इमैनुएल मैक्रों ने दूसरी बार जीता फ्रांस राष्ट्रपति चुनाव, दक्षिणपंथी नेता ली पेन को दी मात

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के आखिरी चरण की वोटिंग में इमैनुएल मैक्रों ने जीत हासिल की है, आखिरी राउंड की वोटिंग में मैंक्रों को 58.2% और ली पेन को 41.8% वोट मिले, इसी तरह धुर दक्षिणपंथी नेता ली पेन एक बार फिर चुनाव हार गईं हैं

Updated: Apr 24, 2022, 09:08 PM IST

पेरिस। फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में इमैनुअल मैक्रों ने बड़ी जीत हासिल की है। इस जीत के बाद वह एक बार फिर से फ्रांस के राष्ट्रपति बनेंगे। मैक्रों ने देश की धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन को बड़े अंतर से शिकस्त दिया। मैक्रों की जीत के फ्रांस में जश्न शुरू हो गया है। राजधानी पेरिस स्थित एफिल टॉवर के पास पार्क में इकट्ठे हुए मैक्रों प्रशंसक एक दूसरे को गले लगाकर बधाईयां दे रहे हैं। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक दूसरे और आखिरी राउंड की वोटिंग में इमैनुएल मैक्रों को 58.2% वोट मिले।  जबकि नेशनल रैली पार्टी की नेता मरिन ले पेन को महज 41.8 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा। पहले चरण में मैक्रों 27.85% और पेन को 23.15% वोट मिले थे। मरीन ले पेन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ में अपनी हार स्वीकार कर ली। उन्होंने मौजूदा राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों को विजयी मान लिया। 

पेन ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उनका अभूतपूर्व प्रदर्शन अपने आप में एक शानदार जीत को दर्शाता है। बता दें कि फ्रांस की विभिन्न मतदान एजेंसियां मैक्रों की जीत का अनुमान जता रही थीं। 20 अप्रैल को मैक्रों और ली पेन के बीच डिबेट हुई थी जिसमें वे आगे दिखे। हालांकि, इस दौरान विशेषज्ञों ने यह भी कहा था कि जीत का पासा कभी भी किसी भी ओर पलट सकता है। 44 वर्षीय मैक्रों दो बार फ्रांस के राष्ट्रपति बनने वाले दूसरे राजनीतिक शख्सियत होंगे। यदि, ली पेन चुनाव जीत जाती तो वह फ्रांस की पहली महिला राष्ट्रपति होती।

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ली पेन कट्टरपंथी नेता मानी जाती हैं। उन्होंने कहा था कि यदि वह चुनाव जीतती हैं तो इस्लामिक सोच वाले लोगों की फ्रांसीसी नागरिकता छीनी जाएगी। फ्रेंच संवैधानिक मूल्यों को न मानने वाली मस्जिदें व अन्य इस्लामिक संस्थान बंद होंगे। हिजाब और अन्य धार्मिक पोशाकों पर बैन लगेगा। मैक्रों ने भी कट्टरपंथ से लड़ने का आह्वान किया है, लेकिन देश के संविधान के दायरे में सभी धर्मों का आजादी का समर्थन भी किया है। 

फ्रांस में चुनाव प्रक्रिया दूसरे देशों से थोड़ी अलग है। यहां उम्मीदवार बनने के लिए नामांकन फॉर्म पर देश के 500 मेयर के हस्ताक्षर कराने होते हैं। इसे अप्रूवल के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास भेजा जाता है। सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी मिलने के बाद ही कोई व्यक्ति राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है। यहां चुनाव 2 चरणों में होते हैं। पहले फेज में अगर किसी कैंडिडेट को 50% वोट मिल जाते हैं तो वो इलेक्शन जीत जाता है। हालांकि पिछले 60 वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ। 

पहले चरण में जिन दो उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा वोट प्राप्त होते हैं, उन्हीं के बीच आखिरी चरण का मुकाबला होता है। ऐसे में मतदाता एक बार फिर से वोटिंग करते हैं और इनमें से जीतने वाला उम्मीदवार एलेसी पैलेस में शपथ लेता है। खास बात यह है कि विकसित देश होने के बाद भी वोटिंग के लिए यहां EVM मशीन नहीं, बल्कि बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। यहां चुनाव भी हमेशा रविवार को ही होती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा नागरिक वोट डाल सकें।