ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ रहा खतरा, 9 साल में कोलकाता समेत विश्व के 6 शहर पानी में डूब जाएंगे

समुद्र का जल स्तर बढ़ने से 2030 तक नीदरलैंड का एम्स्टर्डम, इराक का बसरा, USA का न्यू ऑरलियन्स, इटली का वेनिस, वियतनाम का हो ची मिन्ह सिटी और भारत का कोलकाता शहर पानी में समा सकते हैं

Updated: Nov 10, 2021, 10:50 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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देश और दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग कितना खतरनाक है इस बाता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत के कोलकाता समेत दुनिया के 6 बड़े शहर पानी के नीचे चले जाएंगे। यूएन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण आधा दर्जन शहर जलमग्न हो जाएंगे। कहा जा रहा है कि 9 साल बाद याने 2030 तक नीदरलैंड का एम्स्टर्डम, इराक का बसरा, संयुक्त राज्य अमेरिका का न्यू ऑरलियन्स, इटली का वेनिस, वियतनाम का हो ची मिन्ह सिटी और भारत का कोलकाता शहर पानी के नीचे चला जाएगा। इन शहरों में समुद्री जलस्तर बढ़ने का खतरा बहुत ज्यादा है। इसकी सबसे बड़ी वजह ग्लोबल वार्मिंग है।

क्लाइमेट सेंट्रल के मैप पर नजर डाले तो पता चलता है कि यहां समुद्री जलस्तर बढ़ने का खतरा बहुत ज्यादा है। यहां मॉनसूनी बारिश और हाई टाइड की समस्या होती है, यहां बरसात में बाढ़ के हालात बन जाते हैं। ज्यादा बारिश की वजह से वर्षा जल धरती में सोख नहीं पाता। इससे पास स्थित बड़ा डेल्टा वाला इलाका इसके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

इटली के वेनिस में भी यही हाल है, कहा जाता है कि वेनिस साल में 2 से 3 सेंटीमीटर धंसता रहता है। वेनिस में पाई जाने वाली मिट्टी रेतीली है। जिसकी वजह से माना जा रहा है कि 9 साल बाद याने 2030 तक कई तटीय इलाके पूरी तरह से पानी के भीतर समा सकते हैं। जिनमें यहां का सुवर्णभूमि स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी शामिल है। दरअसल क्लाइमेट सेंट्रल नाम के प्रोजेक्ट द्वारा तैयार रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से खतरा बढ़ रहा है, और इन शहरों के डूबने की बात कही जा रही है।

 वियतनाम के पूर्वी इलाके में बसा हो ची मिन्ह सिटी शहर पूरी तरह से समतल है। यह समुद्र तल से ज्यादा ऊंचा नहीं है। यह दलदली जमीन पर स्थित है, यहां मेकॉन्ग डेल्टा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जिसकी वजह से आशंका जताई जा रही है कि हो ची मिन्ह सिटी साल 2030 तक पानी के अंदर डूब जाएगी।

अमेरिकी शहर न्यू ओरलींस में बड़ी संख्या में नहरें हैं, यहां नहरों का जाल सा बिछा है, इसके दो किनारों पर मॉरेपास और सल्वाडोर लेक हैं। माना जाता है कि ये दोनों न्यू ओरलींस को हर तरह के खतरों से बचाती हैं। लेकिन अगर समुद्र जलस्तर अब की स्थिति से ज्यादा हो तो ये लेक औऱ नहरें ना काफी साबित होंगी, औऱ शहर डूब जाएगा।

 औद्योगिक क्रांति के बाद से ही विश्व के तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मौसम चक्र बिगड़ गया है। विश्वभर में तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। जाती है। कहा जाता है कि 1880 के बाद से औसत वैश्विक तापमान में लगभग एक डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई है। ग्लोबल वार्मिंग एक सतत प्रक्रिया है, वैज्ञानिकों को आशंका है कि 2035 तक औसत वैश्विक तापमान अतिरिक्त 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।