अस्थमा के लिए 50 सालों की सबसे बड़ी उपलब्धि, बेनरालिज़ुमैब दवा बनी गेम-चेंजर

वैज्ञानिकों ने अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी सांस संबंधी गंभीर बीमारियों के इलाज में एक नई दिशा की ओर इशारा किया है।

Updated: Dec 01, 2024, 01:20 PM IST

वैज्ञानिकों ने अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी सांस संबंधी गंभीर बीमारियों के इलाज में एक नई दिशा की ओर इशारा किया है। 'बेनरालिज़ुमैब' नामक दवा, जो गंभीर अस्थमा के इलाज में पहले से इस्तेमाल की जा रही है, अब आपातकालीन स्थितियों और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता को कम करने में प्रभावी साबित हो सकती है।

 

यह दवा एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी है, जो फेफड़ों की सूजन को कम करने के लिए ईसिनोफिल्स नामक सफेद रक्त कोशिकाओं को लक्षित करती है। ईसिनोफिल्स का बढ़ा हुआ स्तर अस्थमा के 50% और सीओपीडी के 33% मामलों में पाया जाता है, जिससे सूजन और फेफड़ों को नुकसान होता है। 'बेनरालिज़ुमैब' इन कोशिकाओं को खून से खत्म कर फेफड़ों को राहत पहुंचाती है।

 

'द लैंसेट' रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित किंग्स कॉलेज लंदन के शोध में यह पाया गया कि यह दवा पारंपरिक स्टेरॉयड की तुलना में अधिक प्रभावी है। स्टेरॉयड, जैसे प्रेडनिसोलोन, फेफड़ों की सूजन को कम करते हैं, लेकिन इनके गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जैसे वजन बढ़ना, डायबिटीज और हड्डियों की कमजोरी। वहीं, बेनरालिज़ुमैब न केवल तेजी से असर दिखाती है, बल्कि इसके प्रभाव 28 दिनों के भीतर स्पष्ट हो जाते हैं।

 

किंग्स कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित ABRA परीक्षण में 158 रोगियों पर किए गए अध्ययन में इस दवा ने अस्थमा और सीओपीडी के अटैक के दौरान उल्लेखनीय परिणाम दिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह दवा गंभीर स्थितियों में राहत देने के साथ-साथ अस्पताल में भर्ती होने की दर को भी कम कर सकती है।

यह भी पढ़ें: हफ्ते में दो दिन व्यायाम से अल्जाइमर पीड़ितों को राहत, दिल के दौरे और स्ट्रोक का जोखिम भी कम होगा

प्रोफेसर मोना बाफडेल ने इसे अस्थमा और सीओपीडी के इलाज में पिछले 50 वर्षों की सबसे बड़ी प्रगति बताया है। हालांकि, बड़े पैमाने पर परीक्षण और सुरक्षा की पुष्टि के बाद ही यह व्यापक रूप से उपलब्ध होगी। 2025 में इसके लिए एक और बड़ा ट्रायल शुरू होने की योजना है।

 

अस्थमा और सीओपीडी दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली बीमारियां हैं। बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरणीय कारकों के कारण इनकी घटनाएं बढ़ रही हैं। हर साल इन बीमारियों से करीब 3.8 मिलियन मौतें होती हैं। ऐसे में 'बेनरालिज़ुमैब' एक नई उम्मीद के रूप में उभर रही है, जो इन बीमारियों से राहत दिलाने में गेम-चेंजर साबित हो सकती है।