घाटे से डेयरियों को बचाएगा। इससे उन्हें कीमतों में तत्काल सुधार करने में मदद मिलेगी।' ठाकरे ने एसएमपी की निर्यात सब्सिडी को वर्तमान 10-20 प्रतिशत से बढ़ाने के लिए भी कहा है, जिससे डेयरियों को अतिरिक्त स्टॉक को कम करने में मदद मिलेगी। वर्तमान में भारत में कम से कम 2 लाख टन एसएमपी का भंडार है, जिसमें 35,000 टन महाराष्ट्र में है।