मध्य प्रदेश में इस साल कम रह सकती है गेहूं की पैदावार, 55 लाख टन घटने की आशंका

पिछले साल 371 लाख टन थी गेहूं की पैदावार, इस मर्तबा 15 से 20 फीसदी तक घट सकता है उत्पादन

Updated: Mar 13, 2021, 03:32 AM IST

Photo Courtesy: Prabhasakshi
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भोपाल। मध्य प्रदेश में बदलते मौसम ने सबसे ज़्यादा चोट गेहूं उपजाने वाले किसानों तक पहुंचाई है। बदलते मौसम के कारण इस वर्ष प्रदेश में गेहूं की पैदावार पर बड़ा असर पड़ने का अनुमान है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष गेहूं की पैदावार 15 से 20 फीसदी तक घट सकती है। इस बार गेहूं की उपज में 55 लाख टन तक की कमी होने के आसार हैं। 

गेहूं की पैदावार में कमी से सबसे ज़्यादा प्रभावित मालवा निमाड़ का क्षेत्र दिख रहा है। मालवा निमाड़ के जिन इलाकों में किसान प्रति एकड़ 15-16 क्विंटल गेहूं उपजा लिया करता थे, वहां इस बार किसानों को प्रति एकड़ 10-11 क्विंटल गेहूं की पैदावार करने में भी दिक्कत आ रही है।  

पिछले वर्ष प्रदेश में 371 लाख टन के करीब गेहूं की पैदावार हुई थी। लेकिन इस दफा इस आंकड़े के आसपास पहुंचने की ठहरने की संभवाना भी कम ही है। गेहूं की फसल की कमी से प्रभावित किसान इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मौसम को ही मान रहे हैं। फरवरी महीने में गेहूं की फसल के लिए हल्की ठंड होना ज़रूरी थी। लेकिन फरवरी महीने में प्रदेश में ठंड के बजाय गर्मी पड़ी। जिसके कारण गेहूं की बालियां नहीं निकल पाई। अब आलम यह है कि जो किसान अपने खेतों में हर साल 110-112 क्विंटल की पैदावार कर लेते थे, इस दफा उनके खेतों में 55 क्विंटल तक की ही गेहूं की उपज हो पाई है। 

हालांकि गेहूं की फसल में गिरावट आने का एकमात्र कारण मौसम नहीं है। कई जगह पर किसानों की फसल में फंगस और झल्ली लगने के कारण भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। एक हिंदी अख़बार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक खरगोन के रहने वाले एक किसान ने बताया कि अमूमन जहां प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक गेहूं की उपज मिलती थी, वहां इस बार 10 क्विंटल ही गेहूं की पैदावार हो पाई है। यही समस्या क्षेत्र के बाकी किसानों की भी है। 

दूसरी तरफ क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एके सिंह कहते हैं कि इस साल समय से पहले गर्मी पड़ने के कारण किसानों को इस समस्या का सामना करना पड़ा। सिंह के मुताबिक चूंकि इस बार समय से पहले गर्मी पड़ी, लिहाज़ा गेहूं की फसल भी समय से पहले पक गई। इसके अलावा सर्दी के मौसम में लगातार होते उतार चढ़ाव के कारण भी गेहूं की पैदावार पर असर पड़ा। इस बार गेहूं की फसल में 20 फीसदी तक गिरावट दिख सकती है।