पत्रकारिता पर तालिबानी सेंसर, कनपट्टी पर बंदूक रख आतंकी दे रहे इंटरव्यू, भयभीत एंकर ने जनता से कहा डरो मत

तालिबानी हुकूमत में बंदूक की नोक पर हो रही पत्रकारिता, कनपट्टी पर बंदूक रख अपनी तारीफें करवा रहे खूंखार आतंकी, डर के मारे एंकर ने नागरिकों से कहा- इनसे डरने की जरूरत नहीं है

Updated: Aug 30, 2021, 07:38 AM IST

काबुल। अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत की वापसी के साथ ही देश में सभी कामकाज अब बंदूक की नोक पर होने लगे हैं। देश में पत्रकारिता पर सेंसर का भी तालिबानी तरीका देखने को मिला है।  अफगानिस्तान में अब न्यूज़ स्टूडियो में बैठे एंकर की कनपट्टी पर बंदूकें तानकर खबरें पढवाई जा रही है, ताकि तालिबानी आतंकियों के खिलाफ खबरें प्रसारित करने पर ऑन स्पॉट गोली मारी जा सके।

सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एंकर के पीछे हथियारों से लैस तालिबानी आतंकी खड़े हैं। इन आतंकियों के निशाने पर न्यूज़ एंकर है। वीडियो में एंकर के डर को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। ख़ास बात यह है कि यह भयभीत एंकर अफगानिस्तान के नागरिकों से अपील कर रहा है कि उन्हें नई हुकूमत से डरने की कोई जरूरत नहीं है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक स्टूडियो में मौजूद एंकर अशरफ गनी सरकार गिरने के बारे में बात कर रहा है। तालिबानी आतंकियों की कथनी और करनी के बीच का यह फर्क ऐसे समय में दुनिया के सामने आया है जब तालिबान लगातार यह दावा कर रहा है कि हम स्वतंत्र मीडिया के पक्षधर हैं, और पत्रकारिता में हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। 

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दरअसल, यह वीडियो एक इंटरव्यू का है। जानकारी के मुताबिक एक तालिबानी नेता अफगान टीवी चैनल को इंटरव्यू देने आया था। इस दौरान उसके साथ हथियार बंद लड़ाके भी मौजूद थे। उन्होंने एंकर के पीछे बंदूकें इसलिए तान रखी है ताकि वह कोई तल्ख सवाल न पूछ दे। जान गंवाने के डर से इंटरव्यू के दौरान एंकर ने भी तालिबानी हुकूमत की तारीफें की और कहा कि अफगानों को इस्लामिक राज से डरने की कोई जरूरत नहीं है।

इसके पहले सत्ता में वापसी के साथ ही तालिबान ने देश के सरकारी न्यूज चैनल से महिला पत्रकार खदीजा अमीन को बर्खास्त कर दिया था। इतना ही नहीं खदीजा के जगह पर एक आतंकी को पत्रकार के रूप में नियुक्ति भी दे दी गई। एक अन्य महिला पत्रकार शबनम दावरान की भी ऑफिस में एंट्री प्रतिबंधित कर दी गई है। तालिबानी हुकूमत के नए राज में महिलाएं सर्वाधिक असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्हें पढ़ने-लिखने और काम करने की आजादी नहीं है। इन सब के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने तालिबान महिलाओं को सामान-अधिकार देने का दावा कर रहा है।