ऑस्ट्रेलियाई संसद में दिखाई जाएगी पीएम मोदी पर बनी BBC की डॉक्यूमेंट्री, भारत में है बैन

इस डॉक्यूमेंट्री को तब दिखाया जा रहा है जब प्रधानमंत्री मोदी तीन दिवसीय दौरे पर ऑस्ट्रेलिया पहुंचे हैं। भारत में इसे रिलीज होने के बाद ही बैन कर दिया गया था

Updated: May 23, 2023, 09:27 AM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर हैं। पीएम मोदी के इस दौरे के दौरान मंगलवार को सिडनी में प्रवासी भारतीयों के बीच राय की विविधता देखने को मिलेगी। दरअसल, जनवरी 2023 में रिलीज हुई बीबीसी डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन को आज कैनबरा में ऑस्ट्रेलियाई संसद भवन में दिखाया जाना है। 

ऑस्ट्रेलिया की संसद में इस डॉक्यूमेंट्री का आयोजन कई एनजीओ द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है, जिसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल, ऑस्ट्रेलिया एंड न्यूजीलैंड चैप्टर्स ऑफ हिंदू फॉर ह्यूमन राइट, मुस्लिम कलेक्टिव, पेरियार-अंबेडकर थॉट सर्कल-ऑस्ट्रेलिया जैसे मानवाधिकार संगठनों का नाम शामिल है। ऑस्ट्रेलिया में इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने के बाद 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से गुजरात दंगों और भारत के बारे में चर्चा होगी।

जेल में बंद गुजरात पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट (जो पीएम मोदी के आलोचक रहे हैं) की बेटी आकाशी भट्ट और भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व प्रमुख आकार पटेल कार्यक्रम के मुख्य वक्ता होंगे। ऑस्ट्रेलियाई सिनेटर डेविड शूब्रिज और जॉर्डन स्टील-जॉन भी स्क्रीनिंग में दर्शकों को संबोधित करेंगे। यह दोनों सिनेटर्स ऑस्ट्रेलियाई ग्रीन्स पार्टी के सदस्य हैं। दोनों सांसदों ने ऑस्ट्रेलियाई पीएम से आग्रह किया कि, "प्रधानमंत्री मोदी से मानवाधिकारों के हनन के बारे में बात हो जिसकी वजह से कई अल्पसंख्यक समूहों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।"

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इस डॉक्यूमेंट्री को भारत में रिलीज होने के बाद ही बैन कर दिया गया था। इसे दो भागों में रिलीज किया गया था जिसमें 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को दिखाया गया है। ऑस्ट्रेलिया की संसद में इस डॉक्यूमेंट्री को तब दिखाया जा रहा है जब प्रधानमंत्री मोदी तीन दिवसीय दौरे के लिए ऑस्ट्रेलिया पहुंचे हैं। इसे ऑस्ट्रेलियाई लोगों द्वारा पीएम मोदी का सांकेतिक विरोध का प्रदर्शन माना जा रहा है।

बता दें कि इस डॉक्यूमेंट्री में पीएम मोदी के राजनीतिक जीवन को भी दिखाया गया है और उस समय हुई धार्मिक हिंसा में सत्ता की भूमिका की आलोचना भी की गई है। डॉक्यूमेंट्री के रीलीज होते ही इसे भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया था, सरकार ने यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इसे हटा देने के निर्देश दिए थे। तब केंद्रीय विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री को 'प्रोपोगैंडा' बताया था और कहा था कि इसमें निष्पक्षता की कमी है।