ट्रूडो-मोदी बातचीत: दोनों देशों के बयान में अंतर, कनाडा ने कहा, किसान आंदोलन पर हुई बात

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने मोदी से की बात, भारत ने बताया कि उन्होंने कोरोना वैक्सीन की मांग की, वहीं कनाडा ने बताया कि किसान आंदोलन पर भी बात हुई

Updated: Feb 12, 2021, 05:21 AM IST

Photo Courtesy: The Quint
Photo Courtesy: The Quint

नई दिल्ली। किसान आंदोलन के मुद्दे पर कनाडा और भारत के रिश्ते में आई खटास के बीच बुधवार को पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने फोन पर बात की। यह फोन कॉल कनाडाई पीएम ने ही कि थी। गौर करने वाली बात यह है कि इस बारे में दोनों देशों ने जो विवरण साझा किया है उसमें काफी अंतर है। भारत ने कहा है कि ट्रूडो ने कोरोना वैक्सीन की मांग की है वहीं कनाडा ने यह भी बताया है कि उन्होंने किसान आंदोलन और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर बात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में ट्वीट किया, 'मेरे मित्र जस्टिन ट्रूडो का फोन आने पर खुशी हुई। उन्हें आश्वासन दिया कि कनाडा ने कोविड वैक्सीन की जितनी खुराकों की मांग की है, उसकी सप्लाई पूरी तरह सुनिश्चित करने के लिए भारत सभी प्रयास करेगा। इसके साथ ही हमने जलवायु परिवर्तन और वैश्विक आर्थिक रिकवरी जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की।' 

वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि पीएम ट्रूडो ने पीएम मोदी को कनाडा में कोरोना वैक्सीन की जरूरत से अवगत कराया। मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत ने जैसे अन्य देशों को वैक्सीन मुहैया कराने में मदद की है, वैसे ही कनाडा के लिए भी मदद की जाएगी। पीएम मोदी की तारीफ करते हुए ट्रूडो ने कहा कि अगर विश्वभर के देश कोरोना से जंग जीत जाते हैं, तो इसमें भारत की मेडिकल क्षमता और पीएम मोदी के नेतृत्व की अहम भूमिका होगी।'

कनाडाई पीएम ट्रूडो ने ट्वीट किया कि, 'मेरी प्रधानमंत्री मोदी से कई अहम मुद्दों पर अच्छी बातचीत हुई। हम संपर्क में रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं।' 

कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि दोनों नेताओं ने कनाडा और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर चर्चा की। पीएमओ ने बताया, 'दोनों नेताओं ने COVID-19 महामारी से लड़ने, अपने लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा करने और अपने नागरिकों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए अपने संबंधित प्रयासों पर बात की। उन्होंने  कनाडा और भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता, हालिया विरोध प्रदर्शन और बातचीत के माध्यम से मुद्दों को हल करने के महत्व पर चर्चा की।' 

हालांकि, भारत की ओर से हालिया विरोध प्रदर्शन और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर बातचीत की पुष्टि नहीं कि गई है। उल्लेखनीय है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत सरकार की ओर से बातचीत को लेकर आधी बातें साझा की गई हो। हाल ही में जो बाइडेन और पीएम मोदी की फोन कॉल पर बात हुई थी। इसे लेकर व्हाईट हाउस ने बयान जारी कर कहा था कि, 'बाइडेन ने दुनियाभर में लोकतांत्रिक संस्थानों और मानकों की रक्षा करने की अपनी इच्छा को रेखांकित किया और कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक साझा प्रतिबद्धता अमेरिका-भारत के संबंधों का आधार है।' वहीं भारत की ओर से जारी बयान में लोकतांत्रिक सिद्धांतों और मानकों की रक्षा जैसी बातों को शामिल नहीं किया गया था।

गौरतलब है कि बीते दिनों कनाडाई पीएम ट्रूडो ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन दिया था। भारत सरकार ने ट्रूडो के इस बयान को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार देते हुए आपत्ति जताई थी। इतना ही नहीं भारत ने कनाडा के हाई कमिश्नर को भी तलब किया था और कहा था कि यदि ऐसे बयान जारी रहे तो दोनों देशों के रिश्तों पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, इसके बावजूद ट्रूडो ने किसानों के प्रदर्शन के अधिकारों का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि कनाडा पूरी दुनिया में कहीं भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन के समर्थन में खड़ा रहेगा।