वर्ल्ड साइट डे: स्मार्टफोन स्क्रॉल करने की लत से जा सकती है आंखों की रोशनी, इस तरह रखें अपनी आंखों का ख्याल

आंखों के डॉक्टर भी मानते हैं कि स्क्रीन आई हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होती है। लोगों को स्मार्टफोन और लैपटॉप का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आंखों को हेल्दी रखा जा सके।

Updated: Oct 12, 2023, 06:59 PM IST

आज कल अधिकतर लोग अपना ज्यादातर समय स्मार्टफोन या लैपटॉप पर बिताते हैं। अधिकतर काम भी ऑनलाइन होने लगे हैं और इसकी वजह से लोगों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। जिस कारण से बड़ी तादाद में लोग दिनभर स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं, जिसका बुरा असर उनकी आंखों पर पड़ने लगा है। आंखों के डॉक्टर भी मानते हैं कि स्क्रीन आई हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होती है। लोगों को स्मार्टफोन और लैपटॉप का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आंखों को हेल्दी रखा जा सके। हालांकि आजकल की जिंदगी में इन चीजों का इस्तेमाल अत्यधिक होने लगा है।  

हाल ही कुछ दिन पहले हैदराबाद की एक ख़बर  आई थी। जहां एक महिला को रात में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की बहुत ज्यादा लत लग गई थी और रात को सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करने की उसकी आदत ने उसकी आंखों की रोशनी छीन ली थी। हैदराबाद के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर ने ट्विटर पर इस बात का खुलासा किया थी कि कैसे एक 30 वर्षीय महिला ने अंधेरे में फोन इस्तेमाल कर अपनी आंखों को नुकसान पहुंचाया। ट्विटर थ्रेड में डॉक्टर ने बताया कि मंजू नाम की उनकी एक पेशेंट उनके पास आंखों की रोशनी की समस्या के साथ आई थी। जब वह मेडिकल जांच से गुजरी, तो पता चला कि वो स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (SVS) से पीड़ित है, जिससे अंधेपन समेत आंखों से संबंधित कई समस्याएं हो सकती हैं। 

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इसके अलावा भी सोशल मीडिया पर कई मामले वायरल हुए हैं, जिसमें दावा किया गया कि लंबे समय तक स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से आंखों की रोशनी चली गई। इसी को देखते हुए आंखों से संबंधित बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित करने और बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल अक्तूबर माह के दूसरे गुरुवार को वर्ल्ड साइट डे मनाया जाता है। इस बार ये 12 अक्टूबर को पड़ा है। आइए इस मौके पर हम आपको बताते है कि अपनी आखों का कैसे रखें ख्याल।


अच्छा आहार खाएं 

आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है कि आपका आहार स्वस्थ और पौष्टिक होने चाहिए। थाली में कई रंगों वाली सब्जियों-फलों को दैनिक आहार का हिस्सा बनाएं। ओमेगा-3 फैटी एसिड, ल्यूटिन, जिंक और विटामिन-सी और ई जैसे पोषक तत्व मैक्यूलर डिजनरेशन और मोतियाबिंद जैसी उम्र से संबंधित दृष्टि समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल और कोलार्ड, फैटी फिश, अंडे, नट्स, बीन्स आदि आंखों के लिए बहुत जरूरी है। ये आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद करते है। 


धूम्रपान से रहें दूर 

धूम्रपान सिर्फ फेफड़ों के लिए ही हानिकारक नहीं है, इससे आंखों की सेहत पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। अध्ययनों में धूम्रपान को मोतियाबिंद, ऑप्टिक तंत्रिका को क्षति पहुंचाने और मैक्यूलर डीजेनरेशन के खतरे को बढ़ाने वाला पाया गया है। धूम्रपान छोड़कर इस तरह के खतरे को कम किया जा सकता है। डॉक्टर कहते हैं, धूम्रपान छोड़ना आपके नियंत्रण में है। जो आपकी दृष्टि को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने में मददगार हो सकता है। 


स्क्रीन टाइम को करें कम

स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताने वाले लोगों में समय के साथ आंखों से संबंधित कई तरह की बीमारियों के विकसित होने का खतरा रहता है। मोबाइल-कंप्यूटर या टेलीविजन जैसे स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों के लिए बहुत हानिकारक हो सकती है। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन इस तरह के जोखिमों को कम करने के लिए 20/20/20 नियम की सिफारिश करता है। इसमें हर 20 मिनट में कम से कम 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड के लिए ध्यान से देखने की सलाह दी जाती है। पलकों को झपकाते रहना भी बहुत जरूरी है। 

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नियमित रूप से कराएं आंखों की जांच

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं सभी लोगों के लिए नियमित नेत्र परीक्षण की आवश्यकता होती है, यहां तक कि छोटे बच्चों को भी। यह आपकी आंखों में होने वाली किसी भी समस्या को पहचानने और समय रहते उसे ठीक करने के लिए जरूरी होता है। डॉक्टर कहते हैं सभी लोगों को साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए, वहीं अगर आपकी फैमिली में आंखों के रोगों की हिस्ट्री रही है तो साल में दो बार जांच कराएं। 

बता दें मोबाइल एनालिटिक्स फर्म Data.ai के अनुसार, भारत में स्मार्टफोन का औसत सक्रीन टाइम 2021 में बढ़कर 4.7 घंटे प्रतिदिन हो गया, जो 2020 में 4.5 घंटे और 2019 में 3.7 घंटे था। अंधेरे कमरे में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। ये बातें न केवल मानसिक रूप से प्रभावित कर रही हैं बल्कि दृष्टि हानि की संभावना बढ़ा रही हैं।